जीवन मे यह अमर कहानी अक्षर – अक्षर गढ़ लेना, शोर्य कभी सो जाये तो राणा प्रताप को पढ लेना……


जीवन मे यह अमर कहानी अक्षर – अक्षर गढ़ लेना, शोर्य कभी सो जाये तो राणा प्रताप को पढ लेना……

जीवन मे यह अमर कहानी अक्षर - अक्षर गढ लेना, शोर्य कभी सो जाये तो राणा प्रताप को पढ लेना...... ईटावा उत्तर प्रदेश के वीर रस के कवि गौरव चौहान ने जब यह पंक्तियां महाराणा प्रताप की 477वीं जयन्ती की पूर्व संध्या पर भारतीय लोक कला मण्डल मे भारत विकास परिषद् प्रताप द्वारा आयोजित एक शाम महाराणा प्रताप के नाम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे मंच से पढी तो लोक कला मण्डल मे बैठे हर श्रोता ने जय राणा प्रताप की जय शिवा सरदार की के जयकारों से कला मण्डल को गुंजायमान कर दिया। गौरव चौहान ने भारतीय सैना के शहीद जवानों को कविता के माध्यम से श्रृद्धांजलि देते हुए कहा... ना मंदिर के चरणामृत से ना जम-जम के पानी से, हिन्दुस्तान खडा है जिन्दा तो वीरों की कुर्बानी से सुना कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।

 
जीवन मे यह अमर कहानी अक्षर – अक्षर गढ़ लेना, शोर्य कभी सो जाये तो राणा प्रताप को पढ लेना……
जीवन मे यह अमर कहानी अक्षर – अक्षर गढ लेना, शोर्य कभी सो जाये तो राणा प्रताप को पढ लेना…... ईटावा उत्तर प्रदेश के वीर रस के कवि गौरव चौहान ने जब यह पंक्तियां महाराणा प्रताप की 477वीं जयन्ती की पूर्व संध्या पर भारतीय लोक कला मण्डल मे भारत विकास परिषद् प्रताप द्वारा आयोजित एक शाम महाराणा प्रताप के नाम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे मंच से पढी तो लोक कला मण्डल मे बैठे हर श्रोता ने जय राणा प्रताप की जय शिवा सरदार की के जयकारों से कला मण्डल को गुंजायमान कर दिया। गौरव चौहान ने भारतीय सैना के शहीद जवानों को कविता के माध्यम से श्रृद्धांजलि देते हुए कहा… ना मंदिर के चरणामृत से ना जम-जम के पानी से, हिन्दुस्तान खडा है जिन्दा तो वीरों की कुर्बानी से सुना कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
कवि सम्मेलन के सुत्रधार और उदयपुर के चहेते कवि राव अजातशत्रु ने बेहतर मंच संचालन करने के साथ कहा… जय हो दिवेर, जय हो चेतक मतवाले की, जय हो हल्दीघाटी की, जय हो प्रताप के भाले की कविता पर खुब दाद बटोरी। इसके साथ ही श्रोताओं की पेशकश पर भी अपनी कुछ खास रचनाए भी प्रस्तुत की।
ग्रेटर नोएडा के वीर रस के कवि अमित शर्मा ने मेवाड के इतिहास को अवनी कविताओं मे दर्शाते हुए कहा …. यहा पन्ना की तरूणाई थी फिर भी यह देश गुलाम रहा, इस देश मे लक्ष्मीबाई थी फिर भी यह देश गुलाम रहा,  सुना कर दर्शक दीर्घा मे बैठे श्रोताओं की रगों मे जोश भर दिया।
वीर रस के कवि ओमपाल सिंह निडर ने कविता प्रारंभ करते हुए कहा कि… एक देश भक्त यहां महाराणा जी थे, मातृभूमि हित निज प्राण ही गंवा दिया, तेज बहादुर की कहानी भी पुरानी नही है, धर्म की ध्वजा के लिए शीश ही कटा दिया…. सुनाकर कवि सम्मेलन मे गर्मजोशी का माहौल पैदा किया।
बांसवाडा की कवियत्रि मेहर जहीन माही ने लब की दहलीज पर शब्द खामौश थे, आँखों का आँख से निकलकर रोना ही था, तन से बाहर निकल रूह दो मिल गई,ईश्क ऐसा अमर फिर तो होना ही था सुनाया। दिल्ली से आई एकता आर्या ने शब्द – शब्द मे भाव अर्थ अपार चन्दन मे करती हूँ, एकलिंग मेवाड की धरती का वन्दन मे करती हू,  सुनाया।
जीवन मे यह अमर कहानी अक्षर – अक्षर गढ़ लेना, शोर्य कभी सो जाये तो राणा प्रताप को पढ लेना……
श्रोताओं को हास्य और पैरोडी के रस मे डूबोते हुए बाबा रामदेव पर व्यंग करते हुए प्रतापगढ़ के शैलेन्द्र शैलू ने कहा… नारियों ने नाखुन रगडने की हद ही पार कर दी, माथे के बाल के साथ साथ मुछें भी बाहर कर दी, बाबा जी बोले तूमने ये क्या किया है, मैंरा ये योगा तूमने ज्यादा किया है… क्या कर लिया है तूमने मैरी बहन, किया- किया क्या किया बाबा आपने करम , रामदेव बाबा के योग मे है बडा दम. पैरोडी सुनाकर श्रोताओं को लोट पोट कर दिया।
हास्य रस के गीतकार नाथद्वारा के लोकेश महाकाली ने मेवाड़ी धरा को नमन करते हुए मेवाडी जांबांजो का जयगान करते हुए कहा, झूकी ना झंझावातों से वो आन दिखाता हू, मेवाडी जाबाँँजो का जयगान सुनाता हूँ, सुनाकर श्रोताओं की खुब तालियां बटोरी।
मंदसौर के कवि मुन्ना बेट्री ने भी अपने चित – परिचित मजाकियां अंदाज मे राजनेताओं पर चुटकी लेते हुए कई सारे व्यंग बाणों की बौछार से कवि सम्मेलन मे ठहाकों की लडी लगाई।
कवि सम्मेलन शुरू होने से पूर्व ही पूरा सदन खचाखच भर गया और लोग कवियों को सुनने को बेताब दिखे। महाराणा प्रताप की जयंती पर आयोजित कवि सम्मेलन मे कवियों ने जहां प्रताप के शोर्य और वीरता के बखान किये वही अपने हास्य, व्यंग्य, वीर रस के अंदाज में श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा।
अतिथियों ने किया आयोंजको का सम्मान
कवि सम्मेलन के प्रारंभ मे भारत विकास परिषद् प्रताप के अध्यक्ष संजय भण्डारी ने स्वागत उद्बोधन दिया। मुख्य संरक्षक सत्यनारायण माहेश्वरी ने संस्थान की जानकारी दी। सचिव निर्मला जैन, कोषाध्यक्ष नरेन्द्र खाब्या, संरक्षक नरेन्द्र पोरवाल , सूरेन्द्र भण्डारी, अजय सेठी रेन प्रकाश जैन, दीपक जैन और पदाधिकारियों ने कवियों का मंच पर माल्यार्पण कर स्वागत किया। कवि सम्मेलन मे मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, महापौर चन्द्रसिंह कोठारी, युआईटी अध्यक्ष रविन्द्र श्रीमाली, भारत विकास परिषद के प्रान्तीय अध्यक्ष राजश्री गंधर्व ने परिषद् के अध्यक्ष संजय भण्डारी, विनोद माण्डोत, सरदार सुजान सिंह, हरिश राजानी, निर्मल हडपावत एवं आलोक पगारिया का कवि सम्मेलन के आयोजन के लिए सम्मान किया।
जीवन मे यह अमर कहानी अक्षर – अक्षर गढ़ लेना, शोर्य कभी सो जाये तो राणा प्रताप को पढ लेना……

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