अत्यंत दुर्लभ एवं विशाल एड्रीनल ट्यूमर की सफल सर्जरी

अत्यंत दुर्लभ एवं विशाल एड्रीनल ट्यूमर की सफल सर्जरी

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल, उदयपुर केयूरोलोजिस्ट डाॅ विश्वास बाहेती ने राजस्थान में प्रथम बार 40 वर्षीय महिला रोगी के लगभग 11 सेंटीमीटर बड़े विशाल एड्रीनल ट्यूमर (जाइंट फियोक्रोमोसायटोमा) को सर्जरी द्वारा बाहर निकाल रोगी को स्वस्थ किया। आमतौर पर एड्रीनल ग्लेंड में ट्यूमर 4 या 5 सेंटीमीटर का होता है। यह असाधारण बिमारी हर 10 लाख व्यक्तियों में से किसी एक को होती है। परंतु इतना बड़ा

 

अत्यंत दुर्लभ एवं विशाल एड्रीनल ट्यूमर की सफल सर्जरी

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल, उदयपुर केयूरोलोजिस्ट डाॅ विश्वास बाहेती ने राजस्थान में प्रथम बार 40 वर्षीय महिला रोगी के लगभग 11 सेंटीमीटर बड़े विशाल एड्रीनल ट्यूमर (जाइंट फियोक्रोमोसायटोमा) को सर्जरी द्वारा बाहर निकाल रोगी को स्वस्थ किया। आमतौर पर एड्रीनल ग्लेंड में ट्यूमर 4 या 5 सेंटीमीटर का होता है। यह असाधारण बिमारी हर 10 लाख व्यक्तियों में से किसी एक को होती है। परंतु इतना बड़ा ट्यूमर अत्यंत दुर्लभ होता है और बहुत कम पाया जाता है। इस टीम में डाॅ बाहेती के साथ यूरोलोजिस्ट डाॅ पंकज त्रिवेदी, एनेस्थेटिस्ट डाॅ उदय प्रताप, ओटी स्टाफ अविनाश आमेटा, पुष्कर सैनी, जयप्रकाश सालवी एवं प्रवीण अहारी शामिल थे।

क्यों जटिल थी यह सर्जरी?

ऐसे मामलों में आॅपरेशन के दौरान लगाए गए चीरे से अत्यधिक रक्तस्त्राव का खतरा बना रहता है। साथ ही अधिवृक्क ग्रंथि को छूते ही रक्तचाप का स्तर 250 से ऊपर पहुंच जाता है जिससे रोगी की मृत्यु की आशंका बनी रहती है। परन्तु गीतांजली में भर्ती इस रोगी में पहले किडनी की नस को विच्छेदित किया गया। उसके बाद अधिवृक्क ग्रंथि की नस को बंद कर, बाकी अंगों को बचाते हुए विशाल ट्यूमर को हटाया गया। सर्जरी के बाद दवाईयों द्वारा रक्तचाप एवं हृदय की धड़कन को भी नियंत्रित किया गया। दुबारा कराई गई सीटी स्केन व एमआरआई की जांच में भी अधिवृक्क ग्रंथि के आस-पास के अंगों में भी कोई ट्यूमर नहीं पाया गया जिससे इस गांठ के दुबारा होने की संभावना बहुत कम है। रोगी अब पूर्णताः स्वस्थ है। रोगी का इलाज राजस्थान सरकार की भामाशह स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत निःशुल्क हुआ।

डाॅ बाहेती ने बताया कि एड्रीनलेक्टोमी सर्जरी अधिवृक्क ग्रंथियों को निकालने में उपयोगी होती है। यह ग्रंथियां प्रत्येक गुर्दे के ऊपर स्थित होती है। यह ग्रंथियां इम्यून सिस्टम, मेटाबोलिज्म, ब्लड शुगर लेवल और रक्तचाप नियंत्रण सहित कई शारीरिक कार्यों को विनियमित करने में मदद करती है। परन्तु इस रोगी में अधिवृक्क ग्रंथि में गांठ होने के कारण उपरोक्त शारीरिक कार्य अनियंत्रित हो रहे थे और उच्च रक्तचाप के चलते हृदयघात होने की स्थिति मजबूत हो रही थी जिससे मृत्यु का खतरा बना हुआ था। साथ ही ब्रेन हेमरेज, रक्त वाहिकाओं के फटने का डर, हृदय की धड़कन का तेज चलना जैसी जोखिम भी शामिल थे। सागवाड़ा निवासी मणि डामोर (उम्र 40 वर्ष) को गत पिछले दो वर्षों से उच्च रक्तचाप, चक्कर आना, सिरदर्द एवं बायीं ओर के गुर्दे में दर्द से परेशान थी। जिले के ही हाॅस्पिटल में परामर्श के बाद परिजन उसे गीतांजली हाॅस्पिटल लाए। जहां यूरोलोजी विभाग में परामर्श के बाद सीटी स्केन एवं एमआरआई की जांच से पता चला कि अधिवृक्क ग्रंथि (एड्रीनल ग्लेंड) में लगभग 11 सेंटीमीटर बड़ी विशाल गांठ है। इस बिमारी को जाइंट फियोक्रोमोसायटोमा कहते है। यह गांठ रोगी के बायीं किडनी को भी दबा रही थी। इसके बाद एड्रीनलेक्टोमी सर्जरी कर गांठ को बहार निकाला गया जिसमें साढ़े तीन घंटें का समय लगा। इस सर्जरी में एनेस्थेटिस्ट द्वारा भी महत्वपूर्ण योगदान दिया गया।

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