मनुष्य में छिपे है एकता में अनेकता के गुण
श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि व्यक्ति स्वयं एक होकर भी अनेक है। वह मानव तो है ही साथ ही वह किसी का पुत्र है किसी का पिता है किसी का भाई है सेवक स्वामी ऑफिसर नौेकर नेता मंत्री आदि अनेक पद और स्थान है। जिन पर वह एक सा
श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि व्यक्ति स्वयं एक होकर भी अनेक है। वह मानव तो है ही साथ ही वह किसी का पुत्र है किसी का पिता है किसी का भाई है सेवक स्वामी ऑफिसर नौेकर नेता मंत्री आदि अनेक पद और स्थान है। जिन पर वह एक साथ काम करता है। सभी पद और स्थान अपने कुछ महत्व पूर्ण दायित्व रखते है।
वे आज पंचायती नोहरे में आयोजित विशाल धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि नैतिकता धर्म का ही अंग है। धर्म जगत में आज सबसे बड़ी कठिनाई यह पैदा हो रही है कि धर्म का सम्बन्ध कतिपय धर्म क्रियाओं तक सीमित कर दिया है। जीवन की सर्वांगीण प्रक्रिया में धर्म ठुकरा दिया है। उसका परिणाम यह हुआ कि धार्मिक कहने वाला व्यक्ति भी अपने व्यवहारिक धरातल पर अनैतिक और अधर्मी होता चला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अधर्म के बढऩे का कारण यह भी है कि हम धर्म को व्यवहारिक रूप नहीं दे पाये है। अहंकार एक विष है। यह सभी सम्बन्धो में और जीवन कि प्रवृतियों में विषघोल देता है अत: अहंकार से बच कर सात्विक भाव से जिए तो स्थान गत कर्तव्य और सत्य का पालन सरलता से हो जाएगा। महिलाए स्वयं ही अपने पति के पतन को रोक सकती है। यूं मातृ शक्ति का महत्व सर्वाधिक है किन्तु इस का अर्थ यह कदापि नहीं कि वे अपने शक्तिशाली पद का गर्व करें। सभा को विकसित मुनि जी ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन श्रावक संघ मंत्री हिम्मत बड़ाला ने किया।
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