हृदय की दोनोें बड़ी नाडि़यों के कनेक्शन का किया सफल ऑपरेशन
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गांधी व उनकी पूरी टीम ने चंद दिनों के पैदा हुए नवजात शिशु के हृदय के विकार जिसमें दोनों बड़ी नाडि़यां आपस में जुड़ी थी, उसका जटिल ऑपरेशन किया जिससे शिशु के जीवन का खतरा टला।
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गांधी व उनकी पूरी टीम ने चंद दिनों के पैदा हुए नवजात शिशु के हृदय के विकार जिसमें दोनों बड़ी नाडि़यां आपस में जुड़ी थी, उसका जटिल ऑपरेशन किया जिससे शिशु के जीवन का खतरा टला।
डॉ. संजय गांधी ने बताया कि राजसंमद जिले के कांकरोली निवासी सूर्यभान सिंह की पत्नी ने गीतांजली हॉस्पिटल के प्रसुति रोग विभाग में पुत्र को जन्म दिया। इस नवजात बच्चे की श्वसन क्रिया बहुत तेजी से चल रही थी व वजन मात्र 2 किलो था। इसके लिए बच्चे को एन.आई.सी.यू. में नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. आशीष सतपथी की देखरेख में रखा गया। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सी.पी. पूरोहित ने बच्चे की ईकोकार्डियोग्राफी की जिसमें पता चला कि हृदय की 2 ग्रेट वेस्सल्स आपस में जुड़ी हुई है।
जिसके कारण रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं हो रहा और सांस लेने में तकलीफ हो रही है। इसके उपचार के लिए कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गांधी, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सी.पी. पूरोहित, प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. कमला कंवरानी, नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. आशीष सतपथी ने सलाह मशविरा किया और परिजनों की सहमति पर यह जटिल ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। यह ऑपरेशन नियोनेटोलॉजी विभाग के एन.आई.सी.यू. में ही किया गया।
ऑपरेशन बहुत जटिल रहा क्योंकि शिशु का वजन बहुत ही कम था और इतने छोटे शिशु में ठीक होने की संभावना बहुत कम होती है। ऑपरेशन में आपस मंे जुड़ी वाहिनियों का अलग किया गया। ऑपरेशन के कुछ दिनों तक शिशु को नियोनेटोलाजिस्ट डॉ. आशीष सतपथी की देखरेख में एन.आई.सी.यू में रखा गया व पूर्णतया ठीक होने पर हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी।
कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गांधी ने बताया कि यह एक हृदय की असामान्य बीमारी है जो अधिकतर नवजात शिशुओं में होती है। इसमें हृदय की दो मुख्य धमनी वाहिनियां – महाधमनी व फेफडे़ की धमनी के बीच वेस्कुलर कनेक्शन होता है जिससे शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह प्रतिरोधित होता है व डीऑक्सीजन युक्त रक्त ऑक्सीजन युक्त रक्त में मिश्रित होकर संचरित होता है। इसमें हृदय की गति सामान्य से अधिक हो जाती है अर्थात् श्वसन क्रिया बहुत तेजी से चलती है व वजन भी कम होता है।
सामान्यतया यह धमनी वाहिनियां जन्म के बाद अलग हो जाती है किन्तु किसी किसी शिशु में ये जुडी रहती है। इसकी वजह से नवजातों में हाइपोक्सिया हो जाता है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal