महकते किरदार


महकते किरदार

बात बहुत सीधी सी है कि हम कुछ लोगों से प्रभावित होकर, या फिर उनकी कुछ कही-अनकही बातों को अपने मन में उतारकर उन पर अमल करते हैं तो कभी न कभी हम भी स्वयं ऐसे बन जाते हैं या ढल जाते हैं कि हम भी अन्य लोगों के लिए किसी न किसी अच्छाई की मिसाल बन जाते हैं। ज़ाहिर है कि किसी के किरदार की महक हमारे

 
महकते किरदार “खुशबू आपके कपड़ों से नहीं आपके किरदार से आनी चाहिए”

उपरोक्त कथन पर निगाह पड़ी तो यादों के पन्नों को सराबोर करती एक भीनी सी महक साथ चली आई और मन विचारों में लीन हो गया। इस तरह की ना जाने कितनी खूबसूरत बातें हम सभी ने किसी न किसी से सीखी हैं, मगर ऐसी बातें तंग हो चली ज़िन्दगी में भुला दी जाती हैं। इस समय मेरे ज़हन में कोई बड़ी हस्ती तो है ही नहीं। ये ‘बड़े’ लोग तो बच्चों से लेकर बड़ों के लिए लिखी गई किताबों में मौजूद रहते हैं, मेरे ज़हन में तो वो लोग हैं जो हमसे व्यक्तिगत तौर पर सम्बंधित हैं या ‘थे’! हमारे ‘अपने !

ये ‘अपने’ शब्द स्वयं के भीतर कितने मायने रखता है। परिवार के कुछ सदस्य, कुछ दोस्त, कुछ जो दिल की गहराइयों से हमें अपना मानते हैं और जिन्होंने हमारे व्यक्तित्व पर जाने-अनजाने कुछ प्रभाव छोड़े हैं। बात बहुत सीधी सी है कि हम कुछ लोगों से प्रभावित होकर, या फिर उनकी कुछ कही-अनकही बातों को अपने मन में उतारकर उन पर अमल करते हैं तो कभी न कभी हम भी स्वयं ऐसे बन जाते हैं या ढल जाते हैं कि हम भी अन्य लोगों के लिए किसी न किसी अच्छाई की मिसाल बन जाते हैं। ज़ाहिर है कि किसी के किरदार की महक हमारे अन्दर अपना स्थान बनाने लगती है।

कभी सोचा है कि कितने लोग रहे होंगे हमारे आस-पास जिनसे हमने ना जाने कितनी बातें सीखीं होंगी और अपने फायदे के लिए भी उन को एक दिन के लिए सही मगर अपनाया ज़रूर होगा? नहीं, हम नहीं सोचते और यह बात भूल जाते हैं कि जो कुछ हमने पाया उसका क़र्ज़ हम पर भारी होगा। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि हम अपनी बीती ज़िन्दगी पर नज़र डालें और चिंतन करें कि हमने किस व्यक्ति से क्या सीखा है। ऐसा करके हम उस व्यक्ति के प्रति अपना आभार प्रकट करें तो इससे हमारी अंतरात्मा को एक नई अनुभूति होगी।

हम तो रोज़ कुछ ना कुछ सीखते हैं मगर इस बात को सही रूप में स्वीकार नहीं करते। हम स्वार्थ के बोझ से दबे हुए हैं या फिर अपनी आँखों पर स्वार्थ की पट्टी बांधकर ये भूल गए हैं कि समय पर क़र्ज़ चुकाना ही उचित होता है।

अपने घर के बड़े बुजुर्गों को याद करें जिनसे हम सबने सर्वप्रथम अपनी वाणी और भाषा पर संयम रखना सीखा। ऐसा नहीं है कि हर बात छड़ी पड़ने पर ही सीखी जाती है, या हर बात किताबी पाठ के तौर पर पढ़ाई जाती है, कुछ बातें आचरण के द्वारा भी उदाहरण के रूप में हमारे सामने आती हैं। क्या हमारे बड़े-बुजुर्गों को कभी गुस्सा ना आया होगा , क्या कभी गुस्से में अपशब्द उनकी जुबां पर ना आए होंगे? इन सवालों का एक ही जवाब है “हां”। गुस्सा भी आया होगा और अपशब्द की स्थिति भी बनी होगी, गुस्से में कुछ भी हो सकता है यह हम सब भली-भाँती जानते हैं। किन्तु यदि हम अपनी स्मरण शक्ति पर जोर डालें तो हम शायद ही सोच पायेंगे कि कब हमने अपने बुजुर्गों को अत्यधिक गुस्से में देखा, अपशब्द तो कभी सुने ही नहीं होंगे उनके मुख से। यह उनके संयम का ही उदाहरण हुआ न कि अपनी भाषा और अपने क्रोध पर उन्होंने काबू रखा। इन बातों को अवश्य ही हमने महसूस कर एवं सीख कर अपनी ज़िन्दगी में तो उतारा ही होगा। मगर क्या कभी हमने खुद पर काबू करने का सुन्दर परिणाम पाने के पश्चात् कभी इस बात पर विचार किया कि हमारे इस रवैय्ये के पीछे का राज़ क्या हो सकता है? अगर करें तो समझ में आएगा कि हमारे इस किरदार का आधार क्या है, कहाँ से यह महक उपजी और किस प्रकार हमारे अन्दर उतरी।

बचपन से लेकर जवानी तक की बात करें तो दोस्तों का ज़िक्र करे बगैर वक़्त कैसे गुज़र सकता है? है ऐसा कोई जिसके दोस्त नहीं? और अगर दोस्त नहीं हैं तो ज़िन्दगी जीना तो आया ही नहीं। दोस्तों के साथ हुई खट्टी-मीठी बातों की यादें, कभी कुछ कड़वे पलों की टीस, गुस्सा होकर रूठने मनाने के अनगिनत सिलसिले… वो भी, और जो एक दूसरे की असफलताओं से सीखा, उसका क्या? यह एक बहुत बड़ा सत्य है कि अच्छी संगत हो तो इंसान अच्छा सीखता है , तो सोचिये ना कि दोस्तों से क्या क्या सीखा? यह भी तो हो सकता है कि किसी दोस्त के परिवार से ही कुछ सीखा हो !! किसी के भी व्यक्तित्व की महक आपके ऊपर असर डाल सकती है और इस सत्य को झुठलाने की कोशिश बेकार है। दोस्त की ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव तो आप ही जानते हैं, बाकी दुनिया को क्या पता कि कहाँ क्या चल रहा है? आपने उसकी परेशानियों, संघर्षों, डगमगाते आत्मविशवास और आसमान से ऊंचे सपनों को देखा ही नहीं, बल्कि झेला भी होगा। और क्यों ना झेला हो, दोस्ती निभाना तो परम धर्म होता है। तो जाहिर सी बात है, इन सब बातों से बहुत कुछ सीखा भी होगा, और आपस में विचार-विमर्श कर उसे भी बहुत कुछ सिखाया होगा।

महकते किरदार

यानि कुल मिलाकर बात यह हुई कि आपके किरदार पर प्रभाव तो चहुँ ओर से हुआ ही है। संभव है कि आपने दूसरों के अनुभव से ठान लिया हो कि आपको उनकी गलतियां दोहरानी नहीं है, मगर इस बीच ये बात तो दिमाग में आई ही नहीं होगी कि आपने भी तो अपने हिस्से की ज़िन्दगी जी है। आपसे भी किसी ने कुछ सीखा होगा, किसी ने आपकी बातों के आधार पर और आपके अनुभवों के आधार पर अपना मानस बनाया होगा।

बचपन में अपने घर में काम करने वाली किसी महिला या पुरुष से भी खेलते-कूदते किस्से-कहानी सुने होंगे। कुछ उनकी अपनी ज़िन्दगी के तो कुछ किसी और की ज़िन्दगी के। इन सबसे आपके दिमाग में और कुछ ना सही मगर यह बात ज़रूर आई होगी या शायद आपके माता-पिता के द्वारा आपने समझीं हो कि इंसान किसी भी तबके का हो, संघर्ष उसे बहुत कुछ सिखा देता है, उसकी हिम्मत में या तो इज़ाफा करता है या हिम्मत तोड़ देता है। ये लोग भी हमारी उस फ़ेहरिस्त में शामिल हैं जिनसे हम बहुत कुछ सीखते हैं, हो सकता है कि इनके अनुभवों ने हमें एक नया आयाम दिया हो।

हमारी ज़िन्दगी में कई लोग आते हैं, कई जाते हैं, इस चक्र को हम ना तो रोक सकते हैं ना ही इसे रोका जा सकता है। हर एक किरदार अपनी अलग खूबी, अपनी अलग खासियत लिए होता है। उस नीले आसमान में मौजूद अदृश्य शक्ति ने, जिसे हम भगवान कहते हैं, हमें ऐसा नहीं बनाया कि हम अपने अस्तित्व को अकेले निर्मित कर पायें। हम सब को एक दूसरे से जोड़कर रखने का प्रकृति का यह चक्र इतना अटूट है कि हम इसे नकार नहीं सकते। हम केवल अपने घमंड में चूर होकर ही अपने आप को महान दिखाने की कोशिश और जग में वाहवाही का एकमात्र पात्र बनने की चाह रखते हैं, किन्तु इस चक्र में मौजूद हर एक शक्ति एक दूसरे की पूरक है, चक्र को संपूर्ण बनाने में सहायक है।

कभी सोचकर देखिये कि किसी एक ख़ास काम को करने वाले की गैरमौजूदगी आपकी संपूर्ण कार्य प्रणाली को कितना अव्यवस्थित कर देती है। अब कहिये कि आप स्वयंभू हैं !!! नहीं कह सकते न?

जीवन में मिलने वाला हर इंसान हमारे लिए एक महत्वपूर्ण किरदार है, हर एक किरदार अपनी अलग महक लिए हुए है, हर एक की महक हमारे जीवन में किसी न किसी तरह उतर कर हमें प्रभावित कर, परिवर्तन भी करती है और संतुष्टि का पाठ भी सिखाती है।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal

Tags