स्वामी विवेकानन्दजी के शैक्षिक विचार: वर्तमान प्रासंगिकता


स्वामी विवेकानन्दजी के शैक्षिक विचार: वर्तमान प्रासंगिकता

विवेकानन्द शिक्षा के माध्यम से बालक में जीवन संघर्ष की तैयारी, चरित्र निर्माण, देश प्रेम, विश्व बन्धुत्व और आत्म अनुभूति के उद्देश्यों की पूर्ति चाहते थे। आज वर्तमान परिपेक्ष्य में हम देखें तो यह सभी उद्देश्य समसामायिक बने

 
स्वामी विवेकानन्दजी के शैक्षिक विचार: वर्तमान प्रासंगिकता ‘‘उठो जागो, स्वयं जाग कर औरों को जगाओ, अपने नर जन्म को सफल करो और तब तक रुको नहीं जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाये।’’ – स्वामी विवेकानन्द

आज का दिन 12 जनवरी स्वामी विवेकानन्द की जन्म सन् 1863 में आज हीे के दिन कलकत्ता के एक क्षत्रिय परिवार में हुआ। उनका बचपन का नाम नरेंद्र था । बचपन में आप के परिवार का वातावरण धार्मिक था। अतः आध्यात्मिकता की तरफ तभी से आकर्षित थे ।बाद में स्वामी रामकृष्ण परमहंस के सम्पर्क में आये और उनसे आध्यात्म का ज्ञान प्राप्त किया। 1886 में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।स्वामी विवेकानन्द ने अपने जीवन में शिक्षा दर्शन का कार्य किया और उनका यह दृढ़ विचार था कि सिर्फ ज्ञान की जानकारी शिक्षा नहीं है वस्तुतः शिक्षा प्रायोगिक जीवन के संघर्ष की तैयारी है और उसमें चरित्र का विकास एक प्रमुख आयाम है । उनकी शिक्षा की परिभाषा- ‘‘व्यक्ति के अन्तर्निहित क्षमताओ की अभिव्यक्ति ही शिक्षा है”’ गहरा सार लिए हुए थी। वह वेदान्त दर्शन के मानने वाले थे और उनकी आस्था थी कि हर छात्र में उस परमात्मा का अंश है और सभी में कुछ न कुछ सम्भावनाएँ है ज़रूरत उसको पहचानकर उसे विकसित करना है।

विवेकानन्द शिक्षा के माध्यम से बालक में जीवन संघर्ष की तैयारी, चरित्र निर्माण, देश प्रेम, विश्व बन्धुत्व और आत्म अनुभूति के उद्देश्यों की पूर्ति चाहते थे। आज वर्तमान परिपेक्ष्य में हम देखें तो यह सभी उद्देश्य समसामायिक बने हुए हैं, वास्तव में वर्तमान की वैश्विक परस्थितियाँ शिक्षा के इन्हीं उद्देश्यों की तरफ हमें ले जाने के लिए प्रेरित करती है।

विवेकानन्द शिक्षण विधि में भी प्रायोगिक और कर के सीखने की बात करते हैं जिस पर वर्तमान में बहुत अनुसंधान और चिंतन हो रहा है और एनसीएफ 2005 ने बाल केन्द्रित विधियों का प्रस्ताव रखा है। साथ ही विवेकानन्द आध्यात्म और विज्ञान के समन्वयन की बात भी करते हैं और जीवन में आध्यात्म को केन्द्र में मानते हैं। इसी के माध्यम से देश और विश्व में शांति की स्थापना सम्भव है। विवेकानन्द छात्रों में प्रथम गुण शिक्षक के प्रति श्रद्धा को मानते हैं और इस तत्व की आवश्यकता शिक्षण प्रक्रिया को आधार मानते हैं।

विवेकानन्द युवाओं में अनन्त साहस और शक्ति के केन्द्र की बात करते हुए समाज निर्माण का आधार युवाओं के सही मार्गदर्शन और निडरता को मानते हैं। उनके इसी विश्वास के कारण आज का दिन हम कैरियर दिवस के रूप में मनाते हैं और विभिन्न शिक्षण संस्थाओं मे आज युवाओं के मार्गदर्शन हेतु कैरियर से सम्बन्धित चर्चाओं, प्रतियोगिताओं, प्रदर्शनियों आदि का आयोजन किया जाता है।

वास्तवमें यदि वर्तमान परिदृश्य में देश का युवा विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन अनुसार मार्गदर्शन प्राप्त कर ले तो देश विकास अवश्यमभावी होगा और विश्वबंधुत्व की स्थापना हो सकेगी।

 
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स्वामी विवेकानन्दजी के शैक्षिक विचार: वर्तमान प्रासंगिकता
Dr Zehra Banu
Reader,
Vidya Bhawan G S Teacher’s Training College, 
Udaipur
Cell:9461179769

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