छात्र छात्राओं ने सीखी हैण्डमेड पेपर कला


छात्र छात्राओं ने सीखी हैण्डमेड पेपर कला

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से ‘‘हस्त निर्मित कागज़ (हैण्डमेड पेपर) शिल्प कला’’ पर आयोजित कार्यशाला में स्कूली छात्र छात्राएँ गहरी रूचि ले रहे हैं, इनके लिये कागज़ बनाना किसी रोमांचक खेल से कम नहीं।

 

छात्र छात्राओं ने सीखी हैण्डमेड पेपर कला

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से ‘‘हस्त निर्मित कागज़ (हैण्डमेड पेपर) शिल्प कला’’ पर आयोजित कार्यशाला में स्कूली छात्र छात्राएँ गहरी रूचि ले रहे हैं, इनके लिये कागज़ बनाना किसी रोमांचक खेल से कम नहीं।

शिल्पग्राम के संगम सभागार के समीप बने गड्डे में लुग्दी के घोल से छपरी पर कागज का सृजन शिल्पग्राम में आने वाले बालकों तथा छात्र छात्राओं के लिये किसी रोमांच से कम नहीं है। मंगलवार को मीरा गर्ल्स कॉलेज के नेचर क्लब की दो दर्जन से ज्यादा छात्राओं ने अकबर बेग कागजी व उनके साथियों से रद्दी से कागज़ बनाने की प्रक्रिया सीखी व फिर छपरी पर खुद हाथ आजमाये।

इस अवसर पर पहले लुग्दी (पल्प) तैयार करने की प्रक्रिया को छात्राओं ने बारीकी से समझा फिर लुग्दी के घोल से भरे कुण्ड पर शिल्पकार ने उन्हें हैण्डमेड कागज़ बनाने का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद छात्राओं ने शिल्पकार से छपरी ले कर हौद में डुबो कर कागज़ बनाया व उसे सूखने के लिये रखा। नेचर क्लब की छात्राओं ने बताया कि इस प्रक्रिया कागज़ बनाना तथा उससे विभिन्न वस्तुएँ सृजित करना हमें नेचर के ओर करीब ले जाता है वहीं प्रकृति के सृजन का पुनः चक्रण होता है।

कार्यशाला में ही राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय पुलां के छात्रों ने भी कागजी बन्धुओं से पूरी प्रक्रिया का प्रशिक्षण लिया। तकरीबन रोजाना शिल्पग्राम जाने वाले ये बच्चे इस कला की बारीकियों को समझ कर उससे कागज़ बनाने का उद्यम चलाने की इच्छा रखते है।

कार्यशाला में कागज़ की लुग्दी से खिलौने व मुखौटे बनाये जा रहे हैं वहीं इसे पेपर बैग्स, लिफाफे आदि भी सृजित किये गये हैं।

उल्लेखनीय है कि घोसुण्डा की इस विलुप्त कला को पुर्नजीवन देने के लिये केन्द्र ने पहल की तथा भावी पीढ़ी को इस कला की जानकारी देने का प्रयास किया है।

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