जीवन में घटने वाली घटनाएं दिखाती है देश का चरित्र
वर्तमान में देश में पूर्व की अपेक्षा हिंसा, दुराचार आदि की घटनाएं अधिक बढ़ गयी है। मानव जीवन में जो घटनाएं घटित होती है वह देश का चरित्र होती है।
वर्तमान में देश में पूर्व की अपेक्षा हिंसा, दुराचार आदि की घटनाएं अधिक बढ़ गयी है। मानव जीवन में जो घटनाएं घटित होती है वह देश का चरित्र होती है।
श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि ने आज पंचायती नोहरे में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए उक्त बात कहीं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चरित्र का विकास भी मानव जीवन की विधियों पर आधारित होता है। समय पर अनुशासन स्थापित कर व्यक्ति विश्व में बड़ी से बड़ी सिद्धी प्राप्त कर सकता है।
कई व्यक्तियों के मन में यह भ्रान्ति है कि धन या पद से व्यक्ति आगे बढ़ता है, जो कि यह उसकी सबसे बड़ी भूल है। व्यक्ति आत्मानुशासनपूर्वक किये गये श्रम से आगे बढ़ता है।
मुनिश्री ने कहा कि मानव अति चंचल हो गया है। सच पूछा जाए तो अस्थिरता, व्यग्रता उद्वेग आज के युग की बससे बड़ी बीमारियंा है। इन व्याधियों के कारण मनुष्य की न केवल शंाति भ्ंाग हो रही है वरन् उसका विकास भी रूक जाता है।
यहां विकास का अर्थ मानव की मनुष्यता से है। देश में जो नवनिर्माण कार्य चल रहा है, सुविधाएं बढ़ रही है, लेकिन गहराई से सोचे तो मनुष्य के चरित्र का जिस प्रकार से निमा्रण होना चाहिये था वह नहीं हो पाया है।
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