पूरब से आये गायकों ने पश्चिम में गाया जोलार गान


पूरब से आये गायकों ने पश्चिम में गाया जोलार गान

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव में मंगलवार शाम बांगलादेश से आय कलाकारों ने ‘‘जोलार गान’’ में अपने साजों के साथ जल, पंछियों और फूलों का जिक्र इस प्रकार मोहक व सुरीले अंदाज में किया कि दर्शक झूम उठे। वहीं भारत की धरती की लोक कलाओं ने अपनी वासंती छटाओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध सा कर दिया।

 
पूरब से आये गायकों ने पश्चिम में गाया जोलार गान

बांगलादेश का मशहूर बैण्ड ‘‘जोलार गान’’

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव में मंगलवार शाम बांगलादेश से आय कलाकारों ने ‘‘जोलार गान’’ में अपने साजों के साथ जल, पंछियों और फूलों का जिक्र इस प्रकार मोहक व सुरीले अंदाज में किया कि दर्शक झूम उठे। वहीं भारत की धरती की लोक कलाओं ने अपनी वासंती छटाओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध सा कर दिया।

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शिल्पग्राम उत्सव-2016 – सिद्दि धमाल नृत्य

शिल्पग्राम में पहली बार रंगमंचीय कार्यक्रम की शुरूआत परदेसी मेहमानों की प्रस्तुति से हुई। जोलार गान से तात्पर्य ‘‘जल का गीत’’ बांगलादेश नदियों वाला देश है वहीं जल जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। यह बांगलादेश का काफी मशहूर बैण्ड है जो रवीन्द्र संगीत के अलावा बाउल गायन परंपरा से प्रभावित है। इनके संगीत में जीवन का उत्साह, उमंग के साथ-साथ जीवन का दर्द भी शमिल है। शिल्पग्राम के रंगमंच पर जैसे ही जोलार गायकों ने प्रवेश किया तो दर्शक दीर्घा में हजारों की संख्या में मौजूद दर्शकों ने करतल ध्वनि से कलाकारों का स्वागत किया।

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शिल्पग्राम उत्सव-2016 ‘सेल्फी टाइम’

इसके बाद मण्डोला, सकताना, वॉयलिन, परकशन, गिटार, पड्डा, केजॉन आदि वाद्य यंत्रों के साथ झूमते मचलते बांगलादेशी कलाकारों ने एक-एक कर गीत सुनाये। हल्की फुलकी हिन्दी बालने व समझने वाले कलाकारों ने अपने आखिरी गीत में दर्शकों से करतल ध्वनि से संगत करने का निवेदन किया तो समूची दीर्घा एक ताल में तालियों से गुजायमान हो उठी। इस दल में राहुल, कनक आदित्य, शेओली भट्टाचाराजा, सैफुल इस्लाम जरनाल, एबीएस ग्जेम, करमूल, आसीर अरमान व शूवो शामिल हैं।

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इसके बाद रंगमंच पर अवतरित हुई भारत लोक शैलियां इनमें गुजरात का राठवा नृत्य जहां आदिम परंपरा का प्रतीक बन सका वहीं गोटीपुवा में भारत की शास्त्रीय शैली का पुट नजर आने के साथ-साथ एक्रोबैटिक किल्स नजर आई। जिसमें नारी वेश में बाल नर्तकों ने अपने कला कौशल का हैरतअंगेज प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में मयूर नृत्य भारत की भक्ति परंपरा का वाहक नृत्य रहा जिसमें भगवान श्री कृष्ण को मयूर रूप में सख्यिों संग रास खेलते हुए दिखाया गया।

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शिल्पग्राम उत्सव-2016

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शिल्पग्राम उत्सव-2016

कार्यक्रम में तमिलनाडु का कावड़ी कड़गम में दैहिक क्रियाओं के साथ कलाकारों ने विभिन्न प्रकार के करतब दिखाए। तविल तथा शहनाई की लयकारी पर तमिल महिलाओं ने अपने नर्तन से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। इस अवसर पर महाराष्ट् का लावणी नृत्य दर्शकों के लिये कफी मनोरंजक प्रस्तुति रही जिसमें नर्तकियों ने अपनी अदाकारियों से दर्शकों को रिझाया। कार्यक्रम में ही मणिपुर का पुंग चोलम मोहक प्रस्तुति रही। मणिपुरी नर्तकों ने एक ताल में एक साथ विभिन्न लयकारी में पुंग बजा कर दर्शकों को झुमाया। कार्यक्रम में ऑडीशा का संबलपुरी नृत्य जहां दर्शकों को भरपूर रास आया वीहीं गुजरात के अफ्रीकी मूल के सिद्दि कलाकारों ने अपनी थिरकन व जोशपूर्ण प्रस्तुति से दर्शकों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।

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शिल्पग्राम उत्सव-2016

उत्सव के सातवें दिन हाट बाजार के विभिन्न चौपालों पर कच्छी घोड़ी नर्तकों व चकरी नर्तकियों की प्रस्तुतियां निहारने के लिये काफी संख्या में लोग आंगन मंच के इर्द गिर्द नजर आये। भुजोड़ी पर राठवा कलाकार वशली व ढोल पर थिरकते नजर आये तो मांगणियार गायकों के पास बैठ कर गीतों की फरमाईश का दौर देर शाम तक चला।दर्पण बाजार में मेवाड़ की गवरी की मांदल व थाली के स्वर रह रह कर दर्शकों को ध्यान खींच रहे थे। हाट बाजार में मंगलवार को हैड बैण्ड, मिट्टी के कलात्मक वस्तुओं के साथ-साथ खुर्जा पॉटरी के बने कलात्मक मग, टी सैट, वुडन की रिंग, पत्थर की मूर्तियों, लकड़ी की फ्रेम्स, डेकोरेटिव टेबल व स्टूल, मधुबनी पेन्टिंग्स आदि के अलावा कृत्रिम आभषण, प्रिशियस स्टोन ज्वैलरी, गर्म वस्त्र आदि के स्टॉल्स पर काफी रौनक रहने के साथ-साथ खरीददारी का दौर जम कर चला।

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