स्मार्ट सिटी था उदयपुर


स्मार्ट सिटी था उदयपुर

आज़ादी के बाद उदयपुर ने क्या खोया -क्या पाया तथा क्या हो स्वरुप विषय पर डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट में मंगलवार को आयोजित संवाद में विशद विष्लेषण हुआ। स्मार्ट सिटी को परिभाषित करते हुए उदयपुर को स्वछ ,स्वस्थ,समृद्ध बनाने का आह्वान किया गया।

 
स्मार्ट सिटी था उदयपुर

आज़ादी के बाद उदयपुर ने क्या खोया -क्या पाया तथा क्या हो स्वरुप विषय पर डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट में मंगलवार को आयोजित संवाद में विशद विष्लेषण हुआ। स्मार्ट सिटी को परिभाषित करते हुए उदयपुर को स्वछ ,स्वस्थ,समृद्ध बनाने का आह्वान किया गया।

विद्याभवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने कहा कि उदयपुर स्मार्ट सिटी थी। उदयपुर एस अर्थात सेफ वाटर एंड सेनिटेशन (स्वच्छ पेयजल व जल मल निस्तारण), एम अर्थात माउंटेन्स व हिल्स (पहाड़, पहाड़िया ),ए से एक्वेटिक रिचार्ज (भूजल पुनर्भरण),आर से रीवर व लेक्स (नदिया व झीले) ,तथा टी से ट्रेडिशन एंड कल्चर (संस्कृति व परम्पराए ) का एक जीवंत शहर था। वर्त्तमान में उदयपुर यह स्वरुप खो रहा है। उदयपुर को पुनः ईको स्मार्ट सिटी बनाने से ही समग्र विकास होगा।

संवाद में शिक्षा व पानी के सन्दर्भ में विचार रखते हुए शिक्षाविद डॉ एस भी लाल ने कहा कि उदयपुर में शिक्षा का विस्तार व्यावसायिक दृष्टिकोण व मुनाफे पर केंद्रित है , गुणवत्ता व मूल्य गौण हो गए है।

सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि उदयपुर नागरिकता व स्वेच्छिकता का केंद्र था। आज़ादी के बाद इसमें कुछ विरलता आई लेकिन गांधी मूल्यों से ओतप्रोत संस्थाओ ने विगत वर्षो में उदयपुर में इन मूल्यों को पुनर्स्थापित करने के प्रयास प्रारम्भ किये है।

संवाद की अध्यक्षता करते हुए वास्तुविद बी एल मंत्री ने उदयपुर को ग्रीन सिटी के रूप में विकसित करने का आग्रह किया। गांधीवादी सुशील दशोरा तथा भूजल आयोग के पूर्व निदेशक ओ पी माथुर ने भूजल दोहन को नियंत्रित करने की आवश्यकता बतलायी।

एडवोकेट महेंद्र मेहता ने सभी को आवास ,पर्याप्त सड़क मार्ग तथा पहाड़ सुरक्षा की उत्तरदायी पूर्ण कार्य योजना का प्रारूप प्रस्तुत किया। चांदपोल नागरिक समिति के तेज शंकर पालीवाल तथा मोहन सिंह चौहान ने झील विकास प्राधिकरण में वास्तविक नागरिक सहभागिता की मांग की।

मत्स्य विभाग के पूर्व उपनिदेशक ईस्माइल अली दुर्गा व झील हितेषी मंच के हाँजी सरदार मोहम्मद ने स्वतंत्रता के पश्चात प्राकृतिक संसाधनो की उपेक्षा व खिलवाड़ पर दुःख व्यक्त किया। वरिष्ठ नागरिक सोहन लाल तम्बोली एवं प्रकाश तिवारी ने शहर की केरिंग केपेसिटी , धारण क्षमता के अनुरूप विकास योजनाये बनाने की माग की।

क्रिकेटर लियाकत अमन तथा ज्वाला संस्थान के भंवर सिंह राजावत ने शिक्षा तथा भू माफिया पर नियंत्रण की जरुरत बताई। शिक्षाविद बी एल कुकड़ा , पहल संस्था की ज्योत्सना झाला तथा सत्यपाल सिंह डोडिया ने विरासत संरक्षण पर जोर दिया।

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