हुमड़ भवन में हुई चातुर्मास मंगल कलश की भव्य स्थापना


हुमड़ भवन में हुई चातुर्मास मंगल कलश की भव्य स्थापना

तेलीवाड़ा स्थित हुमड़ भवन में रविवार को आचार्यश्री शांतिसागरजी महाराज के सानिध्य में चातुर्मास मंगल कलश की स्थापना हुई। इस दौरान शहर सहित मेवाड़- वागड़ क्षेत्र के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से आये सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

 
हुमड़ भवन में हुई चातुर्मास मंगल कलश की भव्य स्थापना

तेलीवाड़ा स्थित हुमड़ भवन में रविवार को आचार्यश्री शांतिसागरजी महाराज के सानिध्य में चातुर्मास मंगल कलश की स्थापना हुई। इस दौरान शहर सहित मेवाड़- वागड़ क्षेत्र के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से आये सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

समारोह में विभिन्न धार्मिक एवं मांगलिक कार्यक्रम सम्पन्न हुए जिनमें चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट एवं गुरू पूजा सहित भक्ति संगीत- नृत्य के आयोजन हुए। इन मांगलिक आयोजनों के पुण्यार्जकों में खूबचन्द प्रकाशचन्द्र सिंघवी, जयन्तिलाल डागरिया, निर्मल कुमार मालवी, पुष्कर भदावत, महावीर देवड़ा, सुन्दरलाल फडि़या आदि थे।

समारोह में चातार्मास हेतु दिगम्बर जैन समाज के सदस्यों ने आचार्यश्री शांतिसागरजी महाराज को श्रीफल भेंट कर विनती की, जिसे आचार्यश्री ने अपनी सहर्ष स्वीकृति प्रदान की। इसके बाद आचार्यश्री के सानिध्य में चातुर्मास मंगल कलश स्थापना की क्रिया प्रारम्भ हुई।

हुमड़ भवन में हुई चातुर्मास मंगल कलश की भव्य स्थापना

चातुर्मास कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष सेठ शान्तिलाल नागदा ने बताया कि कलश स्थापना के मंगल कलशों में मुख्य कलश आचार्य शान्तिसागर कलश कनकमल महावीर कुमार मुण्डलिया परिवार द्वारा, चक्रवर्ती आचार्य शान्तिसागर कलश गणेशलाल , गजेन्द्र कुमार बोहरा परिवार द्वारा, आचार्य शान्तिसागरजी छाणी कलश हेमराज मुकेश कुमार, लोकेश कुमार मुण्डलिया परिवार द्वारा, आचार्य कल्याण सागर कलश जयन्तिलाल डागरिया परिवार द्वारा, आचार्यश्री विमलसागर कलश भैरूलाल, रोशनलाल ललित कुमार देवड़ा परिवार द्वारा लिया गया।

चातुर्मास समापन पर लॉटरी के द्वारा विस्थापित किये जाने वाले मंगल कलशों के पुण्यार्जक एल़पी़ कोटडि़या, अम्बालाल दोशी, सुनील गंगवाल, नाथूलाल खलूडि़या तथा लक्ष्मीलाल पटवारी रहे।

समारोह में श्रीसिद्ध चक्र महामण्डल विधान का समापन हुआ जिसके तहत महाशान्तिधारा, पंचामृत अभिषेक, जिनेन्द्र भगवान की पूजा- अर्चना की गई। समापन अवसर पर इन्द्रदेव को रिझाने के लिए विभिन्न हवन कुण्डों में पूर्णाहूतियां देकर विश्व शान्ति महायज्ञ किया एवं विश्वकल्याण की कामना की गई।

मंगलकलश स्थापना के विभिन्न अनुष्ठानों के समापन के बाद धर्मसभा में आचार्य शान्तिसागर जी महाराज ने कहा कि रोते हुए बच्चे के मुंह में अगर निबल डाल दी जाए तो वह रोते हुए चुप हो जाता है, उसी तरह सन्तों की वाणी अगर श्रावकों के मुख में आ जाए तो उनका जीवन सार्थक हो जाता है। आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं से आव्हान किया कि तुम तुम्हारे हाथ सन्तों की ओर बढ़ाओ तुम्हारा जीवन बदल जाएगा। तुम अपना जीवन धर्म में लगाओ, तुम्हारे जीवन में भगवान महावीर का वास हो जाएगा।

आचार्यश्री ने कहा कि यह चातुर्मास ऐतिहासिक बने, धर्मप्रभावना का मुख्य कारक बने, इसके लिए सभी को मिल कर प्रयास करने होंगे। चातुर्मास साल में एक बार आता है, यह धर्म का महापर्व है, इसका लाभ हर हाल में लेना है। इस अवसर पर आचार्यश्री ने सभी को मंगल आशीष प्रदान किया। समारोह समापन के बाद हुमड़ भवन से जिनेन्द्र भगवान की विशाल शोभा यात्रा निकाली गई जो विभिन्न मार्गों से होती हुई मन्दिरों में पहुंची और प्रतिमाओं को वहां विराजित कराया गया।

समारोह के बाद आचार्यश्री ने महिलाओं को सूखे नारियलों को विशेष अभिमंत्रित कर प्रदान किये जिन्हें चातुर्मास के दौरान घर में पूजा के स्थान पर धराया जाएगा।

चातुर्मास के दौरान बाहर से आने वाले आगन्तुक अतिथियों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के लिए पुण्यार्जकों का दायित्व शान्तिलाल विजयलाल वेलावत एक्मे परिवार, , भैरूलाल रोशनलाल, ललित कुमार देवड़ा, नन्दलाल, नरेश कुमार मुण्डलिया परिवार का विशेष सहयोग रहेगा।

समारोह में इनका रहा विशेष सहयोगः शान्तिलाल वेलावत, सेठ शान्तिलाल नागदा, सेठ केशुलाल नागदा, शान्तिलाल वेलावत, चन्दनमल छाप्या, नाथूलाल खलूडि़या, सुमतिलाल दुदावत, सुरेश पद्मावत, कल्याणमल मेहता, ललित देवड़ा, राजेश गदावत, महिला मण्डल में अंजना गंगावत, मधु चित्तौड़ा, मंजू गदावत, लीला कुरडि़या आदि।

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