GMCH में एंडोस्कोपिक पद्धति से 80 वर्षीय रोगी की भोजन नली के कैंसर का सफल इलाज

GMCH में एंडोस्कोपिक पद्धति से 80 वर्षीय रोगी की भोजन नली के कैंसर का सफल इलाज

 
GMCH में एंडोस्कोपिक पद्धति से 80 वर्षीय रोगी की भोजन नली के कैंसर का सफल इलाज
गीतांजली हॉस्पिटल के पेट, आंत, लीवर रोग विभाग द्वारा एंडोस्कोपिक पद्धति से हुआ 80 वर्षीय वृद्ध रोगी की भोजन नली के कैंसर का सफल इलाज
 

कोरोना महामारी के कारण बहुत से रोगियों के इलाज में बाधा आ रही है क्यूंकि रोगी इस माहामारी के कारण हॉस्पिटल जाने में संकोच कर रहे हैं परन्तु गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में कोरोना महामारी के समय में सभी आवश्यक नियमों का पालन करते हुए निरंतर जटिल ऑपरेशन व आवश्यक इलाज किये जा रहे हैं। 

गीतांजली हॉस्पिटल के गैस्ट्रोलोजिस्ट डॉ. पंकज गुप्ता, डॉ. धवल व्यास, गैस्ट्रो सर्जरी विभाग से सर्जन डॉ. कमल किशोर बिश्नोई, टेकनीशीयन संजय सोमरा, विजय कुमार भार्गव, प्रहलाद शर्मा के अथक प्रयासों से उदयपुर निवासी 80 वर्षीय वृद्ध रोगी के भोजन नली के ट्यूमर का सफलतापूर्वक इलाज कर उसे नया जीवन प्रदान किया गया। 

डॉ. पंकज ने बताया कि मानव के भोजन नली की लम्बाई सामान्य तौर पर 25 सेंटीमीटर होती है। इस रोगी का ट्यूमर भोजन नली के बीच से 15 सेंटीमीटर तक फ़ैल चुका था। 80 वर्षीय वृद्ध रोगी जिसकी बायपास सर्जरी हो चुकी थी, पिछले छः माह से खाने को निगलने में तकलीफ हो रही थी, गत तीन हफ्ते से रोगी पानी पीने में भी असमर्थ था और साथ ही कोरोना माहामारी के भय के चलते किसी भी हॉस्पिटल में नही दिखा रहा था, जिसके चलते रोगी की बीमारी और बढ़ गयी थी और ट्यूमर ने भोजन नली के दो तिहाई हिस्से को प्रभावित कर दिया था। रोगी की बायोप्सी में भोजन नली के ऊपर वाले हिस्से में कैंसर की पुष्टि हुई और नीचे वाले हिस्से का पता लगाना मुश्किल था, बहुत बार इस तरह के कैंसर में पाया गया है कि नीचे वाला हिस्से में कैंसर नही होता। रोगी की उम्र व वर्तमान स्थिति को देखते हुए उसकी सर्जरी करना बहुत मुश्किल था ऐसे में गैस्ट्रो टीम द्वारा एंडोस्कोपी करने का फैसला लिया गया जिसके अंतर्गत  ट्यूमर को जड़ से हटा दिया गया। 

रोगी के ट्यूमर हटने के बाद अब रोगी बिना किसी परेशानी के भोजन खा रहा है। ट्यूमर का यदि कुछ भाग जड़ में रह भी गया हो तो उसके लिए गीतांजली कैंसर सेंटर में विशेषज्ञों से चर्चा की गयी, जिसमे ये निर्धारित किया गया कि जो कैंसर बच गया है उसको कीमोथेरपी व रेडियोथेरेपी द्वारा पूरी तरह से हटा दिया जायेगा। 

डॉ. पंकज ने यह भी बताया कि रोगी अभी खाने-पीने में समर्थ है और अब रोगी को रेडिएशन एवं कीमोथेरपी द्वारा बचे हुए ट्यूमर को भी पूर्णतः हटा दिया जायेगा जिससे कि  कैंसर का खतरा भविष्य में पुनः ना हो। रोगी स्वस्थ हैं एवं हॉस्पिटल द्वारा छुट्टी प्रदान दे कर दी गयी है। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गीतांजली मेडिसिटी पिछले 14 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चंहुमुखी चिकित्सा सेंटर बन चुका है। यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही है। गीतांजली के गैसट्रो विभाग की कुशल टीम के निर्णयानुसार रोगियों का सर्वोत्तम इलाज निरंतर रूप से किया जा रहा है जोकि उत्कृष्टता का परिचायक है। 

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