मन को सही दिशा में प्रेरित करने का साधन है स्वाध्याय


मन को सही दिशा में प्रेरित करने का साधन है स्वाध्याय

श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि मन को सही दिशा में प्रेरित करने के लिए सबसे सरल और सात्विक साधन है स्वाध्याय, स्वाध्याय करने का अभ्यास रखिये। स्वाध्याय करते हुए आपको स्वत: अनुभव होगा कि आपका मन उसमें रमने लगा है। मन स्वाध्याय में तल्लिन हो जायेगा तो फिर अन्य बातो कि तरफ आपका कोई ध्यान नही जायेगा।

 

श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि मन को सही दिशा में प्रेरित करने के लिए सबसे सरल और सात्विक साधन है स्वाध्याय, स्वाध्याय करने का अभ्यास रखिये। स्वाध्याय करते हुए आपको स्वत: अनुभव होगा कि आपका मन उसमें रमने लगा है। मन स्वाध्याय में तल्लिन हो जायेगा तो फिर अन्य बातो कि तरफ आपका कोई ध्यान नही जायेगा।

वे आज पंचायती नोहरे में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि अपने पास मन शक्ति विद्यमान हैं। यह बहुत सौभाग्य कि बात हैं जिसका पुण्य प्रबल होता है, उसे ही मन शक्ति उपलब्ध होती है और यह हमें उपलब्ध है। जीवन में मन की शक्ति एक अपार शक्तिशाली तत्व है। एक क्षण में कही से कही पहुंच जाता है। जीवन को संचालित करने में मन ही मुख्य है। मानव के चरित्र का निर्माता मन ही है। अत: प्रत्येक बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिये कि वह अपने मन को इस तरह सिद्ध करे कि वह आपको मानव से महामानव बना दें।

उन्होनें बताया कि अनेक व्यक्ति शिकायत करते है कि उनका मन चंचल है कहीं टिकता नही। बात सच है मन पारे से भी अधिक चंचल होता है, लेकिन इसे साधा जा सकता हैं। घोड़ा अक्सर चंचल होता है, किन्तु साध लेने पर वही सर्वाधिक कीमती बन जाता है, स्वामी की आज्ञानुसार सारे हाव भाव दिखाता है। मन को इस तरह धीरे धीरे ही मोड़ा जा सकता है। मन में अनेक विचारों का उद्भव होता है, किन्तु कई बार उन विचारों को हम जहां के तहा दबा देते है। यह संगोपन है। संगोपन एक अच्छी साधना है। इससे गलत विचारों को रोका जा सकता है।

प्रवचन सभा को श्रमण मुनि ने भी संबोधित करते हुए कहा कि धर्म को क्रिया में नही विचारों में ढूंढ़ो। कार्यक्रम संचालन हिम्मत बड़ाला ने किया।

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