शिल्प विविधताओं से रंगा है शिल्पग्राम का हाट बाजार
यहां शिल्पग्राम में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ में देश के विभिन्न राज्यों की शिल्प वैविध्य का रंग हाट बाजार में आगंतुकों को देखने व खरीदने का मिल रहा है। उत्सव के तीसरे दिन हाट बाजार ने अपनी चाल पकड़ी तथा हाट बाजार का लोगों ने जायज़ा लिया।
यहां शिल्पग्राम में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ में देश के विभिन्न राज्यों की शिल्प वैविध्य का रंग हाट बाजार में आगंतुकों को देखने व खरीदने का मिल रहा है। उत्सव के तीसरे दिन हाट बाजार ने अपनी चाल पकड़ी तथा हाट बाजार का लोगों ने जायज़ा लिया।
उत्सव में भारत के विभिन्न राज्यों के शिल्पकार अपने नायाब और कलात्मक उत्पाद ले कर आये हैं जिन्हे विभिन्न शिल्प क्षेत्रों में संयोजित किया गया है। मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर उत्कृष्ट शिल्प से हाट बाजार शुरू होता है जिसमें बाड़मेरी पट्टू कलाकार अर्जुन राम अपनी खड्डी पर बैठ कर शाॅल बुनते नजर आये इससे कुछ कदमों पर गाडिया लोहार धोंकणी पर लोहा तपा कर बर्तन बनाते देखे जा सकते हैं। अलंकार क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के आभूषण जिसमें नेकलेस, बैंगल्स, इयरिंग्स, कड़े इत्यादि हैं।
हाट बाजार के विविधा में जहां शिल्प कलाओं के साथ चित्रकारी देखने को मिलती है वहीं इसमें पेपर मेशी, गोवन शिल्प के नारियल के कलात्मक नमूने, मणिपुर के मग व केतली, जूट संसार में जूट के कलात्मक बैग्स, झूले, वाटर बाॅटल कवर, वाॅल हैंगिंग्स, धातु धाम में पीतल की बनी कलात्मक प्रतिमाएँ, मृण कुंज में मिट्टी के सुंदर पाॅट्स, वाॅटर फाॅल दर्शाने वाले पाॅट्स, झूमती व गर्दन मटकाती नर्तकियां, वस्त्र संसार में बनारसी साड़ी, बनारसी सिल्क के परिधान, काॅटन बेड शीट व बेड कवर, भरथ काम से सजी चादरें, राजपूती परिधान, काॅटन दरी आदि देखने को मिले। इन सब बाजारों में शनिवार को लोगों की काफी चहल-पहल रही तथा लोगों ने खरीददारी करना प्रारम्भ किया।
शिल्प बाजार में ही छोटे बच्चे अपने हाथों में पुपाड़ी लेकर बजाते व मस्ती करते नजर आये वहीं कुछ ने तीर कमान संभाले। हाट बाजार में ही बहुरूपिया विशेषकर वानर बने कलाकार ने लोगों का भरपूर मनोरंजन किया वहीं मुख्य द्वार के समीप बम रसिया कलाकारों ने लोक वाद्य बम की धमक के साथ झमते हुए फाग सुनाये तो कई लोग कलाकारों के साथ नाचने लगे। इसके अलावा बेड़ा रास, गवरी आदि का प्रदर्शन दर्शकों को खूब रास आया। दोपहर में ‘हिवड़ा री हूक’ में कला प्रदर्शन के इच्छुक शौकिया कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दी।
पत्थर और मिट्टी के टी मग व केतली
यहां शिल्पग्राम में चल रहे शिल्प मेले में मणिपुर से आये शिल्पकार द्वारा सृजित ब्लैक मग व केतली लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। इसके शिल्पकार लेखराज के अनुसार वे पत्थर को पीस कर उसमें मिट्टी का मिश्रण करते हैं तथा बाद में इन्हें वांछित आकार दे कर पकाया जाता है। इनके स्टाॅल पर चाय के मग व केतली की बनावट कला का उत्कृष्ट नमूना है। जिस पर बांस की तांत को कलात्मक ढंग से मढ़ा गया है।
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