उदयपुर, 8 सितंबर 2021। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आयोजित ‘‘टेराकोटा वर्कशॉप’’ का समापन बुधवार शाम शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में हुआ।
इस अवसर पर कार्यशाला के दौरान सृजित कृतियो का प्रदर्शन हुआ जिसमें एक ओर जहां मोलेला की विश्व प्रसिद्ध शैली में लोक कलाओं के मोटिफ देखने को मिले वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञ नियाज मजूमदार तथा कला संकाय के छात्रों के कृतित्व अनूठे अंदाज में नजर आया।
केन्द्र निदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता ने बताया कि मृणकला को प्रोत्साहन देने तथा नवीन पीढ़ी को पारंपरिक मृण कला से अवगत करवाने के लिये आयोजित कार्यशाला में मोलेला से 10, बांसवाड़ा से 4 तथा अलवर से दो शिल्पकारों ने भाग लिया। कार्यशाला में ही उदयपुर के कला जगत के कलाकारों व सुखाडि़या विश्वविद्यालय के कला विभाग के छात्रों ने भी अपना सृजन किया। इस कार्यशाला के साथ ही एक और कार्यशाला 5 सितम्बर को प्रारम्भ की गई जिसमें प्रतिभागियों विशेषकर कला संकाय के विद्यार्थियों को कुम्हार के चाक (पॉटर्स व्हील) पर कार्य करने का अनुभव दिया गया। कार्यशाला में मोलेला के शिल्पकारों ने मृण पट्टिका पर केन्द्र के सदस्य राज्य राजस्थान व गुजरात की नृत्य शैलियों को परंपरागत ढंग से मृण पट्टिका पर उकेरा। वहीं जनजाति अंचल बांसवाड़ा से आये चार मृदा शिल्पियों ने पारंपरिक चूल्हा, अनाज की कोठियाँ, मसालेदानी आदि का सृजन अपनी परंपरानुसार किया।
कोलकाता के शांति निकेतन के नियाज मजूमदार ने मोलेला शैली को आधार बना कर अपना पृथक डेकोरेटिव सृजन किया जिसमें वृक्ष, लताएँ, फूल पत्तियाँ प्रमुख हैं। कला महाविद्यालय के छात्र छात्राओं ने कार्यशाला के दौरान मृण पट्टिकाओं पर अपनी कल्पनाओं को एक नये अंदाज में मंडित किया।
कार्यशाला के समापन अवसर मोलेला के राजेन्द्र कुम्हार, बांसवाड़ा की शिल्पकार मीना, सुखाडि़या विश्वविद्यालय की छात्रा युक्ति शर्मा ने कार्यशाला के अनुभव साझा किये। विशेषज्ञ नियाज मजूमदार ने कार्यशाला को सीखने का माध्यम बताते हुए इस विधा पर निरन्तर कार्य करने की सीख दी। केन्द्र निदेशक श्रीमती गुप्ता ने इस अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किये।
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