सुजाता प्रसाद और सोनल मानसिंह शिल्पग्राम में वाद्य यंत्रों की प्रति कृतियों से हुई अभिभूत
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की अतिरिक्त संचिव श्रीमती सुजाता प्रसाद तथा देश की जानी-मानी नृत्यांगना पद्मविभूषण सोनल मानसिंह ने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के कला परिसर ‘‘शिल्पग्राम’’ का अवलोकन किया। जहां झोंपड़ियों, मूति शिल्पों, लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों के साथ ही वुड स्कल्पचर वर्कशाॅप की सृजनात्मक गतिविधियों का अवलोकन किया।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की अतिरिक्त संचिव श्रीमती सुजाता प्रसाद तथा देश की जानी-मानी नृत्यांगना पद्मविभूषण सोनल मानसिंह ने पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के कला परिसर ‘‘शिल्पग्राम’’ का अवलोकन किया। जहां झोंपड़ियों, मूति शिल्पों, लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों के साथ ही वुड स्कल्पचर वर्कशाॅप की सृजनात्मक गतिविधियों का अवलोकन किया।
केन्द्र निदेशक श्री फुरकान खान ने बताया कि अतिरिक्त सचिव सुजाता प्रसाद तथा पद्मविभूषण सोनल मानसिंह सोमवार सुबह शिल्पग्राम पहुंचे जहां उन्होंने डाॅक्यूमेन्टरी कक्ष ‘दृश्यम’ का अवलोकन करने के बाद मुख्य द्वार के समीप सज्जित विभिन्न वाद्य यंत्रों का अवलोकन किया। दोनो अतिथि वाद्य यंत्रों की बनावट से अभिभूत सी हो गयी। इसके बाद हाट बाजार में बैठे शिल्पकार से नेल पन्टिंग सृजन का प्रदर्शन देखा व कलाकार की प्रशंसा की। हाट बाजार में ही सुजाता प्रसाद व सोनल मानसिंह ने शिल्पकार से पसंदीदा आभूषण खरीदे। इसके बाद उन्होंने बंजारा मंच पर लोक गायकों लंगा कलाकारों से अपना पसंदीदा गीत गोरबंध सुना।
अतिरिक्त सचिव सुजाता प्रसाद व सोनल मानसिंह ने शिल्पग्राम में इन दिनों चल रहे ‘‘वुड स्कल्पचर वर्कशाॅप’’ में काष्ठ प्रतिमाओं का सृजन कर रहे मूर्ति शिल्पियों से उनके कृतित्व पर चर्चा की। अतिरिक्त सचिव सुजाता प्रसाद और सोनल मान सिंह दोनो ही ने शिल्पग्राम में हुए परिवर्तन और परिवर्धन की सराहना करते हुए केन्द्र निदेशक फरकान खान को बधाई देते हुए कहा कि शिल्पग्राम के कार्यक्रमों में नवाचार किये हैं वह बहुत आवश्यक हें उन्होंने पत्थरों में तराशे हुए वाद्य यंत्रों को अद्भुत बताते हुए प्यानो के साथ फोटो भी खिंचवाई। अतिरिक्त सचिव सुजाता प्रसाद ने शिल्पग्राम की गतिविधियों पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि नवाचार के कारण ही संस्कृति आगे बढ़ती है। युवाओं और दर्शकों को संस्कृति से जोड़ने के लिये सोशल मीडिया के भरपूर उपयोग का सुझाव दिया।
इसके बाद उन्होंने शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ का अवलोकन किया तथा बाद में कांस्य निर्मित लोक नृत्यों की प्रतिमाओं को निहारा। इस अवसर पर सीसीआरटी के श्री बी.आर. भाटी, अतिरिक्त निदेशक सुधांशु सिंह आदि मौजूद थे।
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