पिछोला झील को 500 हेक्टर से कम बता वेटलैंड सूची  से बहार करना एक षडयंत्र


पिछोला झील को 500 हेक्टर से कम बता वेटलैंड सूची  से बहार करना एक षडयंत्र

पिछोला फतहसागर सहित प्रदेश की जैव विविधता वाले समस्त झीले व तालाब महत्वपूर्ण वेट लेंड है। राज्य सरकार इन सभी को वेटलैंड नोटिफाई कर सुरक्षित -संरक्षित करे।

 

पिछोला झील को 500 हेक्टर से कम बता वेटलैंड सूची  से बहार करना एक षडयंत्र

पिछोला फतहसागर सहित प्रदेश की जैव विविधता वाले समस्त झीले व तालाब महत्वपूर्ण वेट लेंड है। राज्य सरकार इन सभी को वेटलैंड नोटिफाई कर सुरक्षित -संरक्षित करे।

झील संरक्षण व विकास प्राधिकरण अध्यादेश के तहत बनने वाले नियमो में वेटलैंड मैनेजमेंट एवं कन्वर्जेंस रूल्स का पूर्ण समावेश किया जाये। यह विचार वेटलैंड दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित संवाद में उभरे। संवाद का आयोजन डॉ  मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट ,झील संरक्षण समिति एवं चांदपोल नागरिक समिति के सयुक्त तत्वाधान में हुआ।

विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य व झील विशेषज्ञ अनिल मेहता ने कहा उदयसागर झील को वेटलैंड सूची में सम्मिलित करने के बावजूद केंद्र सरकार के स्तर पर विधिवत घोषित व नोटिफाई में देरी केवल वर्धा होटल को बचाने का षड्यंत्र था। वही पिछोला झील को 500 हेक्टर से कम बता कर वेटलैंड सूची  से बहार करना भी एक षडयंत्र है। जब कि पिछोला वास्तविकता में 600 हेक्टर से अधिक है। राज्य व केंद्र सरकार को इसकी सीबीआई से जांच करवानी चाहिए।

झील संरक्षण समिति के सचिव डॉ तेज राज़दान ने कहा कि वस्तुतः जैव विविधता तथा पर्यावरणीय धरोहर वाली झीलों   के लिए 500 हेक्टर की सीमा का बंधन संदेह व प्रश्न खड़े करता है।

राज़दान ने कहा कि मेनार के तालाब की तरह ही बड़ी का तालाब भी विशिष्ठ जैव विविधता वाला  है  । उदयपुर की झील प्रणाली वेट लेंड कॉम्लेक्स है जो कि पांच सो हेक्टेयर से कई गुना ज्यादा है। वेट लेंड संरक्षण नियमो के तहत राज्य के सभी जैव विविधता वाली झीलों तालाबों को नोटिफाई करने से ही इनका पर्यावरण व पारिस्थितिकी  तंत्र बचेगा।

चांदपोल नागरिक समिति के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों में स्पीड बोट की अनुमति रद्द होनी चाहिए। स्पीड बोट से पक्षियों के आवास , प्रजनन व ठहराव पर दुष्प्रभाव पड रहा है। यदि पक्षी झीलों में आना बंद हो गए तो झीले भी नहीं बचेगी।

संवाद का संयोजन करते हुए डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि अल्प  तात्कालिक व छोटे स्वार्थो को तिलांजलि देकर झीलों के किनारो व पेटे को बचाना चाहिए। वही सरकार भी झीलों ,तालाबो के  संरक्षण में नागरिको की वास्तविक व गतिशील सहभागिता सु निश्चित करे। संगोष्ठी में झील क्षेत्र के रहवासियो ने भी भाग लिया।

सुबह का रविवारीय श्रमदान

संवाद पूर्व पिछोला झील क्षेत्र में श्रमदान कर झील से जलीय घास ,हवन पूजन सामग्री , नारियल ,मांस के सडे टुकड़े, पोलिथिन , मृत पक्षी,घरेलु कचरा निकाला गया। श्रमदान में मोहन सिंह चौहान,दीपेश स्वर्णकार,जगदीश राठोड, कुलदीपक पालीवाल,प्रताप सिंह , अनिल मेहता , तेज शंकर पालीवाल ,जगदीश सिंह राठोड , नन्द किशोर शर्मा , बंशी लाल सहित कई नागरिको ने भाग लिया।

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