विधार्थियों ने जानी एयरोस्पेस रक्षा तकनीक – गिट्स में राष्ट्रीय संगोष्ठी


विधार्थियों ने जानी एयरोस्पेस रक्षा तकनीक – गिट्स में राष्ट्रीय संगोष्ठी

गीतांजली इंस्टीटयूट आफ टेक्नीकल स्टडीज (गिट्स ), डबोक में मंगलवार को आयोजित ‘एयरोस्पेस टेक्नोलाजी इन डिफेन्स’ में विधार्थियों ने उत्साह व उमंग से भाग लिया। वहीं इसरो व डीआरडीओ से आए वरिष्ट वैज्ञानिकों ने तकनीकी बिंदुओ को समझाते हुए विधार्थियों की अंतरीक्ष रक्षा तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं वैज्ञानिकों ने विधार्थियों […]

 

विधार्थियों ने जानी एयरोस्पेस रक्षा तकनीक – गिट्स  में राष्ट्रीय संगोष्ठी

गीतांजली इंस्टीटयूट आफ टेक्नीकल स्टडीज (गिट्स ), डबोक में मंगलवार को आयोजित ‘एयरोस्पेस टेक्नोलाजी इन डिफेन्स’ में विधार्थियों ने उत्साह व उमंग से भाग लिया। वहीं इसरो व डीआरडीओ से आए वरिष्ट वैज्ञानिकों ने तकनीकी बिंदुओ को समझाते हुए विधार्थियों की अंतरीक्ष रक्षा तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं वैज्ञानिकों ने विधार्थियों में देश के लिए कुछ नए रिचर्स एवं डवलपमेंट कर देश सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने व रक्षा क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने की प्रेरणा दी। संगोश्ठी में राजस्थान टेक्नीकल यूनिवर्सिटी, कोटा, बालाजी पालिटेक्नीक कालेज, उदयपुर, सीटीएर्इ उदयपुर व जयपुर के इंजीनियरिंग कालेज के विधार्थियों ने भाग लिया। संगोश्ठी में नर्इ तकनीक, उच्च षिक्षा, अनुषासन, इसरो व अंतरिक्ष सस्थानों के अनुभवों को वैज्ञानिकों ने विधार्थियों के साथ बांटा।

संगोश्ठी के शुरुआत गीतांजली एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष जे.पी अग्रवाल, निदेशक अंकित अग्रवाल, गीतांजली यूनिवरसिटी के वाइस चांसलर आर.के. नाहर, डायरेक्टर बी.एल. खमेसरा, मुख्य अतिथि डा. एस. आर. बालकृश्णन, डा. ए. रमन, डा. लक्ष्मी रमन, बी.एल. जांगीड़ ने दीप प्रज्जवलित कर की। गोश्ठी में बालाजी पालिटेक्नीक कॉलेज के आर.पी. व्यास व एनसीसी आफिसर देवपालसिंह भी अतिथि के रूप में शामिल हुए। डा. ए. रमन ने अतिथियों का स्वागत किया।

दूसरे सत्र में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिश्ठान के पूर्व अतिरिक्त निदेषक डा. एस. आर. बालकृश्णन ने जासूसी उपकरणों, उपग्रहों, दुश्मन के बारे में आंकडे एकत्रित करने की तकनीक, दुश्मनों की संख्या की जानकारी प्राप्त करने की नवीन तकनीकों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने पूराने एयरक्राफ्ट यू-2, एसआर 71 (ब्लैकबर्ड) के बारे में बताते हुए जासूसी विमान व जासूसी उपग्रहों में अंतर बताया। विमानों के वेग, गुरूत्वाकशर्ण का प्रभाव विमानों की गति, प्रक्षेपण, तकनीकी चुनौतियों, उपग्रह प्रक्षेपण के सिस्टम के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि जासूसी उपग्रहों के माध्यम से ही पोकरण में किए गए परमाणु परीक्षण की जानकारी अन्य देषों तक नहीं पहुंच पार्इ थी। उन्होंने भारत व अन्य देशो के जासूसी उपग्रहों के कार्य तकनीक की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत करने की आवष्यकता है। इसके लिए विधार्थियों को नए रिसर्च कर नर्इ तकनीक का र्इजाद करना होगा।

विधार्थियों ने जानी एयरोस्पेस रक्षा तकनीक – गिट्स  में राष्ट्रीय संगोष्ठी

संगोश्ठी के तीसरे सत्र में इसरो की वरिश्ठ वैज्ञानिक लक्ष्मी रमन ने आर्इसीबीएम (अंतरमहाद्वीपीय बेलास्टीक मिसाइल) के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि मिसाइल किस तरह लक्ष्य की ओर बढ़ती है। मिसाइल को मैदान, जहाज, एयरक्राफ्ट, नौ सेना के जहाज से आदि छोड़कर दुष्मनों पर वार किया जाता है। उन्होंने आर्इसीबीएम के इतिहास, मिसाइल की गति, र्इधन, आवाज आदि के आंकडे प्रस्तुत किए। इसरो द्वारा अब तक छोड़े गए उपग्रहों व इतिहास के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह जेट विमान से मिसाइल को लक्ष्य की ओर भेजा जाता है। हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, आधुनिक बेलासिटक मिसाइल, अगिन मिसाइल, भारत व अन्य देषों द्वारा बनार्इ गर्इ मिसाइलों के बारे में विस्तार से बताया।

चौथे सत्र में श्री हरिकोटा के वरिश्ठ वैज्ञानिक ए. रमन ने एयरक्राफ्ट की लैंडिग, टेकआफ, नियंत्रण के बारे में बताते हुए मानव रहित विमान ड्रोन के बारे विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह हजारों किलोमीटर की दूरी से ड्रोन जैसे मानव रहित विमान को नियंत्रित कर लक्ष्य भेदन किया जाता है। ऐसे विमान केवल अपने लक्ष्य को भेदते है आसपास के क्षेत्र में इससे नुकसान नहीं होता है। उन्होंने बताया कि भारत में वर्तमान में कोर्इ भी मानव रहित विमान नहीं है। इस पर अभी अनुसंधान जारी है। अमरीका ने ड्रोन विमान के माध्यम से खुद को शक्तिशाली बनाया है । उन्होंने मानव रहित विमान के कार्य करने की तकनीक, नियंत्रित करने की तरीके, भविश्य में आने वाली तकनीकों व समस्याओं के बारे में समझाया। इस अवसर फोटो निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गर्इ।

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