माया कषाय के अभाव का नाम ही आर्जवधर्म – डॉ. भारिल्ल
अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन के तत्वावधान में दस लक्षण महापर्व प्रवचन श्रृंखला के अन्तर्गत से.11 स्थित आलोक स्कूल सभागार में आज तीसरे दिन अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तार्किक विद्धान डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल ने उत्तम आर्जव धर्म पर प्रवचन करते हुए कहा कि मायाचारी व्यक्ति अपने सब कार्य मायाचार से ही सिद्ध करना चाहता है।
अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन के तत्वावधान में दस लक्षण महापर्व प्रवचन श्रृंखला के अन्तर्गत से.11 स्थित आलोक स्कूल सभागार में आज तीसरे दिन अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तार्किक विद्धान डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल ने उत्तम आर्जव धर्म पर प्रवचन करते हुए कहा कि मायाचारी व्यक्ति अपने सब कार्य मायाचार से ही सिद्ध करना चाहता है। वह यह नहीं समझता कि काठ की हांडी दो बार नहीं चढ़ती।
एक बार मायाचार प्रकट हो जाने पर जीवनभर का विश्वास उठ जाता है आजकल सभ्यता के नाम पर भी बहुत सा मायाचार चलता है। सभ्यता के विकास ने आदमी को बहुत कुछ सिखाया है जिसमें चिकनी चुपड़ी बाते करना और अन्दर से काट करना एक साधारण सी बात हो गई हैं मायाचारी व्यक्ति का कोई विश्वास नहीं करता यहॉं तक की माता-पिता, भाई बहिन, पत्नी-पुत्र का भी उस पर विश्वास उठ जाता है।
आर्जव स्वभावी आत्मा के आश्रय से ही मायाचार का अभाव होकर वीतरागी सरलता प्रकट हो सकती है।
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक व फैडरेशन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. जिनेन्द्र शास्त्री ने बताया कि डॉ. भारिल्ल के प्रवचन के पश्चात दिगम्बर जैन बालिका संस्थान द्वारा नाटक “अमर बलिदान” का मंचन किया गया। जिसका संयोजन डॉ. ममता जैन व डॉ. महावीर प्रसाद जैन ने किया।
2 सितम्बर को रात्री 9.15 बजे धर्मचक्र का आयोजन किया जाएगा कार्यक्रम के प्रचार मंत्री श्री पंकज ठाकुर्डिया ने बताया कि कार्यक्रम में करीब 3000 से ज्यादा संख्या में जैन श्रद्धालुओं प्रवचन लाभ ले रहें है।
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