नशे से कारण कितने ही परिवार आज अत्यन्त दयनीय अवस्था में रह रहे हैं, उनके परिजन उनकी पीड़ा भुगत रहे हैं, नशाखोर अपराध की दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। युवाओं में नशे की प्रवृति से गम्भीर संकट है। जो अभिभावक नशा करते हैं उनके बच्चे निहायत गरीब व दयनीय अवस्था में जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे में स्वैचिछक संस्थायें, सरकार व जागरूक नागरिक अपने खर्च पर नशावान का इलाज योग्य डाक्टर से मेडिकल व साइक्लोजिकल उपचार करवाएं तो नशे करने वाले के पीडि़त परिवार को जीवन दान दे सकते हैं। ज्यादातर स्वैचिछक संस्थाओं की इसमें अभी तक रूचि नहीं रहती है क्योंकि नशा करने वाला व्यकित अपना नाम प्रकट नहीं होने देना चाहता है। ये बात आज यहां विधाभवन पालिटेकिनक के एन.एस.एस. के विधार्थियों के समक्ष वर्षा जल संसाधन एवं नशा निवारण अभियान में लगे चिकित्सक डा. पी.सी. जैन ने कही। इस अवसर पर “नशेड़ी की मौत” नाटिका का मंचन भी किया गया। कार्यक्रम में एन.एस.एस. के सभी छात्रों ने इस वर्ष में कम से कम एक व्यकित को पूर्ण नशामुक्त करने का संकल्प लिया। एन.एस.एस. प्रभारी रमेशचन्द्र ने डा. पी.सी. जैन को धनयवाद ज्ञापित किया। प्राचार्य श्री अनिल मेहता ने नशे के चंगुल से दूर रहने की छात्रों से अपील की। नाटिका की कथा वस्तु:- नाटिक में राजेन्द्र कुमार बालोदिया, भगवान सिंह राव, रामलाल एवं साथियों ने विभिन्न पात्रों को निभाया। नाटक में एक व्यकित नशे की लत के कारण मर जाता हैं उसके परिवार वाले संकट में आ जाते हैं लेकिन उसके मरने का विलाप करते हुए कहते हैं कि आप तो गये साथ में बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकु, गुटखों को भी लेते जाओ वे बीडि़यों, गुटखों सिगरेटों, की मालाएं मृतक के शरीर पर चढ़ाते हैं और विलाप करते हैं।