हार्टफुलनेस से स्मार्ट बनेंगे स्मार्ट सिटी के लोकसेवक
जिला कलक्टर कार्यालय उदयपुर एवं हार्टफुलनेस संस्थान द्वारा तनावमुक्त व प्रसन्नचित जीवन विषयक ध्यान पर तीन दिवसीय (प्रति दिन एक घण्टा) कार्यशाला का शुभारम्भ बुधवार को जिला परिषद सभागार में
जिला कलक्टर कार्यालय उदयपुर एवं हार्टफुलनेस संस्थान द्वारा तनावमुक्त व प्रसन्नचित जीवन विषयक ध्यान पर तीन दिवसीय (प्रति दिन एक घण्टा) कार्यशाला का शुभारम्भ बुधवार को जिला परिषद सभागार में हुआ।
आईआईटी कानपुर से सेवानिवृत्त व हार्टफुलनेस संस्थान चैन्नई के वरिष्ठ प्रशिक्षक के.के. सक्सेना ने ध्यान की जीवन में आवश्यकता व उससे होने वाले फायदों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। हार्टफुलनेस संस्थान के उदयपुर केन्द्र के प्रभारी डॉ. राकेश दशोरा ने बताया की प्रशिक्षक मुकेश कलाल ने शुरूआत में 5 मिनिट रिलैक्सेशन करवाने के बाद प्राणाहुति के माध्यम से कलेक्ट्रेट कार्यालय के अधिकारी व कर्मचारियों को ध्यान अभ्यास का अनुभव करवाया गया। इस दौरान एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ.राजेश भारद्वाज सहित कलेक्ट्रेट कार्यालय के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे। गुरुवार को सफाई व ध्यान से संस्कारों को हटाकर सरल व निर्मल बनने एवं शुक्रवार को स्वयं के अर्न्तमन से जुडने का अभ्यास करवाया जाएगा। इस दौरान प्रशिक्षक मोहनलाल बोराणा, मधु मेहता, पुनीत शर्मा, रश्मि कौशिश, जतिन भट्ट, कर्नल गांधी, सुबोध शर्मा, प्रफुल गांधी व दीपक शेट्टी ने सेवाएं दी । ध्यान के बाद मौजूदा अधिकारी व कर्मचारियों के ध्यान से जुडे सवालों के जवाब भी दिए गए। शिविर का सत्रारंभ गोगुन्दा के उपखण्ड अधिकारी मुकेश कलाल ने किया।
हार्टफुलनेस कार्यक्रम की विशेषताएं
श्री कलाल ने बताया कि हार्टफुलनेस ध्यान पद्धति में ध्यान, सफाई ध्यान व प्रार्थना ध्यान महत्वपूर्ण अंग हैं जिनका तीनों दिन अभ्यास कराया जाएगा। इसकी बारीकियों को जानने के पश्चात अभ्यासी स्वयं साधना करते हुए अन्य जनों को भी इसका अभ्यास करा दक्षता प्रदान कर सकते हैं।
साधना में आने वाले व्यवधान एवं इनका समाधान तीन सत्रों में स्थाई तौर पर किया जाना है। अभ्यासी स्वयं साधना के लिए समर्थ हो जाता है। प्राणाहुति ऊर्जा पर आधारित ध्यान पद्धति है जो व्यक्ति में रूपान्तरण लाती है और व्यक्ति पशु जीवन से मानव जीवन और मानव से दिव्य जीवन की ओर अग्रसर होता है। संतुलित जीवन जीने के लिए आवश्यक मानवीय गुणों का विकास स्थायी तौर पर चरित्र में स्थापित होता है।
इसमें व्यक्ति, व्यक्ति के विचार, कार्यशैली, जीवन शैली और व्यवहार में परिवर्तन स्वतः दृष्टिगोचर होता है। अतः यह परिवर्तन का साधन है, हृदय से हृदय में प्राणाहुति ऊर्जा का संप्रेषण होने के कारण इसे हार्टफुलनेस ध्यान पद्धति के रूप में जाना जाता है। जो हृदय परिवर्तन पर आधारित है।
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