प्रत्येक जीव में परमात्मा बनने की शक्ति: आचार्य कनकनन्दीजी


प्रत्येक जीव में परमात्मा बनने की शक्ति: आचार्य कनकनन्दीजी

प्रत्येेक जीव में सुप्त रूप से महान बनने की अथवा आध्यात्मिक दृष्टि से परमात्मा बनने की शक्ति विद्यमान हैं। लेकिन आवश्यकता है उसे पुरूषार्थ से अभिव्यक्त करने की। उक्त विचार वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनन्दी गुरूदेव ने आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में उपस्थित श्रावकों के समक्ष कार्तिकेयानु प्रेक्षाग्रन्थ से द्रव्य गुण पर्यायों की व्यापकता व सम्भावना बताते हुए व्यक्त किये।

 
प्रत्येेक जीव में सुप्त रूप से महान बनने की अथवा आध्यात्मिक दृष्टि से परमात्मा बनने की शक्ति विद्यमान हैं। लेकिन आवश्यकता है उसे पुरूषार्थ से अभिव्यक्त करने की। उक्त विचार वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनन्दी गुरूदेव ने आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में उपस्थित श्रावकों के समक्ष कार्तिकेयानु प्रेक्षाग्रन्थ से द्रव्य गुण पर्यायों की व्यापकता व सम्भावना बताते हुए व्यक्त किये।

आचार्यश्री ने कहा कि इस शक्ति को प्राप्त करने के लिए तीर्थंकर, बुद्ध, ऋषि- मुनि तप साधना द्वारा स्वात्मोपलब्धि करके अनन्त दर्शन ज्ञान, सुख वीर्य प्रकट करके शाश्वत सुख प्राप्त करते हैं। इस गूढ़ विषय को गुरूदेव ने वट वृक्ष के दृष्ठान्त से भी समझाया। जैसे छोटे से वट बीज में हजारों लाखों टन के वट वृक्ष बन जाने की शक्ति गुप्त रूप से विद्यमान रहती है।

वही बीज योग्य जल, वायु, मृदा, प्रकाश व योग्य भूमि को प्राप्त कर स्वयं की सुप्त शक्ति को विशाल वट वृक्ष के रूप में अभिव्यक्त करता है। आचार्यश्री ने कहा कि इसी भांति भौतिक द्रव्यों की शक्ति को हम आधुनिक विज्ञान के विकास के रूप में देखते हैं, जिससे सारा विश्व चमकृत हो रहा है। इससे पूर्व धर्मसभा को मुनि आध्यात्मनन्दी ने भी सम्बोधित किया।

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