फलासिया के रास्ते सुप्रकाशमति माताजी ने किया राजस्थान में प्रवेश


फलासिया के रास्ते सुप्रकाशमति माताजी ने किया राजस्थान में प्रवेश

इस अवसर पर सैकड़ों महिला-पुरूषों ने स्वागत द्वारा लगाकर माताजी का स्वागत किया
 
फलासिया के रास्ते सुप्रकाशमति माताजी ने किया राजस्थान में प्रवेश
माताजी ने शोभायात्रा के रूप में नगर भ्रमण करते हुए पद्मप्रभु दिंगबर जैन मंदिर पंहुची। मंदिर में सैकड़़ो समाजनों को आशीवर्चन के रूप में उद्बोधन दिया।  

उदयपुर। राष्ट्र संत गुरु माँ गणिनी आर्यिका 105 सुप्रकाशमति माताजी ने देश भर में कन्याकुमारी से सम्मेद शिखर तक की 61260 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए आज फलासिया के रास्ते राजस्थान में प्रवेश किया। जंहा सैकड़ों लोगों ने पलक पांवड़े बिछा कर ढोल नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत किया।

सुप्रकाश ज्योति मंच के राष्ट्रीय संयोजक ओमप्रकाश गोदावत ने बताया कि इस अवसर पर सैकड़ों महिला-पुरूषों ने स्वागत द्वारा लगाकर माताजी का स्वागत किया। गोदावत ने बताया कि माताजी ने शोभायात्रा के रूप में नगर भ्रमण करते हुए पद्मप्रभु दिंगबर जैन मंदिर पंहुची। मंदिर में सैकड़़ो समाजनों को आशीवर्चन के रूप में उद्बोधन दिया।  

लौकिक शिक्षा से स्कूल 5वीं तक की शिक्षा अर्जित करने वाली गरू मां ने मात्र 13 वर्ष की आयु में सर्वकल्याण के लिये घर का त्याग कऱ दिया था। वे अब तक सम्म्मेद शिखर 111 वंदना कर चुकी है। गुरू मां आज हिंदी, प्राकृत, तमिल, तेलगु, कन्नड़, अंग्रेजी, गुजराती, और संस्कृत मंे धारा प्रवाह बोलना सीख लिया है। वे बाहुबली 211 की वंदना कर दक्षिण भारत मे कई तीर्थ क्षेत्र का उद्धार कर चुकी है।

उन्होंने बताया कि सुप्रकाशमति माताजी इसके साथ ही एनआरपुरा में दयासागर त्यागी भवन तो सलूम्बर में त्रिमूर्ति सेसपुर मोड़ और उदयपुर ध्यानोदय तीर्थ की स्थापना करवा कर दूसरों के लिये प्रेरिका बनीं। 

पदयात्रा की व्यवस्था में समाज के युवा धनपाल पंचोली, शांतिलाल कोड़िया, जितेन्द्र पूछड़ी, नरेश सैम्या, गुरवंत पंचोली ने सहयोग किया। विहार व्यवस्था में मगवास के राजकुमार धन्नावत, महेन्द्र शाह, जितेन्द्र जावारीया, लोकेश धन्नावत, विजय चम्पावत, त्रिशला महिला मण्डल, गुजरात के देरोल से महेन्द्र मेहता सहयोग कर रहे है। 

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