ड्रग रिएक्शन का सफल इलाज
गीतांजली हॉस्पिटल, उदयपुर के चर्म रोग विशेषज्ञों ने दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव के परिणामस्वरुप ’टॉक्सिक एपिडर्मल नेक्रोलिसिस’ से पीडि़त 35 वर्षीया महिला का उपचार कर स्वस्थ किया।
गीतांजली हॉस्पिटल, उदयपुर के चर्म रोग विशेषज्ञों ने दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव के परिणामस्वरुप ’टॉक्सिक एपिडर्मल नेक्रोलिसिस’ से पीडि़त 35 वर्षीया महिला का उपचार कर स्वस्थ किया। इन विशेषज्ञों में चर्म रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ कल्पना गुप्ता एवं डॉ निधीश अग्रवाल थे । डॉ कल्पना गुप्ता ने बताया कि निम्बाहेड़ा, चितौड़गढ़ निवासी पदमा लम्बे समय से अंग्रेजी दवाओं का सेवन कर रही थी जिस कारण उसके शरीर पर रिएक्शन हो गया और शरीर पर बड़े-बड़े लाल फफोले हो गए थे । रोगी की चमड़ी इस समान हो गई थी जैसे जलने के उपरान्त हो जाती है। इस कारणवश उसके पूरे शरीर में खुजली, जलन, दर्द, फफोले, जो अपने आप ही फूट जाते थे और उनमें से पानी निकलता था जिससे वह कपड़े भी नहीं पहन पा रही थी क्योंकि कपड़े शरीर के चिपक जाते थे । रोगी सामान्य कार्यों को भी करने में असक्षम थी। गीतांजली हॉस्पिटल में परामर्श के बाद सामान्य वार्ड में भर्ती कर रोगी का इलाज मात्र दवाईयों द्वारा किया गया ।
डॉ गुप्ता ने यह भी बताया कि दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव के कारण रोगी के रक्त में संक्रमण (सेप्टिीसीमिया) हो गया था जिसकी मृत्यु दर भी काफी ज्यादा थी परन्तु समय पर परामर्श और गुणवत्तापूर्ण उपचार से रोगी का सफल इलाज हुआ। रोगी अब पूरी तरह स्वस्थ है और अपनी दैनिक दिनचर्या के काम कर पा रही है।
उन्होंने बताया कि हर दवा तुरन्त प्रतिक्रिया नहीं करती इसमें कुछ घंटों से लेकर कुछ महीनों बाद भी इसका असर दिख सकता है इसलिए बिना चिकित्सकीय परामर्श के कोई भी दवा लेना हानिकारक हो सकता है। किसी भी दवा की प्रतिक्रिया के शुरूआती लक्षण खुजली एवं शरीर का लाल हो जाना होते है जिसमें बिना देरी किए चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। इस तरह की बिमारी का उपचार दवाईयों एवं पूर्ण देखभाल से गीतांजली हॉस्पिटल में संभव हुआ। इस तरह के मरीज़ हर दो या ढाई साल में कोई एक ही आता है जिन्हें बचाना बहुत ही मुश्किल होता है।
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