तकनीकी सोच डालेगी पत्थरों में नई जान


तकनीकी सोच डालेगी पत्थरों में नई जान

अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के तहत हमारा देष कुछ आयात-निर्यात की चुनौतियों से जूझ रहा है। कुछ बातों को डब्ल्यूटीओ में चुनौती दी गई है। कोर्ट की एसआईटी ने भी इसका व्यापक अध्ययन कर सुझाव दिए हैं जो शीघ्र ही नई पॉलिसी और सेफगार्ड बेरियर्स सहित अन्य अवरोधों के रूप में सामने आएगा।

 

तकनीकी सोच डालेगी पत्थरों में नई जान

अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के तहत हमारा देष कुछ आयात-निर्यात की चुनौतियों से जूझ रहा है। कुछ बातों को डब्ल्यूटीओ में चुनौती दी गई है। कोर्ट की एसआईटी ने भी इसका व्यापक अध्ययन कर सुझाव दिए हैं जो शीघ्र ही नई पॉलिसी और सेफगार्ड बेरियर्स सहित अन्य अवरोधों के रूप में सामने आएगा।

किसी भी कीमत पर भारत के व्यपारियों का अहित नहीं होने दिया जाएगा। भारत सरकार के विदेष व्यापार के महानिदेषक अनूप वधावन ने उदयपुर में सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ स्टोन-सीडाँस, फिक्की और रीको की ओर से यूसीसीसीआई सभागार में हुई दो दिवसीय इंटरनेषनल स्टोन टेक्नोलॉजी कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन यह विचार व्यक्त किए। नई पॉलिसी की चिंताओं और पुरानी इंपोर्ट पॉलिसी को जारी रखने की मांग पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कहा कि सभी स्तरों पर बातचीत के बाद सुधार के प्रयास किए जाएंगे।

कॉन्फ्रंेस में चीन की अलीबाबा डॉट कोम कंपनी के डायरेक्टर चैनल मैनेजमेंट क्रिस वांग ने स्टोन की ई-मार्केटिंग पर चर्चा करते हुए बताया कि दुनिया में अब पत्थरों की ऑनलाइन बिक्री व खरीद का जमाना है। उनकी कंपनी राजस्थान और देषभर के व्यापारियों के लिए मार्केटिंग, सेल्स सहित अन्य सभी सुविधाएं देते हुए कई ऐसे बाजारों में प्रवेष दिला रही है जहां अब तक उनकी पहुंच नहीं थीं। इनमें अमेरिका, इंग्लैण्ड सहित अन्य बाजारांे के लाखों कस्टमर्स शामिल हैं।

यही नहीं वे अन्य बाजारों के ट्रैफिक को भी भारत के व्यापारियों की तरफ डाइवर्ट करते हैं। मेक इन इंडिया का जिक्र करते हुए वांग ने भारत को दुनिया की सबसे उभरती अर्थव्यवस्था बताया व कहा कि अगले पांच सालों में यह दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा। पत्थर ऑनलाइन बेचे व खरीदे जाएंगे तो उनकी कीमतों व गुवत्तापूर्ण व्यापार में बहुत अंतर आ जाएगा।

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सीईओ सीडोस आरके गुप्ता ने उद्यामियों से खुले दिमाग से नई तकनीक का स्वागत करने की बात कही। वाइस चेयरमैन सीडोस अषोक कुमार धूत ने कहा कि सभी उद्यामियों को मिल कर पत्थर बाजार को नए आयाम देने होंगे।

रणकपुर व देलवाड़ा के मंदिरों के रिनोेवेषन करने वाले ख्यातनाम उद्यमी किरण त्रिवेदी ने स्टोन क्राफ्ट इंडस्ट्री में सीएसी मषीनों के प्रयोग के बारे में बताते हुए कहा कि स्टोन इंडस्ट्री में नई तकनीक महारथी कारीगरों के लिए वरदान साबित हो रही है। दुनियाभर के कई नामी प्रोजेक्ट में काम के अवसर इतने बढ़ गए हैं कि अब कारीगरों की कमी महसूस होने लगी है। नए प्रोजेक्ट मषीनों की मदद से तैयार तो किए जा सकते हैं मगर उन्हें अंतिम रूप से खूबसूरत बनाने का कमाल सिर्फ मानवीय हाथ ही कर सकते है।

अभी इटली, ब्राजील व अन्य देषों में चल रहे बड़े प्रोजेक्ट में दुनियाभर के 300 से ज्यादा कारीगर एक साथ काम कर रहे है। कारीगरों की इस कमी को दूर करने के लिए आबूरोड के कुछ स्थानीय आदिवासियों को ट्रेंड किया जा रहा है।

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मुर्गल सोमपुरा ने नैनो टेक्नोलॉजी का जिक्र करते हुए कहा कि कम समय, कम धन और बहुत कम परिश्रम से उत्पादकता को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। प्रमोद सालुखे ने स्टोन वेैल्यूएडेड प्रोडक्ट के बारे में बताया। वोल्वो के सुभाष शर्मा ने कहा कि एक्सक्वेटर को अब नई मषीनों से रिप्लेस किया जा सकता है। नई वोल्वो मषीनें खास तौर पर माइनिंग इंडस्ट्री में ब्लॉक को उठाने, गिराने व अन्य स्थान पर रखने के लिए डिजाइन की गईं हैं। इनकी कीमत भी सिर्फ एक वर्ष में वसूल हो जाती है।

सिग्मा कंसल्टेंसी सर्विसेज के सीई-मार्किंग विषेषज्ञ जीसुंदरेष्वरा ने कहा कि यूरोप में व्यापार करने के लिए सीई-मार्किंग मानकों को अपनाना जरूरी है। उन्होंने उद्यामियों से कहा कि यदि हमें भविष्य में अंतराष्ट्रीय बाजार में बने रहना है तो बाहर के देषों के मानकों को तो पूरा करना ही होगा, हमारे अपने कड़े मापदंड भी बनाने होंगे। विक्रम रस्तोगी ने भारतीय कंपनियों के लिए बढ़ते वैष्विक बाजार के बारे में तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए सुझाव दिए।

तकनीकी सोच डालेगी पत्थरों में नई जान

वरिष्ठ षिल्पी भागीरथ शर्मा ने अनूठे अंदाज में प्रजेंटेषन देते हुए कहा कि अगर आप मार्बल, लाइम स्टोन या पत्थर की किसी भी आर्टिकल इंडस्ट्री में आपको सफल होना है तो बस दिल की बात मानो। सफलता खुद आपके पास चलकर आएगी।

अंतिम सत्र में देष के ख्यातनाम आर्किटेकट्स ज्योति गिल, सूरज कांथे, देव्यानी त्रिवेदी, मीरा संघवी व राजेया बीएस काकोडकर ने प्रष्नोत्तरी सत्र में उद्यामियों की जमीनी स्तर की समस्याओं पर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि यदि स्किल्ड लेबर पर ध्यान दिया जाएगा तो पत्थर उद्योग को नई उंचाइयां दी जा सकती हैं।

सीडोस, फिक्की व रीको के संयुक्त तत्वावधान में उदयपुर में पहली बार आयोजित इस अंतराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को देष-विदेष के वक्ताओं ने मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि इस आयोजन ने दक्षिणी राजस्थान सहित देषभर के पत्थर उद्योगों में नई जान फूंक दी है। यहां पर कई नए शोधपरक विचारों का आदान-प्रदान हुआ तथा कई बड़े मुद्दों पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम में उदयपुर मार्बल प्रोेसेसर्स ऐसोसिएषन के अध्यक्ष शरत कटारिया, मार्बल एसोसिएषन के अध्यक्ष रोबिन सिंह, यूसीसीआई अध्यक्ष वीपी राठी, पूर्व अध्यक्ष पीएस तलेसरा सहित राजस्थान के 500 से ज्यादा उद्यमियों ने हिस्सा लिया।

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