दिवाली पर रौशनी से जगमगा उठा शहर
रौशनी से महरूम रहा बापू बाजार का एक हिस्सा
अमावस की अँधेरी रात को रोशन करती हुई दियो की रात दिवाली रविवार को शहर में पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई गई। इस पर्व में शहर को दीपो और रंगीन बल्बों के साथ सजाया गया। वहीँ आतिशबाज़ी के धमाकों ने शहर को गुंजायमान कर दिया। शहर के सभी मुख्य बाजार बापू बाजार, देहली गेट, भट्टियानी चोहट्टा, मालदास स्ट्रीट, बड़ा बाजार, सूरजपोल, अस्थल मंदिर चौराहा पर सजावट की गई। जिसे देखने के लिए शहर उमड़ पड़ा। हालाँकि बापू बाजार के एक हिस्सा इस वर्ष सजावट से महरूम रहा।
दिवाली के अवसर पर नगर निगम द्वारा टाउन हाल में आयोजित मेले में लोगो की आवाजाही और रौनक देखी गई। मेले में सौंदर्य प्रसाधन, लेडीज़ पर्स, कपडे और आयुर्वेद सामग्री की खरीदारी में लोगो ने दिलचस्पी दिखाई। वहीँ लोगो ने मेले में लगे मनोरंजन के साधनो डॉलर, चकरी, झूले, बलून शूटिंग और मौत के कुंए में हैरतंअगेज़ कारनामो का भरपूर आनंद उठाया।
रौशनी से महरूम रहा बापू बाजार का एक हिस्सा
हर वर्ष दिवाली की रात को दुल्हन की तरह सजने वाला बापू बाज़ार का एक इलाका इस वर्ष मंदी की मार और ऑनलाइन शॉपिंग और मॉल शॉपिंग के विरोध स्वरुप रौशनी से महरूम रहा। स्थानीय व्यापारियों ने विरोध स्वरुप एक बैनर भी लगाया। स्थानीय व्यापारियों का कहना था की एक तो मंदी की मार और दूसरा स्थानीय लोगो के आजकल मॉल और ऑनलाइन शॉपिंग के प्राथमिकता देने के वजह से उनकी बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसलिए इस वर्ष उन्होंने आमजन से माफ़ी मांगते हुए रौशनी नहीं की।
इससे पूर्व धनतेरस और रूप चौदस भी शहर में श्रद्धा के साथ मनाया गया। धनतेरस पर हर साल की तरह वाहनों की बिक्री खूब हुई। हालाँकि शहर के सर्राफा व्यवसायियों पर मंदी की मार दिखाई दी। शहर के प्रमुख सर्राफा बाज़ार घंटाघर में ज्वेलरी शॉप पर इस बार रौनक कम देखने को मिली।
वहीँ धनतेरस पर बर्तन कारोबार पर भी पिछले वर्षो के मुकाबले इस वर्ष कोई ख़ास उत्साह नहीं नज़र आया। बर्तन बाज़ार के नाम से मशहूर भड़भूजा घाटी के व्यापारियों का कहना था की इस वर्ष उनका कारोबार पिछले वर्षो के मुकाबले बेहद कम रहा। दूसरी और परम्परागत रूप से मिठाइयों, पटाखों और मिटटी के दियो और मटकी की खरीदारी करते लोगो की चहल पहल धानमंडी, देहली गेट में दिखाई दी।
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