165 हैक्टेयर में फैले राज्य के पहले जैव विविधता पार्क का लोकार्पण
उदयपुर में प्रदेश के प्रथम जैव विविधता पार्क का लोकार्पण गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया तथा वन एवं पर्यावरण मंत्री राजकुमार के आतिथ्य में शुक्रवार को हुआ।
उदयपुर में प्रदेश के प्रथम जैव विविधता पार्क का लोकार्पण गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया तथा वन एवं पर्यावरण मंत्री राजकुमार के आतिथ्य में शुक्रवार को हुआ।
सघन हरीतिमा आच्छादित प्रकृति की गोद में 165 हैक्टेयर वन भूमि पर विकसित बायोडायवर्सिटी पार्क का विधिवत फीता काटकर एवं पौधारोपण कर विधिवत लोकर्पण किया गया।
समारोह में जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल, विधायक फूलसिंह मीणा (उदयपुर ग्रामीण), दलीचंद डांगी (मावली), महापौर चन्द्रसिंह कोठारी, उप महापौर लोकेश द्विवेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ.एस.एस.चौधरी, प्रमुख समाजसेवी दिनेश भट्ट, प्रमोद सामर, बड़गांव प्रधान खूबीलाल पालीवाल, मुख्य वन सरंक्षक राहुल भटनागर, आईपीएस मथारू, शिखा मेहरा सहित सैकड़ों की तादाद में गणमान्य मौजूद रहे।
गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि इस पार्क के लिए 2-2 करोड़ नगर निगम व यूआईटी ने तथा एक करोड़ स्वयं के कोटे से देने की व्यवस्था की गई है। इस प्रकार आगामी 5 वर्ष तक 5-5 करोड़ वानिकी विकास के लिए दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि महाराणा प्रताप खेल गांव के लिए 20 करोड़ की स्वीकृति मिल गई है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी उदयपुर नई करवट ले रहा है जहां आगामी तीन वर्षों में 3 हजार करोड़ व्यय किए जाएंगे। उन्होंने महाराणा प्रताप पार्क विकास के लिए मावली विधायक दलीचंद डांगी, सांसद अर्जुनलाल मीणा व सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के 20-20 लाख के आर्थिक सहयोग को अनुकरणीय बताते हुए अन्य दानदाताओं से भी आगे आकर भागीदारी निभाने का आग्रह किया।
श्री कटारिया ने अब यातायात के दबाव से मुक्त हो चुके चीरवा घाटे को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की दिशा में विचार करने की जरूरत बताई। उन्होंने भुवाणा पहाड़ी को भी विकसित कर नया स्थल बनाने की बात कही।
इस मौके पर वन एवं पर्यावरण मंत्री राजकुमार रिणवा ने कहा कि वेदों व पुराणों में भी प्रकृति में ईश्वर का निवास माना गया है। हजारों किलोमीटर लम्बी गंगा के पानी का पूर्णतः निर्मल होना इसका ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि पाश्चात्यीकरण के दौर में हम प्रकृति की महत्ता भूलते हुए टीवी व मोबाइल में खोते जा रहे हैं जो हमारी मानसिकता पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। ऎसे में प्रकृति की गोद में स्थित पेड़ाें वन्य जीवन एवं शुद्ध जलवायु के संपक्र में आने से जहां स्वस्थ जीवन की कल्पना साकार हो सकती है वहीं प्रकृति को स्वस्थ मनोरंजन का विकल्प बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पेड़ो से परमार्थ की सीख मिलती है जो सदैव दूसरों के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करते हैं। उन्होंने बौद्धिक बल से समृद्ध मानव जीवन की सफलता के लिए प्रकृति संरक्षण का संकल्प लेकर परोपकार के कार्य करने की जरूरत बताई।
उन्होंने मेवाड़ क्षेत्र को प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ स्थल बताते हुए कहा कि यहां ईश्वर ने मुक्त हस्त से प्राकृतिक संसाधन मुहैया कराए हैं। इन्हें केवल सहेजने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने आशा जताई कि विद्यार्थियों व शोधार्थियों के लिए यह पाक्र अत्यंत उपयोगी साबित होगा।
समारोह में मावली विधायक दलीचंद डांगी ने पूर्व में दिए 20 लाख के अतिरिक्त 10 लाख रुपये प्रतिवर्ष जैव विविधता पार्क के लिए विधायक मद से दिये जाने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने बताया कि सांसद अर्जुनलाल मीणा ने भी 10 लाख अतिरिक्त पाक्र के लिए देने की घोषणा की है।
आरंभ में स्वागत उद्बोधन में उपवन संरक्षक ओ.पी.शर्मा ने बताया कि 165 हैक्टेयर प्रकृति की गोद में विस्तारित राजस्थान का पहला बायोडायवर्सिटी पार्क है। यहां एडवेंचर स्पोर्ट्स, जलमृदा संरक्षण, एनीकट, पिकॉक ट्रेल, विभिन्न वानस्पतिक प्रजातियां, पशु पक्षी आदि की जानकारी विद्यार्थियों एवं आमजन को मिल सकेगी। एडवेंचर स्पोर्ट्स की आय से पार्क का विकास एवं संधारण का कार्य संभव हो सकेगा। यहां बच्चों के लिए स्पोटर््स एवं शिक्षण भी आकर्षण के केन्द्र रहेंगे।
पौधरोपण
इस मौके पर मंत्री श्री कटारिया ने अशोक तथा श्री रिणवा ने बोरसली के पौधों का मंत्रोच्चार एवं पूजन कर विधिवत रोपण किया।
डांगी व धूत का अभिनंदन
समारोह में मावली विधायक दलीचंद डांगी एवं सद्भाव कंस्ट्रक्शन कंपनी के वित्तीय प्रबंधक का पगड़ी एवं उपरने से अभिनंदन किया गया।
पाक्र की विशेषताएं
जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध इस पार्क में 63 वृक्ष प्रजातियां, 30 झाड़िया, 37 लताएं, 117 शाक, 38 घास, 3 परजीवी सहित 2 टेरिडोफाइट्स की प्रजातियों में चंदन, गूगल व कड़ाया जैसी दुर्लभ प्रजातियां एवं कई फलदार एवं औषधीय वनस्पति मौजूद है। यहां पैंथर सेही, लोमड़ी, सियार, जरख तथा सरिसर्प एवं पक्षियों की कई प्रजातियां निवासरत है।
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