किसी भी राष्ट्र की प्रगति भौतिक एवं मानसिक सुख पर निर्भर – कोठारी
"किसी भी राष्ट्र की प्रगति उसके भौतिक प्रगति एवं आम जन की मानसिकता पर निर्भर करती है। चीन, जापान, रूस आदि सम्पन्न देशों ने भौतिक प्रगति तो बहुत कर ली लेकिन मानसिक प्रगति से आज कोसो दूसर है। वहां का नागरिक आज भी तनाव में जी रहा है"।
“किसी भी राष्ट्र की प्रगति उसके भौतिक प्रगति एवं आम जन की मानसिकता पर निर्भर करती है। चीन, जापान, रूस आदि सम्पन्न देशों ने भौतिक प्रगति तो बहुत कर ली लेकिन मानसिक प्रगति से आज कोसो दूसर है। वहां का नागरिक आज भी तनाव में जी रहा है”।
ये बात जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय की ओर से बुधवार को ‘‘सुशासन विषयक’’ पर विश्वविद्यालय के आईटी सभागार में आयोजित भाषण प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में उदयपुर शहर के प्रथम नागरिक मेयर चन्द्र सिंह कोठारी ने कही। उन्होंने कहा कि कोई भी राष्ट्र कितनी प्रगति कर जब तक वहां का आम नागरिक मानसिक रूप से ठीक नहीं होगा वह कभी भी प्रगति नहीे कर सकता है।
भौतिक प्रगति एवं मानसिक सुख दोनो एक दूसरे के पुरक है। उन्होंने ने कहा सुशासन की जिम्मेदारी हम सभी की है। सिर्फ सरकार का ही दायित्व नहीं है कि वे सुशासन दे। उन्होंने कहा कि हम हमारे अधिकारों के साथ साथ कर्तव्यों का भी निर्वाह करना चाहिए। इसकी शुरूआत अपने आप से करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मोदी ने एक छोटा सा अभियान चलाया स्वच्छता का। जब इसकी शुरूआत हुई तो आम जन के समझ में नहीं आई। लेकिन आज इस स्वच्छता अभियान ने पूरे देश में छा गया है और आज आम व्यक्ति में स्वच्छता के प्रति जागरूक हुआ है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि सुशासन के लिए सिद्वांत, आदर्श एवं नियमों में मधुर समंजस्य होना जरूरी हैं। बिना उच्च आदर्श के सुशासन की एक कोरी कल्पना है। इसके लिए पारदर्शिता एक आवश्यक शर्त है। सुशासन की श्ुारूआम व्यक्ति को अपने घर से करनी चाहिए।ऐसी अनेक छोटी छोटी जिम्मेदारी है जिसका निर्वाह अपने को करना है।
शिक्षा संघीय ढांचे, कार्य पालिका के कार्यकलापों में बदलाव लाना होगा एवं उनकी सोच मंे सुधार करना होगा। समारोह की विशिष्ठ अतिथि प्रो. लक्ष्मी रूपल, निदेशक डॉ. मनीष श्रीमाली, डॉ. जी.एम. मेहता ने कहा कि आम जन के लिए बनाये जाने वाले नियमों का कड़ाई से पालन करवाया जाना चाहिए।
इसके लिए हर व्यक्ति की जिम्मेदारी भी बनती है कि वह उनका पालन करें। उन्होंने कहा कि धूम्रपान करना कानुनी अपराध है लेकिन उनका कडाई से पालन नहीं हो पा रहा है। डॉ. एन.एस. राव, प्रो. एस.के. मिश्रा एवं प्रो. सुनिता सिंह ने निर्णायक की भूमिका निभाई।
समारोह का संचालन डॉ. सिंघवी ने किया। धन्यवाद निदेशक डॉ. मनीष श्रीमाली ने दिया। वाद विवाद प्रतियोगिता में उदयपुर शहर के विभिन्न महाविद्यालयों के 70 प्रतिभागियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रतिभागियों ने अपने अपने उद्गार व्यक्त किए।
ये रहे प्रतिभागियों के विचार:- सुशासन विषय पर आयोजित भाषण में आये छात्र छात्राओं के ये रहे विचार:-
हर व्यक्ति केा रोटी, कपड़ा एवं मकान मिले, हर व्यक्ति को रोजगार मिले, महिलाओं की सुरक्षा हो, आपदा प्रबंधन हो, महंगाई पर अंकुश लगाया जाये, सूचना तंत्र पूर्णतया कार्य करें।, आईटी सेक्टर को आगे बढ़ाया जाये, शासन चलाने एवं बनाने वाले अपने अपने दायित्वों का निर्वहन करें, संविधान में बने नियमों का कड़ाई से पालन करवाया जाये। भय मुक्त समाज हो, नारी को सम्मान मिले, ग्रामीणों को आईटी का लाभ मिले,
ये रहे विजयी:-
सुशासन विषयक पर आयोजित प्रतियोगिता में किबुका गोडफ्रे प्रथम को पन्द्रह हजार, द्वितीय दो प्रतिभागी रहे जिसमें सिजो एवं गौरव बॉस को पांच-पांच़ हजार एवं तृतीय पर भी दो प्रतियोगी विजयी रहे जिन्हे 2500-2500 रू. की नकद राशि से अतिथियोंा द्वारा पुरस्कृत किया गया।
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