हृदय के समीप हो रही रक्त की गांठ का काॅयलिंग द्वारा सफल उपचार
उदयपुर, गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट और न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट ने संभाग में प्रथम बार 14 वर्षीय मासूम के हृदय पर दबाव डाल रही लगभग 5 सेंटीमीटर आकार की रक्त की गांठ का काॅयलिंग द्वारा उपचार कर स्वस्थ किया। इस जटिल आॅपरेशन को बिना-चीर फाड़ के अंजाम दिया गया।
उदयपुर, गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट और न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट ने संभाग में प्रथम बार 14 वर्षीय मासूम के हृदय पर दबाव डाल रही लगभग 5 सेंटीमीटर आकार की रक्त की गांठ का काॅयलिंग द्वारा उपचार कर स्वस्थ किया। इस जटिल आॅपरेशन को बिना-चीर फाड़ के अंजाम दिया गया।
कार्डियोलोजिस्ट डाॅ रमेश पटेल से परामर्श एवं ईको-कार्डियोग्राफी की जांच से पता चला कि रक्त की गांठ, जो हृदय को दबा रही थी और हृदय के आस-पास रक्त इकट्ठा हो रहा था। साथ ही हृदय की धमनियां ही उस गांठ तक रक्त पहुँचा रही थी। जिससे वह गांठ धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी। इस बीमारी को कोरोनरी आर्टीवीनस फिस्टूला कहते है।
बच्ची की गंभीर स्थिति को देखते हुए डाॅ पटेल एवं टीम ने तय किया कि बच्ची को तुरंत उपचार की जरुरत है। जिसके तहत बच्ची को कैथ लैब में शिफ्ट किया गया। जहां दोनों विशेषज्ञों ने मात्र 30 मिनट में बगैर चीर-फाड़ के पाँव की नस से हृदय तक पहुँच, नस के अंदर से रक्त की गांठ में रक्त प्रवाह को काॅयलिंग द्वारा काट बच्ची का इलाज किया। बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ है। इस सफल इलाज करने वाली टीम में डाॅ पटेल के साथ कार्डियोलोजिस्ट डाॅ डैनी कुमार तथा न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट डाॅ सीताराम बारठ शामिल है।
डाॅ पटेल ने बताया कि इस प्रकार की कोरोनरी आर्टीवीनस फिस्टूला बहुत मुश्किल से रक्त गठान बनाते है। और जब ऐसा होता है तो वह जानलेवा बीमारी (एन्यूरिज्म) का रुप ले लेता है। इस तरह के फिस्टूला का तुरंत उपचार करना जरुरी होता है।
जिला निवासी, काजल तेली (उम्र 14 वर्ष), बार-बार सीने में दर्द और सांस लेने जैसी परेशानियों से जूझ रही थी। गीतांजली हाॅस्पिटल में परामर्श एवं राजस्थान सरकार की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत निःशुल्क इलाज किया गया।
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