जन्मजात विकृत नाक का सर्जरी द्वारा सफल उपचार
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के प्लास्टिक एवं कॉस्मेटिक सर्जन डॉ आषुतोश सोनी ने मंगलवार 13 सितम्बर 2016 को चार वर्श की बच्ची की जन्म से ही दो नाक की विकृति को सर्जरी द्वारा निःषुल्क उपचारित किया । डॉ आषुतोश सोनी के साथ डॉ ज्योति, निष्चेतना विभाग के डॉ सीमा एवं डॉ षैरीन इस […]
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के प्लास्टिक एवं कॉस्मेटिक सर्जन डॉ आषुतोश सोनी ने मंगलवार 13 सितम्बर 2016 को चार वर्श की बच्ची की जन्म से ही दो नाक की विकृति को सर्जरी द्वारा निःषुल्क उपचारित किया । डॉ आषुतोश सोनी के साथ डॉ ज्योति, निष्चेतना विभाग के डॉ सीमा एवं डॉ षैरीन इस दल में सम्मलित थे।
प्लास्टिक एवं कॉस्मेटिक सर्जन डॉ आषुतोश सोनी ने बताया कि गाँव चैन सिंह का राजपुरा, तहसील बेगूं, जिला चितौड़गढ़ निवासी नेमीचंद की पुत्री रेखा रेगर (उम्र 4 वर्श) की जन्म से ही दो नाक थी जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत होती थी और मुँह से सांस लेना पड़ता था । गीतांजली हॉस्पिटल में परामर्ष और एम.आर.आई. एवं सी. टी. स्केन की जांच के बाद बच्ची का इलाज षुरु किया गया । दो घंटे चले इस ऑपरेषन में बच्ची के नाक की करेक्टिव सर्जरी (विकृति को ठीक करना) की गई । साथ ही छः महीने बाद बच्ची की नाक में पसली की हड्डी से नाक की हड्डी बनाकर नाक को सामान्य आकार दिया जाएगा । इस मामले में गीतांजली प्रषासन द्वारा बच्ची का पूर्ण रुप से निःषुल्क उपचार किया गया । डॉ सोनी ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया को कॉस्मेटिक सर्जरी कहते है ।
रोगी के पिता नेमीचंद ने बताया कि बच्ची की इस विकृति के कारण आस-पड़ोस के लोग एवं अन्य बच्चे उसका मज़ाक बनाते थे, कोई भी उसके साथ खेलता नहीं था और इस वज़ह से उनका बच्ची को घर से बहार निकालना मुष्किल हो गया था । इस कारण बच्ची का इलाज कराना अति आवष्यक था ।जन्मजात विकृत नाक का सर्जरी द्वारा सफल उपचार गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के प्लास्टिक एवं कॉस्मेटिक सर्जन डॉ आषुतोश सोनी ने मंगलवार 13 सितम्बर 2016 को चार वर्श की बच्ची की जन्म से ही दो नाक की विकृति को सर्जरी द्वारा निःषुल्क उपचारित किया । डॉ आषुतोश सोनी के साथ डॉ ज्योति, निष्चेतना विभाग के डॉ सीमा एवं डॉ षैरीन इस दल में सम्मलित थे।
प्लास्टिक एवं कॉस्मेटिक सर्जन डॉ आषुतोश सोनी ने बताया कि गाँव चैन सिंह का राजपुरा, तहसील बेगूं, जिला चितौड़गढ़ निवासी नेमीचंद की पुत्री रेखा रेगर (उम्र 4 वर्श) की जन्म से ही दो नाक थी जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत होती थी और मुँह से सांस लेना पड़ता था । गीतांजली हॉस्पिटल में परामर्ष और एम.आर.आई. एवं सी. टी. स्केन की जांच के बाद बच्ची का इलाज षुरु किया गया । दो घंटे चले इस ऑपरेषन में बच्ची के नाक की करेक्टिव सर्जरी (विकृति को ठीक करना) की गई । साथ ही छः महीने बाद बच्ची की नाक में पसली की हड्डी से नाक की हड्डी बनाकर नाक को सामान्य आकार दिया जाएगा । इस मामले में गीतांजली प्रषासन द्वारा बच्ची का पूर्ण रुप से निःषुल्क उपचार किया गया । डॉ सोनी ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया को कॉस्मेटिक सर्जरी कहते है।
रोगी के पिता नेमीचंद ने बताया कि बच्ची की इस विकृति के कारण आस-पड़ोस के लोग एवं अन्य बच्चे उसका मज़ाक बनाते थे, कोई भी उसके साथ खेलता नहीं था और इस वज़ह से उनका बच्ची को घर से बहार निकालना मुष्किल हो गया था । इस कारण बच्ची का इलाज कराना अति आवष्यक था।
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