वन्यजीवों को घर में रखने पर छः माह की सजा एवं जुर्माना

वन्यजीवों को घर में रखने पर छः माह की सजा एवं जुर्माना

उदयपुर शहर में वन्यजीव प्रभाग, वन विभाग की रेसक्यू टीम द्वारा शुक्रवार को शहर के दो स्थानों से तीन Rose Ringed Parakeet - Parrot रोज रिंगड़ पेराकीट (तोते) बरामद कर उन्हें गुलाबबाग में छोड़़ा जाकर वन्यजीवों को घर में कैद कर रखनें वालों को पाबन्द किया गया। श्री देवड़ा ने शहरवासियों से आग्रह किया कि जिन लोगों ने ‘‘रोज रिंगड़ पेराकीट‘‘ (तोता), ‘‘प्लम हेडेड़ पेराकीट‘‘ (तोता), स्टॉर टारटॉइज (कछुआ) एवं अन्य प्रजाति के वन्यजीवों को अज्ञानतावश पाल रखा है, वे वन्यजीवों को तीन दिवस में गुलाबबाग स्थित वन विभाग के कार्यालय में सौंप दे, अन्यथा तीन दिवस की अवधि के पश्चात् वन विभाग की रेस्क्यू टीम द्वारा जानकारी के आधार पर उन घरों में दबिश दी जाकर उनके विरुद्ध वन्यजीव सरंक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत् वन्यजीव अपराध दर्ज किया जाएगा जिसमें छः माह का कारावास एवं रूपये 25000 के जुर्माने क

 
वन्यजीवों को घर में रखने पर छः माह की सजा एवं जुर्माना

उदयपुर शहर में वन्यजीव प्रभाग, वन विभाग की रेसक्यू टीम द्वारा शुक्रवार को शहर के दो स्थानों से तीन Rose Ringed Parakeet – Parrot रोज रिंगड़ पेराकीट (तोते) बरामद कर उन्हें गुलाबबाग में छोड़़ा जाकर वन्यजीवों को घर में कैद कर रखनें वालों को पाबन्द किया गया।

उप वन संरक्षक (वन्यजीव) शैतान सिंह देवड़ा ने बताया कि तोतों को घर में पालना वन्यजीव अपराध की श्रेणी में आता हैं। अनभिज्ञतावश जिन लोंगों ने घर में तोते रखे थे, इन्हें वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत् उक्त कृत्य वन्यजीव अपराध होने की जानकारी प्राप्त होते ही उन्होनें रेसक्यू टीम को तोते सहर्ष सौंप दिये एवं भविष्य में घर में वन्यप्राणियों को नहीं रखने की प्रतिज्ञा ली।

श्री देवड़ा ने शहरवासियों से आग्रह किया कि जिन लोगों ने ‘‘रोज रिंगड़ पेराकीट‘‘ (तोता), ‘‘प्लम हेडेड़ पेराकीट‘‘ (तोता), स्टॉर टारटॉइज (कछुआ) एवं अन्य प्रजाति के वन्यजीवों को अज्ञानतावश पाल रखा है, वे वन्यजीवों को तीन दिवस में गुलाबबाग स्थित वन विभाग के कार्यालय में सौंप दे, अन्यथा तीन दिवस की अवधि के पश्चात् वन विभाग की रेस्क्यू टीम द्वारा जानकारी के आधार पर उन घरों में दबिश दी जाकर उनके विरुद्ध वन्यजीव सरंक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत् वन्यजीव अपराध दर्ज किया जाएगा जिसमें छः माह का कारावास एवं रूपये 25000 के जुर्माने का प्रावधान निहित है ।

वन्यजीव अधिनियम के तहत् शेड्यूल वन्यजीवों को घर में पालना, पिंजरों में कैद रखना एक गंभीर प्रकृति का अपराध है अतः भविष्य में किसी वन्यप्राणी को कैद कर के नहीं रखें।

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