दु:ख का कारण तनाव: श्रमणी सुवत्सलमती


दु:ख का कारण तनाव: श्रमणी सुवत्सलमती

हिरण मगरी सेक्टर 11 आदिनाथ भवन में आचार्यश्री कनकनन्दीजी गुरूदेव की शिष्या श्रमणी सुवत्सलमती माताजी ने प्रात:कालीन धर्मसभा में उपस्थित श्रावकों को कहा कि संसार में मनुष्य के दुखों का मूल कारण तनाव है। यह तनाव मनुष्य स्वयं पैदा करता है।

 

हिरण मगरी सेक्टर 11 आदिनाथ भवन में आचार्यश्री कनकनन्दीजी गुरूदेव की शिष्या श्रमणी सुवत्सलमती माताजी ने प्रात:कालीन धर्मसभा में उपस्थित श्रावकों को कहा कि संसार में मनुष्य के दुखों का मूल कारण तनाव है। यह तनाव मनुष्य स्वयं पैदा करता है।

प्रत्येक मनुष्य सुख तो चाहता है लेकिन उसके अनुरूप कार्य नहीं करता है। इसीलिए वर्तमान में मनुष्य संवेदनशीलता के अभाव में दुखी हो कर तनाव में जी रहा है और उसके दुखों का मूल कारण है। उन्होंने कहा कि आज मनुष्य के पास समय नहीं है, खासकर प्रभु की भक्ति और उनके भजन करने के लिए। अगर मनुष्य दिन रात के पूरे 24 घंटों मेें से कुछ मिनिट ही प्रभु की आराधना में लगाए, उनका वन्दन करे तो वह काफी सारे दुखों से निजात पा सकता है। लेकिन ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है।

मनुष्य मन्दिर में आएगा, प्रभु के सामने खड़ा रह कर भक्ति- आराधना का ढोंग तो करेगा लेकिन उसका मन कहीं ओर ही होगा। इसलिए चाहे दो मिनिट ही सही, प्रभु की आराधना करो, लेकिन पूरे मनोयोग से करो, तो प्रभु आपकी जरूर सुनेगा। आप दिनभर तनाव मुक्त और तरोताजा रहोगे। यही सुख प्राप्ति का मार्ग है।

प्रचार प्रसार मंत्री पारस चित्तौड़ा ने बताया कि आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनन्दीजी गुरूदेव से शैक्षणिक ज्ञानार्जन करने के लिए कई जिज्ञासू रोजाना आ रहे हैं और उनसे प्रश्नमंच के माध्यम से ज्ञानार्जन कर लाभान्वित हो रहे हैं। शनिवार को भी मेवाड़- वागड़ क्षेत्र से कई श्रावक- श्राविकाएं आदिनाथ भवन पहुंचे, जिन्होंने गुरूदेव से आशीर्वाद प्राप्त कर ज्ञानार्जन किया।

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