‘सभा का सार’ का मंचन


‘सभा का सार’ का मंचन

उदयपुर की नाट्य संस्था “नाट्यांश सोसाइटी ऑफ़ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स” द्वारा नुक्कड़ नाटक सभा का सार का मंचन लगातार दुसरे दिन अल सुबह 6:30 बजे गोवर्धन सागरऔरसंध्या काल में सुखाडिया समाधि पार्क में किया गया। नाटक का मुख्य उद्देश्य जनता तक अपनी बात पहुँचाना है अतः नुक्कड़ नाटक का लगातार मंचन अलग अलग स्थानों […]

 
‘सभा का सार’ का मंचन

उदयपुर की नाट्य संस्था “नाट्यांश सोसाइटी ऑफ़ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स” द्वारा नुक्कड़ नाटक सभा का सार का मंचन लगातार दुसरे दिन अल सुबह 6:30 बजे गोवर्धन सागरऔरसंध्या काल में सुखाडिया समाधि पार्क में किया गया।

नाटक का मुख्य उद्देश्य जनता तक अपनी बात पहुँचाना है अतः नुक्कड़ नाटक का लगातार मंचन अलग अलग स्थानों और अलग अलग समय पर किया जा रहा है; चूँकि नुक्कड़ में हाल में हो रहे ताज़ा मुद्दों पर बात की जाती है अतः जागरूक जनता नुक्कड़ में तल्लीन हो जाती है एवं नुक्कड़ के समापन के साथ कलाकारों के साथ चर्चा में लग जाती है जिसमे कई महत्वपूर्ण मुद्दे और जनता की सरकार एवं समाज से जुडी भावनाये उभर कर सामने आती है।

जैसा कि हम सभी जानते है कि हमारे देश मे हर समस्या का समाधान सभाओं के माध्यम से ही निकलता है, और इन सभाओं में होने वाले खर्चे और घोटालो से भी हम भलिभाँति परिचित है। पर आज भी हमारे देश में एसी ही कई सभाएँ बिना किसी उचित नतिज़े के समाप्त हो जाती है।

‘सभा का सार’ का मंचन

नाट्यांश द्वारा मंचित नुक्कड़ नाटक ‘‘सभा का सार’भी एसे ही विषय पर बात करता है। नुक्कड़ में बताया गया है कि कैसे हम सभाओं में अहम मुद्दे को छोड़कर कई दुसरें मसलों पर चर्चाएं शुरू कर देते है और सभाओं को बिना किसी उचित नतीजे के समाप्त करना होता है। साथ ही हम एसी ही एक नई सभा की योजनाएं शुरू कर देते है।

इस नुक्कड़ के संयोजक मो. रिजवान मंसुरी ने बताया कि नाट्यांश का नाटक सभा का सार का निर्देशन अब्दुल मुबिन खान ने किया और लेखन अमित श्रीमाली द्वारा किया गया है। नाटक के कलाकारों में महेन्द्र ड़ांगी, अब्दुल मुबिन खान, चेतन मेनारिया, श्लोक पिम्पलकर, अमित नागर ने अपने अभिनय की छाप छोडी।

नाटक का सारांश

नुक्कड़ नाटक ‘‘सभा का सार” सरकारी एवं गैर सरकारी महकमें मे अक्सर होने वाली सभाओं पर आधारित हैं, जो बिना किसी उचित नतिजे के समाप्त हो जाती हैं। एसी ही एक सभा “शिक्षा और शिक्षण के नये आयामों” पर चर्चा करने आयें लोग भी शिक्षा सम्बन्धित चर्चा को छोड़ देश में व्याप्त बाकी समस्याओ पर चर्चा कर लौट जाते हैं। जिससे इस सभा में हुआ खर्चा व्यर्थ हो जाता है।

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