पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति एवं श्री वासुपूज्य दिगम्बर जैन धर्मार्थ एवं सेवार्थ संस्थान द्वारा मुनि अमितसागर महाराज,आर्यिका 105 सुभूषणमति माताजी एवं प्रशांतमति माताजी के पावन सानिध्य में संतोषनगर गायरिवास स्थित मज्ज्निेन्द्र 1008 वासुपूज्य भगवान का 6 दिवसीय प्रतिष्ठा महोत्सव के चौथे दिन भगवान के बाल रूप की विभिन्न विधियों के साथ तप कल्याणक राग से विराग महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
इस दौरान प्रभु के बाल रूप की विभिन्न विधियां संपन्न करवाई गई। जिसके तहत बाल क्रीड़ा का भव्य आयोजन हुआ। प्रभु के साथ नन्हे-मुन्ने बच्चों ने काफी बाल क्रीडाएं की। बच्चे प्रभु के बाल सखा बने और उनके साथ खूब मस्ती भी की। इसी के साथ बालस्वरूप को अन्य प्रासन विधि भी कराई गई जिस में उपस्थित श्रावको ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। भगवान के साथ मौजूद सैधर्म इंद्र ने भगवान के अंगूठे में अमृत स्थापित किया और भगवान ने अंगूठा मुंह में लेकर उस अमृत को स्वयं में स्थापित किया। भगवान को पालना झुलाने की रस्म भी भव्य तरीके से संपन्न हुई।
इन विधियों के बाद प्रभु का राज दरबार सजाया गया। राजाओं द्वारा 32 मुकुट बंद भेंट किए गए। राज्याभिषेक राजतिलक का आयोजन भी हुआ। लोकातिक देवों का आगमन होने के साथ ही वैराग की अनुमोदना भी की गई। इस अवसर पर परम पूज्य गुरु गौरव प्रज्ञा श्रमण बाल योग्य मुनि 108 अमित सागर जी महाराज ने तप कल्याणक महोत्सव का विस्तार से महत्व बताते हुए हर आग से विराग तक के इस महान धार्मिक अनुष्ठान के बारे में उपस्थित श्रावको को जागृत किया।
मुनि ने कहा कि भगवान की बाल्यावस्था के बाद जैसे-जैसे अवस्था बढ़ती है वैसे वैसे उनकी क्रियाएं भी बढ़ती जाती है। भगवान के साथ बाल क्रीड़ा करने के लिए देव परिवार ही रहता है। भगवान जब तक घर में रहते हैं तब तक उनके लिए हर चीज स्वर्ग से ही आती है। इस दौरान भगवान की पूर्ण सुरक्षा का जिम्मा देव परिवारों का ही रहता है।
मीडिया प्रभारी शेखर कुणावत व भूपेन्द्र लुणदिया ने बताया कि आयोजनों की कड़ी में दीक्षा वन की ओर जाना दीक्षा विधि और बिहार जैसे धार्मिक उपक्रम संपन्न हुए। उसके बाद सायं 6.30 बजे प्रभु की आरती हुई।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal