दक्षिणी राजस्थान में पहली बार सांस की नली का सफल ऑपरेशन
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल , उदयपुर के हृदय रोग केन्द्र के कार्डियक थोरेसिक एवं वेसक्यूलर सर्जन डॉ संजय गांधी ने 5 दिसंबर 2016 को ‘ट्रेकियल स्टीनोसिस’ से पीड़ीत 24 वर्षीया युवती का ऑपरेशन कर स्वस्थ किया।

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल , उदयपुर के हृदय रोग केन्द्र के कार्डियक थोरेसिक एवं वेसक्यूलर सर्जन डॉ संजय गांधी ने 5 दिसंबर 2016 को ‘ट्रेकियल स्टीनोसिस’ से पीड़ीत 24 वर्षीया युवती का ऑपरेशन कर स्वस्थ किया। इस प्रक्रिया में उनके साथ कार्डियक थोरेसिक एवं वेसक्यूलर सर्जन डॉ रीनस, सर्जिकल ऑनकोलोजिस्ट डॉ एस दास एवं डॉ देवेंद्र जैन, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ अंकुर गांधी, डॉ कल्पेश मिस्त्री, डॉ मनमोहन जिंदल एवं डॉ धर्मचंद, मेडिसिन विभाग के डॉ डीसी कुमावत, गहन चिकित्सा ईकाई के डॉ शुभकरण, डॉ पालीवाल, डॉ जावेद एवं डॉ मनिन्दर शामिल थे।
डॉ संजय गांधी ने बताया कि चितौड़गढ़ निवासी विमला जाट (24) गीतांजली हॉस्पिटल में सांस फूलने, तेज़ बुखार एवं मस्तिष्क के हिस्सों में बदलती प्रक्रिया और संवेदी उत्तेजनाओं की परेशा के चलते गहन चिकित्सा ईकाई में वेंटीलेटर पर भर्ती हुई थी। सीटी ब्रोन्कोस्कोपी की जांच से ‘ट्रेकिया स्टीनोसिस’ नामक रोग का पता चला। इसके लिए रोगी की श्वास नली में बहुत ही पतली प्लास्टिक की ट्यूब को इंटुबेट किया गया जिससे रोगी सांस ले पाए तथा रोगी की ‘ट्रेकियल सर्जरी’ कर उपचारित किया जा सके। डॉ गांधी ने बताया कि यह एक अत्यंत असामान्य एवं जटिल मामला था जिसको 5 घण्टे के ऑपरेशन द्वारा स्वस्थ किया गया। ऑपरेशन के दौरान श्वास नली के लगभग 4 सेंटीमीटर सिकुड़े हिस्से को काट कर निकाला गया तथा श्वास नली को जोड़ा गया। ट्रेकियल रिसेक्ष्न में सांस की नली के सिकुड़े हुए टुकड़े को हटा कर ऊपरी और निचले वर्गों को फिर से जोड़ा जाता है। रोगी की सांस की नली अब पूरी तरह सामान्य है और उसे सांस लेने में कोई भी परेशानी नहीं हो रही है।
क्या होता है ट्रेकियल स्टीनोसिस ?
डॉ गांधी ने बताया कि ट्रेकियल स्टीनोसिस, सांस की नली का एक रोग है जिसमें सांस की नली सिकुड़ जाती है और सांस लेने में समस्या होती है। लम्बे समय से वेंटीलेटर पर रहने से यह बिमारी हो सकती है जिसका इलाज केवल सर्जरी द्वारा ही संभव है अन्यथा रोगी की जान जा सकती है।
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