भक्त और भगवान के बीच बडा ही भावनात्मक सम्बन्ध है। भगवान अपने भक्त को कष्ट मे नही देख सकते। भगवान की भक्त वत्सलता भक्त के प्रति कैसी है यह हमे श्री विष्णु पुराण मे पता चलता है। भगवान भक्त के दूख तो हर सकते है लेकिन भक्त को ज्ञान नही दे सकते, उसके लिए गुरू के सानिध्य मे जाना पडेगा। गुरू के मुख से निकले शब्द और गुरू द्वारा दिये मंत्र मे शक्ति होती है। गुरू के हाथ से तो मिठाई और पकवान भी प्रसाद बन जाते है। भगवान की भक्ति और गुरू की महिमा का ऐसा सुन्दर वर्णन भुवाणा स्थित आईटीपी गार्डन के नारायणपुरम मे श्री नारायण भक्ति पंथ मेवाड द्वारा आयोजित श्री विष्णुपुराण ज्ञान कथा यज्ञ के दूसरे दिन पंथ के प्रवर्तक संत लोकेशानन्द महाराज ने नारायण भक्तों के सामने प्रस्तुत किये।
पाराशर द्वारा मेत्रेयी ऋषि को सुनाई जा रही विष्णु पुराण कथा के क्रम को आगे बढाते हुए संत लोकेशानन्द ने मंगलवार को 5 साल के नारायण भक्त धू्रव की भक्ति और तपस्या, नामदेव, तुकाराम, प्रहलाद द्वारा हरि की भक्ति, विष्णु पुराण मे काल की स्थापना, काल चक्र से परे नारायण की भक्ति से प्राप्ति, भगवान की भक्ति करते हुए व्रतो का अनुष्ठान, एकादशी व्रत का महत्व, नवग्रहो के भगवान के अधीन होने सहित कई प्रसंगो का वर्णन किया। कथा के प्रसंगो के साथ ही भजन मंडली द्वारा हरि भजनों की प्रस्तुतियों पर पांडाल मे मौजूद भक्तो ने जमकर किर्तन किया।
संकल्प पूवर्क 121 जोडे कर रहे कथा श्रवण
श्री विष्णुपुराण ज्ञान कथा यज्ञ मे जहां उदयपुर संभाग सहित आस के इलाको से नारायण भक्त कथा का श्रवण करने पहुंच रहे है वहीं कथा मे 121 जोड़े संकल्प पूर्वक कथा का श्रवण कर रहे है। इन जोडो ने संकल्प लिया है कि नियमित रूप से पूरी कथा का श्रवण करेंगे।