वॉयलिन की धुन और शास्त्रीय गायन से निकली संगीत की रसधार
महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा आयोजित अखिल भारतीय तीन दिवसीय 55वां वार्षिक महाराणा कुंभा संगीत समारोह आज से मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में प्रारम्भ हुआ। समारोह का शुभारम्भ मुबंई के वायलिन वादक पं. दीपक पण्डित के शास्त्रीय गायन से हुआ। समारोह के द्वितीय
महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा आयोजित अखिल भारतीय तीन दिवसीय 55वां वार्षिक महाराणा कुंभा संगीत समारोह आज से मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में प्रारम्भ हुआ। समारोह का शुभारम्भ मुबंई के वायलिन वादक पं. दीपक पण्डित के शास्त्रीय गायन से हुआ। समारोह की मुख्य अतिथि हिंदुस्तान ज़िंक लि. की सीएसआर हेड नीलिमा खेतान, विशिष्ठि अतिथि डॉ.प्रीता भार्गव, रोटरी के पूर्व प्रान्तपाल निर्मल सिंघवी, नाथद्वारा टेम्पल बोर्ड के प्रशासक दिनेश कोठारी थे।
पं. दीपक ने कार्यक्रम की शुरूआत राग चारूकेशी से की। उनके वॉयलिन से निकले सुर ने सुरों की सरिता बहा दी। जिससे श्रोता गदगद हो गये। मध्य लय की एक ताल में प्रस्तुत की गई राग चारूकेशी ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वॉयलिन की धुन का श्रोताओं ने खूब आनन्द लिया। श्रोता उसी में खो से गये। उनके साथ तबले पर संगत उनके बड़े भाई हीरा पण्डित ने की। तबले व वॉयलिन की जुगलबन्दी से श्रोता समारोह में खो से गये। इसके बाद उन्होंने राग माला गायी जिस सुन श्रोता आनन्दविभोर हो गये। इसके बाद इन्होेंने कुछ रागों की कम्पोजिशन की मिश्रण राग माला की प्रस्तुति दी,जिसमें तबले व वॉयलिन के बीच सवाल जवाब हुए जिसकी दोनों ने शानदार प्रस्तुति दी। तबले व वॉयलिन के बीच हुए सवाल-जवाब ने श्रोताओं को आनन्दित कर दिया। देश के ख्यातनाम कव्वाल शंभू के द्वय पुत्र हीरा एवं दीपक की जोड़ी ने समारोह के प्रथम दिन के प्रथम सत्र को अपनी शानदार प्रस्तुति से अपने नाम कर दिया। अंत में उन्होेंने पहाड़ी धुन सुनायी।
दीपक पण्डित ने एक भेंट में बताया कि शास्त्रीय गायन क्षेत्र किसी की जागीर नहीं है। इसमें नवोदित कलाकार मेहनत नहीं कर पाने के कारण आगे नहीं आ़ पा रहे है। दीपक पण्डित का डॉ. प्रेम भण्डारी ने एवं हीरा पण्डित का देवेन्द्र हिरण ने उपरना ओढ़़ाकर स्वागत किया।
समारोह के द्वितीय सत्र में कोलकाता की कौशिकी चक्रवर्ती ने शास्त्रीय गायन में अपनी छाप छोड़ी। उन्होेंने सुरमण्डल के साथ जब राग रागेश्वरी से अपने कार्यक्रम की शुरूआत की तो श्रोता उनके कण्ठ में बिराजमान सरस्वती को सुनते ही रह गये। उनके साथ तबले पर ओजस, हारमोनियम पर पारोमिता मुखर्जी, तानपुरे पर शुभांगी एवं मेघा दीपा ने संगत की।
कुम्भा परिषद के मानद सचिव डॉ यशवन्त कोठारी ने बताया कि इस वर्ष का मुरली नारायण माथुर स्मृति पुरस्कार शास्त्रीय गायन के सुप्रसिद्ध कलाकार कौशिकी चक्रवर्ती को अतिथियों एवं मुकेश माथुर, दिनेश माथुर परिवार से जुड़े सदस्यों ने प्रदान किया।
कोठारी ने बताया कि शनिवार को समारोह के दूसरे दिन देश के ख्यातनाम कलाकार कोलकत्ता के संदीप भट्टाचार्य शास्त्रीय गायन एवं जयपुर के सुप्रसिद्ध पद्मभूषण पण्डित विश्वमोहन भट्ट व सलिल भट्ट मोहन वीणा वादन की प्रस्तुति होगी। परिषद के अध्यक्ष सज्जनसिंह राणावत ने बताया कि कल डॉ. यशवन्त कोठारी चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से डॉ. यशवन्त कोठारी कुम्भा पुरस्कार पदम् भूषण पंडित विश्वमोहन भट्ट को प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर गज़ल गायक डॉ. प्रेम भण्डारी, चित्तौड़गढ़ के पुलिस अधीक्षक प्रसन्न खमेसरा, श्रवण अग्रवाल, देवेन्द्र हिरण, अमरदीप शर्मा, महादेव दमानी, डी.पी.धाकड़, सुशील दशोरा सहित अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
इस अवसर पर प्रसन्न खमेसरा ने कहा कि गत 55 वर्षो से महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा आयोजित किये जा रहे इस प्रकार कार्यक्रम से निश्चित रूप से दूसरों को प्रेरणा मिलती है। शास्त्रीय सगीत चिरस्थायी रहता है। प्रारम्भ में डॉ. यशन्तसिंह कोठारी ने अतिथियों का स्वागत किया। इस समारोह को कला एवं संस्कृति विभाग केन्द्र सरकार, राजस्थान सरकार, वेदान्ता-हिन्दुस्तान जिंक, स्टेट बैक ऑफ इण्डिया, आर.एस.एम.एम., सिंघल फाउण्डेशन, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र आदि सहित नगर के कई प्रतिष्ठानों का सहयोग मिल रहा है।
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