अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष एवं स्वास्थ्य महासम्मेलन का सफल समापन
देव वरूण शोध संस्थान एवं सार्वजनिक प्रन्यास व गीतांजली यूनिवर्सिटी, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष एवं स्वास्थ्य महासम्मेलन 2016 के अंतिम दिन 13 मार्च को समापन समारोह गीतांजली यूनिवर्सिटी में हुआ।
देव वरूण शोध संस्थान एवं सार्वजनिक प्रन्यास व गीतांजली यूनिवर्सिटी, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष एवं स्वास्थ्य महासम्मेलन 2016 के अंतिम दिन 13 मार्च को समापन समारोह गीतांजली यूनिवर्सिटी में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला पुलिस अधीक्षक, उदयपुर राजेन्द्र गोयल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता गीतांजली मेडिकल कॉलेज के सीईओ अंकित अग्रवाल ने की। विशिष्ट अतिथि एमपीयूएटी के वाइस चांसलर उमा शंकर, पं ़रघुनाथजी आचार्य गुजरात, ज्योतिबेन भट्ट मुंबई व चंद्रशेखर जी शास्त्री मुंबई मौजूद थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजेन्द्र जी गोयल ने ज्योतिषियों से कहा कि ज्योतिष व चिकित्सा विज्ञान एक दूसरे के पूरक होकर कार्य करें तो ज्यादा कारगर होकर समाज का भला कर पाएंगें।
आयोजन अध्यक्ष निरंजन भट्ट ने अतिथियों का स्वागत किया व कहा कि पानी का उपयोग शरीर के लिए काफी उपयोगी है व हस्तरेखा विज्ञान के तहत उन्होंने बताया कि छोटे नाखून होने पर ब्लडप्रेशर का रोग अवश्य होता है और उन्हें उससे संबंधित सावधानियां बरतनी चाहिए।
पहले सत्र में ’हृदय रोगों’ पर राजेन्द्र अधिकारी ने कहा कि जब छठें घर का नक्षत्र पूर्वाषाढ़, स्वाति, उत्तर भाद्रपद, हस्त एवं पूर्व भाद्रपद 1,2,3 चरण हो तब नवजात शिशुओं में जन्मजात हृदय रोग होने की संभावना सर्वाधिक होती है। छठें भाव में यदि केतु मीन राशी में हो या शनि तुला राशी में हो, या गुरू कर्क राशी में हो तब नवजात शिशुओं में यह संभावना बनती है। दिल्ली के भारत भूषण सरदाना ने कहा कि यदि हृदय रेखा में द्वीप हो और मस्तिष्क रेखा टुटी हुई हो तो बायपास सर्जरी की संभावना होती है। जिस व्यक्ति की जीवन रेखा स्पष्ट होती है, तो कोई भी बीमारी आने पर भी उसका इलाज हो जाएगा। साथ ही बताया कि यदि सारी उंगलियां मोटी हो तो मधुमेह हो सकता है। डॉ चंद्रशेखर जी शास्त्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि अग्नि के माध्यम से मंत्र का मन से उपयोग करें तो वह मंत्र सार्थक होकर रोग मुक्ति दिलाने में सफल हो सकता है। अभिषेक जोशी ने मृत्युपर्रान्त अपनी किडनी दान की घोषणा की।
दिल्ली के डॉ श्याम नागपाल, एमएमबीबीएस, डीएनबी ने कहा कि रोगों के उपचार के लिए मेडिकल साइंस का उपयोग तो होता ही है, किंतु पूर्ण रूप से निराकरण करने के लिए अध्यात्म व ज्योतिष की भी आवश्यकता होती है। उन्होंने पूर्वजन्म रिग्रेशन के बारे में बताते हुए कहा कि मन की तीन अवस्थाएं कोन्शियस, सबकोन्शियस व प्रीमिटिव होती है। मोस्को की ओल्गा केपल्को ने बताया कि तनाव शरीर में ऊर्जा को अवरोध करती है जो कि दर्द एवं रोग को पैदा करते है। अतः कुंडली के माध्यम से किस प्रकार की ऊर्जा का ब्लॉक हो रहा है उसकी जानकारी प्राप्त करते हैं और उन्हें मॉनिटर कर रोगों का इलाज संभव है। इनके अतिरिक्त सुषमा दिवाकर, प्रेमा चण्डालिया, महेश चन्द्र शर्मा आखिरी सत्र में अनिल शर्मा, सचिन्द्र बरूआ, उमा दशोरा व अंजना गुप्ता ने किडनी रोगों पर चर्चा की व प्रमिला गुप्ता ने लिवर रोगों पर वाचन किया।
इस अवसर पर जोधपुर ज्यातिष परिषद् ने पं निरंजन भट्ट को अभिनन्दन पत्र देकर सम्मानित किया। साथ ही मुख्य अतिथियों द्वारा नक्षत्र लोक ज्योतिष विज्ञान शोध संस्थान जोधपुर के तिथि दर्पण कैलेंडर का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित ज्योतिषियों को कार्यक्रम अध्यक्ष पं निरंजन भट्ट, गीतांजली के जीएम एचआर राजीव पण्ड्या, वित नियंत्रक रोशन जैन ने प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
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