उदयपुर शहर के कुछ रोचक तथ्य
आगे और पीछे की तरफ दरवाजा होता है और बीच में जो खाली जगह होती है उसे “पोल” कहते हैं | दुश्मन अचानक अन्दर घुस कर हमला ना कर सके इसके लिए पोल का निर्माण किया गया था | ऊपर की तरफ कम से कम 10 फीट की चौड़ाई वाली जगह बनाई जाती थी जहाँ से दुश्मन पर नज़र रखी जाती थी, इसे शहरकोट कहते हैं | 10 फीट की चौड़ाई रखने का उद्देश्य था कि उसपर हाथी को भी ले जाया सके, आदमी भी चल सके और भारी तोप जैसे हथियार भी ले जाए जा सकें | शहरकोट पर चढ़ने के लिए रैंप नुमा जगह बनाई जाती थी और सीढ़ियां भी होती थी | कोट में छोटी छोटी खिड़कियाँ बनी होती थी जिसमें बन्दूक या तोप का मुंह फंसाकर दुश्मन पर वार किया जाता था |
Chandpole, Udaipur
हर शहर में कुछ जगहों के नाम ऐसे होते हैं जिनका ज़िक्र हम रोज़ करते हैं | इसी तरह की कुछ बात मेरे घर में चल रही थी | शाम को एक बुज़ुर्ग मेहमान के सामने अगले दिन बाज़ार जाने का प्रोग्राम बना था, तो ऐसे ऐसे तथ्य पता चले जिनके बारे में हम अचानक सोच भी नहीं पाते | बात शुरू हुई थी चांदपोल जाने की तो मन में सवाल आया कि आखिर चांदपोल नाम क्यों पड़ा तो कुछ और भी बातें मुझे बताई गईं | सबसे पहले उन्होंने मुझे पोल का असल मतलब बताया |
Hathipole, udaipur
आगे और पीछे की तरफ दरवाजा होता है और बीच में जो खाली जगह होती है उसे “पोल” कहते हैं | दुश्मन अचानक अन्दर घुस कर हमला ना कर सके इसके लिए पोल का निर्माण किया गया था | ऊपर की तरफ कम से कम 10 फीट की चौड़ाई वाली जगह बनाई जाती थी जहाँ से दुश्मन पर नज़र रखी जाती थी, इसे शहरकोट कहते हैं | 10 फीट की चौड़ाई रखने का उद्देश्य था कि उसपर हाथी को भी ले जाया सके, आदमी भी चल सके और भारी तोप जैसे हथियार भी ले जाए जा सकें | शहरकोट पर चढ़ने के लिए रैंप नुमा जगह बनाई जाती थी और सीढ़ियां भी होती थी | कोट में छोटी छोटी खिड़कियाँ बनी होती थी जिसमें बन्दूक या तोप का मुंह फंसाकर दुश्मन पर वार किया जाता था |
‘चांदपोल” नाम इसलिए पड़ा क्योंकि बीज का चन्द्रमा तिथि के अनुसार पश्चिम में उगता है और इस पोल से चाँद को देखा जा सकता था | हिन्दू तिथि के अनुसार बीज को शुभ तिथि माना जाता है |
Surajpole, Udaipur
“सूरजपोल” पूर्व में है यानि सूरज के उगने की दिशा में,जहाँ से हाथी निकल सके वो “हाथीपोल”, “उदियापोल” का नाम महाराणा उदय सिंह के नाम पर रखा गया | अम्बामाता के मंदिर की तरफ आने वाला रास्ता “अम्बापोल” | “ब्रह्मपोल” में कर्मकांडी ब्राह्मणों का निवास स्थान हुआ करता था |
Delhi Gate, Udaipur
एक और बात पता चली कि दिल्ली गेट नाम क्यों रखा गया ? दरवाजे का मुंह दिल्ली की तरफ है इसलिए इसे दिल्ली गेट कहा गया, अर्थात ये रास्ता दिल्ली की तरफ जाता है | ये भी बताया गया कि महाराणा दिल्ली दरवाजे की तरफ जाते ही नहीं थे क्योंकि ऐसा कहा जाता था कि मरेंगे तभी दिल्ली की तरफ मुंह करेंगे |
और सूरजपोल और चांदपोल तो और कई शहरों में भी हैं |
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