उच्च रक्तचाप से ग्रस्त चार मरीजों की सफल थेरेपी
केयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज-सीआईएमएस की कार्डियोलोजी टीम के डॉ केयूर परीख, डॉ हेमांग बख्शी और डॉ आशिष चंदाराणा ने उच्च रक्तचाप से ग्रस्त चार मरीजों पर सफल रीनल डिनरवेशन प्रक्रिया पूरी की। इस उपलब्धि के साथ ही सीआईएमएस उच्च रक्तचाप मरीजों पर इस तरह की प्रक्रिया पूरी करने वाला भारत का पहला अस्पताल बन गया है।
केयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइन्सेज-सीआईएमएस की कार्डियोलोजी टीम के डॉ केयूर परीख, डॉ हेमांग बख्शी और डॉ आशिष चंदाराणा ने उच्च रक्तचाप से ग्रस्त चार मरीजों पर सफल रीनल डिनरवेशन प्रक्रिया पूरी की। इस उपलब्धि के साथ ही सीआईएमएस उच्च रक्तचाप मरीजों पर इस तरह की प्रक्रिया पूरी करने वाला भारत का पहला अस्पताल बन गया है।
नई थेरेपी के बारे में डॉ. केयूर परीख ने कहा कि रीनल डिनरवेशन भारत में अपेक्षाकृत एक नई अवधारणा है। सीआईएमएस अस्पताल के लिए यह काफी गौरवपूर्ण क्षण है क्योंकि यह भारत के उन 12 सेन्टर में से पहला है जिसे आरडीएन प्रक्रिया को लेकर एक अध्ययन के लिए चिन्हित किया गया था। अस्वास्थ्यकर खान-पान, अनियमित जीवनशैली तथा कई बार आनुवांशिक परेशानी के कारण भारत में उच्च रक्तचाप में गुणात्मक वृद्धि हो रही है। आरडीएन केथेटेराइजेशन आधारित उपचार है जिसे दुर्दम्य उच्च रक्तचाप के मरीजों का उपचार किया जाता है।
उन्होंने कहा कि यह उपचार न्यूनतम चुभन वाला होता है, इसमें किसी ओपन सर्जरी की जरूरत नहीं होती है और इसमें सिर्फ 40-60 मिनट लगते है। यह थेरेपी 18 वर्ष से ज्यादा और 80 वर्ष से कम उम्र के मरीज के लिए योग्य है यदि उनमें 160 सिस्टोलिक रक्त चाप (एसबीपी) हो तो। सीआईएमएस अस्पताल में जिनकी आरडीएन प्रक्रिया की गई उनमें एक महिला और तीन पुरुष हैं जिनका हॉलिस्टिक ब्लड प्रेशर 170 से एमएम एचजी से ऊपर था और वे प्रतिदिन 3-6 मेडिसीन खाते थे। वे रोगी अब अच्छा महसूस कर रहे हैं और अब घर जाने को तैयार हैं।
उल्लेखनीय है कि मेडट्रोनिक ने सिम्पलिसिटी टीएम रीनल डिनरवेशन पद्धति विकसित की है जिसमें न्यूनतम चुभन होती है। यूरोप में इस उपकरण को वर्ष 2010 में सीई मार्क की मंजूरी मिल चुकी है। सिम्पलिसिटी पद्धति को व्यावसायिक रूप से अप्रेल 2010 में लांच किया गया तथा फिलहाल यह यूरोप के कुछ हिस्सों, एशिया, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया व दक्षिण अमरीका तथा 75 से ज्यादा देशों में उपलब्ध है जो विश्व भर में 12 हजार मरीजों का उपचार कर चुका है।
डीसीजीआई की मंजूरी के तहत यह भारत में पहला किस्सा है जिसमें मरीज का इस न्यूनतम चुभन थेरेपी से उपचार किया गया है।
प्रेस नोट
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