कोरोना से ठीक हुए रोगी की ह्रदय की मुख्य नाड़ी एओर्टा फटने पर जटिल सर्जरी द्वारा GMCH में हुआ सफल इलाज

कोरोना से ठीक हुए रोगी की ह्रदय की मुख्य नाड़ी एओर्टा फटने पर जटिल सर्जरी द्वारा GMCH में हुआ सफल इलाज

 
कोरोना से ठीक हुए रोगी की ह्रदय की मुख्य नाड़ी एओर्टा फटने पर जटिल सर्जरी द्वारा GMCH में हुआ सफल इलाज
यह ऑपरेशन चुनौतियों से पूर्ण था क्यूंकि एक तो इस तरह की बीमारी बहुत ही कम लोगों में पायी जाती है, दूसरा यह रोगी कोरोना से हाल ही में ठीक हुआ

आधुनिक चिकित्सकीय तकनीकों और चिकित्सकों के कौशल से गंभीर मरीजों को भी ठीक किया जा सकता है इसका सटिक उदारहण गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में देखने को मिला जहां 42 वर्षीय सलुम्बर निवासी अखिलेश कुमार (परिवर्तित नाम) को जटिल ऑपरेशन कर जीवनदान मिला। इस जटिल लेकिन सफल इलाज करने वाली टीम में कार्डियक थोरेसिक एवं वेसक्यूलर सर्जन डॉ. संजय गांधी, डॉ. अजय वर्मा, डॉ. पार्थ वाघेला, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. अंकुर गांधी, डॉ. कल्पेश मिस्त्री, डॉ. रामचंद्रन, डॉ. हर्शील जोशी, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रमेश पटेल शामिल हैं।  

क्या था मसला

डॉ. संजय गाँधी ने बताया कि 42 वर्षीय के रोगी सीने में दर्द की शिकायत के साथ लाया गया था| गीतांजली हॉस्पिटल आने पर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रमेश पटेल द्वारा रोगी की ई.सी.जी एवं इको की जांच की गयी। जांच में दिल की सबसे मुख्य नाड़ी जिसे कि एओर्टा कहते हैं वो अन्दर से फट गयी थी ऐसे में बाहर वाली परत कभी भी फट सकती थी। रोगी का सी.टी स्कैन में अनयूर्यस्म के फटे होने का पता चला। ऐसा होने पर रोगी का जल्दी ब्लड प्रेशर कंट्रोल करके ऑपरेशन करके तैयार किया गया। ऑपरेशन द्वारा मुख्य नाड़ी जो कि फट चुकी थी उसको बदला गया, रोगी को एक वाल्व भी खराब था उसे भी बदला गया, दिल की धमनियों को मुख्य नाड़ी के साथ जोड़ा गया। इस तरह के ऑपरेशन प्रायः बहुत जटिल होते हैं और इनको बेन्टाल ऑपरेशन के नाम से जाना जाता है। 

डॉ. गाँधी ने यह भी बताया कि इस तरह के बेन्टाल ऑपरेशन वह उदयपुर में 11-12 कर चुके हैं , ये बीमारी दुर्लभ है, ज्यादातर जिन रोगियों को लम्बे समय से ब्लड प्रेशर की बीमारी हो या ब्लड प्रेशर नियंत्रण में ना रहता हो उन्हें यह बीमारी होती है। इस रोगी का ऑपरेशन करने में 10 घंटे का समय लगा। ऑपरेशन के दौरान रोगी के दिल को एवं शरीर के अन्य अंगों की सप्लाई को कुछ समय के लिए बंद करना पड़ता है, रोगी को 16 डिग्री तक ठंडा किया जाता है ताकि उसके सारे अंग सुरक्षित रहें और रोगी का ऑपरेशन किया जा सके। इस ऑपरेशन के दौरान रक्त स्त्राव होने की आशंका होती है इसलिए जहां जहां नाड़ियों को जोड़ा जाता है वहां रक्त स्त्राव को चेक किया गया ताकि रोगी को ऑपरेशन के बाद पुनः ऑपरेशन थिएटर में ना लेना पड़े। ऑपरेशन के पश्चात् रोगी को आई.सी.यू में शिफ्ट किया गया और रोगी के प्रत्येक अंग का निरिक्षण किया गया। रोगी के सभी अंगों को सुचारू रूप से कार्य करता हुआ देख व उसके होश में आने के बाद उसको वेंटीलेटर से हटाया गया। अगले ही दिन रोगी को चलवाया गया, रोगी का बहुत अच्छा स्वस्थ सुधार देखने को मिला। रोगी अभी स्वस्थ है एवं हॉस्पिटल द्वारा छुट्टी दे दी गयी है। 

यह ऑपरेशन चुनौतियों से पूर्ण था क्यूंकि एक तो इस तरह की बीमारी बहुत ही कम लोगों में पायी जाती है, दूसरा यह रोगी कोरोना से हाल ही में ठीक हुआ और तीसरा रोगी के पिता का देहांत भी कोरना के कारण हो गया था ऐसे में पूरा परिवार बहुत ही विषम परिस्थितियों से गुज़र रहा था और रोगी की इस बीमारी से परिस्थितियां और बिगड़ गयी थी ऐसे मुश्किल समय में भी रोगी के परिवार वालों का मनोबल कार्डियक टीम द्वारा बढाया गया और रोगी का सफल ऑपरेशन हुआ। 

जी.एम.सी.एच  सी.ई.ओ प्रतीम तम्बोली ने बताया कि गीतांजली ह्रदय रोग विभाग सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस है तथा गीतांजली मेडिसिटी पिछले 14 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चंहुमुखी चिकित्सा सेंटर बन चुका है। यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं एक ही छत के नीचे निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं। 
 

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