सफलता की कहानी, विश्रान्ति गृह लाया खुशियों का पैगाम


सफलता की कहानी, विश्रान्ति गृह लाया खुशियों का पैगाम

एक समय था जब सुखेर गाँव के ग्रामवासी अपने सामाजिक, धार्मिक एवं अन्य सामुहिक व व्यक्तिगत कार्यो के लिए परेशान रहते थे। गाँव में कोई भी ऐसा स्थान नहीं था जहां वे अपने कार्यक्रम आयोजित कर सके।

 

सफलता की कहानी, विश्रान्ति गृह लाया खुशियों का पैगाम

एक समय था जब सुखेर गाँव के ग्रामवासी अपने सामाजिक, धार्मिक एवं अन्य सामुहिक व व्यक्तिगत कार्यो के लिए परेशान रहते थे। गाँव में कोई भी ऐसा स्थान नहीं था जहां वे अपने कार्यक्रम आयोजित कर सके।

ग्रामवासियों की इसी मांग को देखते हुए आधारभूत विकासीय योजना के तहत सांसद कोष से एक अच्छा विश्रान्ति गृह बनाने के लिए 3 लाख रुपये की राशि वर्ष 2011-12 में स्वीकृत की गई। राशि स्वीकृत होते ही मानो ग्रामवासियों को खुशियों के पंख लग गए। उन्होंने कार्यकारी ऐजेन्सी ग्राम पंचायत सापेटिया को यह कार्य शीघ्र प्रारम्भ करने को कहा। देखते ही देखते काम शुरू हुआ, गाँव के ही लोगों को रोजगार मिला और 42 ग् 13 फीट आकार का एक विश्रान्ति गृह का निर्माण पूरा कर लिया गया है। विश्रान्ति गृह का निर्माण गॉव के सुखेरिया जी बावजी के पास कराया गया है।

पंचायत समिति बडगॉव की ग्राम पंचायत सापेटिया के सुखेर गाँव के ग्रामवासी आज विश्रान्ति गृह की सुविधा का पूरा लाभ लेकर प्रसन्न हैं। उनकी समस्या का निदान हुआ और वे अपने सभी सामुहिक व व्यक्तिगत सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन यहां करने लगे हैं।

निवेदन है कि बुधवार 21 नवम्बर 2012 को राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती दीपक कालरा सांय 4.30 बजे जिला परिषद् सभागार में बाल अधिकारों के सम्बन्ध में पत्रकारों व मीडिया से संवाद करेंगी।

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