सिन्धी शिक्षा एवं साहित्य संगत का सिन्धी संस्कृति बचाने का आह्वान


सिन्धी शिक्षा एवं साहित्य संगत का सिन्धी संस्कृति बचाने का आह्वान

सिन्धी शिक्षा एवं साहित्य संगत, उदयपुर तथा राजस्थान सिन्धी अकादमी, जयपुर के

 
सिन्धी शिक्षा एवं साहित्य संगत का सिन्धी संस्कृति बचाने का आह्वान

सिन्धी शिक्षा एवं साहित्य संगत, उदयपुर तथा राजस्थान सिन्धी अकादमी, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में सिन्धी अरबी लिपि को बच्चों को सिखाने के मुख्य उद्देश्य से हिरण मगरी से. 4 के झूलेलाल भवन में सिन्धी कक्षाओं का आयोजन किया गया। इन कक्षाओं में सिन्धी समुदाय के बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

इन कक्षाओं के माध्यम से सिन्धी भाषा का उपयोग एवं प्रचलन बढ़ाने के साथ-साथ सिन्धी संस्कृति, गीत-संगीत एवं उत्कृष्ट परम्पराओं को नई पीढ़ी तक पहुॅंचाने का भी सार्थक प्रयास किया गया। इस पुनीत कार्य में हिरण मगरी सिन्धी पंचायत एवं समाज के अन्य संगठनों का सहयोग एवं योगदान भी सराहनीय रहा।

एक माह की कक्षा-सत्र का समापन रविवार दि. 17.06.17 को ‘सांस्कृतिक-संध्या‘ के रूप में किया गया।

कार्यक्रम का आरम्भ अतिथियों द्वारा भगवान श्री झूलेलाल की तस्वीर का मार्ल्यापण एवं दीप प्रज्ज्वल कर किया गया। संगत के पदाधिकारियों द्वारा माल्यार्पण कर अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया। समापन समारोह का आगाज़ करते हुएं सचिव श्री शमशेर सिंह नंदवानी ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होने सिन्धी भाषा की वर्तमान स्थिति पर चिन्ता ज़ाहिर करते हुए इसे बचाने एवं प्रसारित करने की जि़म्मेदारी वर्तमान पीढ़ी के अभिभावकों एवं बच्चों को लेने का आव्हान् किया। इसके साथ ही उन्होने समाज के विभिन्न संगठनों द्वारा इस हेतु किये जा रहे प्रयासों में तेजी लाने का भी आव्हान् किया। कार्यक्रम के दौरान अन्य वक्ताओं ने भी सिन्धी बोली एवं लिपि को बढ़ावा देने पर बल दिया। उन्होने बताया कि सिन्धी वो हैं जिन्होने विभाजन के समय अपने घर, ज़मीनें, व्यवसाय एवं सम्पत्ती के स्थान पर सर ज़मीन हिन्दुस्तान को चुनकर देश प्रेम की अतुलनीय मिसाल देते हुए अपना सब कुछ वर्तमान पाकिस्तान में छोड़कर विस्थापित होकर खाली हाथ अपने वतन आए। रोजी-रोटी के प्रयासों में वे समूचे भारतवर्ष में बिखरे, सिन्धी कुछ हद तक अपनी बोली को संभालने में पिछड़ गए। आज के सुस्थापित एवं सम्पन्न सिन्धी समाज को इस कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी ताकि आने वाली पीढि़यॉं इस पुरातन गौरवमयी सभ्यता एवं संस्कृति की धरोहर को आगे ले जा सके।

कक्षाओं के समापन समारोह को बच्चों द्वारा लिये गए सिन्धी भाषा ज्ञान, मनमोहक नृत्यों, बाल कविताओं, ह्द्यस्पर्शी एकल एवं सामूहिक गीतों से सुसज्जित किया गया। हिरण मगरी पंचायत द्वारा कक्षाओं में भाग लेने वाले बच्चों को स्मृति-चिन्ह भेंट किये गये। समाज के उपस्थित विभिन्न वरिष्ठ पदाधिकारियों के प्रेरणादायी उद्बोधनों में भाषा के अधिकाधिक प्रचार-प्रसार एवं नई पीढ़ी तक इसके संवहन के प्रयासों में तीव्रता लाने पर बल दिया गया । इस हेतु सिन्धी पंचायतों, सेन्ट्रल युवा समिति एवं श्री झूलेलाल सेवा समिति ने ऐसे कार्यों को हरसंभव सहयोग एवं समर्थन देने का पुरजोर आश्वासन दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री मुरली राजानी (अध्यक्ष, सिन्धी पंचायत से.न. 3. से 8, उदयपुर ने की एवं मुख्य अतिथि के रूप में श्री लाजपत राय पाहुजा, श्री प्रतापराय चुग (अध्यक्ष पूज्य जैकबाबाद पंचायत), श्री अर्जुन देव केवलरामानी (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, पूज्य सिन्धी साहिती पंचायत) एवं श्री हरीश राजानी (अध्यक्ष, सेन्ट्रल युवा समिति) ने भाग लिया एवं विषिष्ट अतिथि श्री सुखराम बालचंदानी (पूज्य शिकारपुर पंचायत) एवं श्री मनोहर चुग (पूज्य प्रतापनगर सिन्धी पंचायत) ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को स्मरणीय बनाया।

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