कत्थक में बरसा ऋतु वसंत, तबले की थाप पर कदमो की थिरकन ने रंग जमाया


कत्थक में बरसा ऋतु वसंत, तबले की थाप पर कदमो की थिरकन ने रंग जमाया

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित ‘‘फूड फेस्टीवल’’ तथा ‘‘ऋतु वसंत’’ के अंतिम दिन रविवार को एक ओर जहां फूड फेस्टीवल में लोगों ने विभिन्न व्यंजनों के चटखारे लिये वहीं शाम को रंगमंच पर देश की लब्ध प्रतिष्ठित कत्थक गुरू गीतांजली लाल के ग्रुप द्वारा प्रस्तुत कत्थक में ऋतुरात बसंत का पीला रंग तबले के साथ पदाघातों से बरसता हुआ प्रतीत हुआ।

 
कत्थक में बरसा ऋतु वसंत, तबले की थाप पर कदमो की थिरकन ने रंग जमाया

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पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित ‘‘फूड फेस्टीवल’’ तथा ‘‘ऋतु वसंत’’ के अंतिम दिन रविवार को एक ओर जहां फूड फेस्टीवल में लोगों ने विभिन्न व्यंजनों के चटखारे लिये वहीं शाम को रंगमंच पर देश की लब्ध प्रतिष्ठित कत्थक गुरू गीतांजली लाल के ग्रुप द्वारा प्रस्तुत कत्थक में ऋतुरात बसंत का पीला रंग तबले के साथ पदाघातों से बरसता हुआ प्रतीत हुआ।

कत्थक में बरसा ऋतु वसंत, तबले की थाप पर कदमो की थिरकन ने रंग जमाया

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित गीतांजली लाल व उनके सह नर्तकों ने सर्वप्रथम शिव स्तुति की जिसमें उन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती की रचना को कर्नाटक शैली के साथ कत्थक शैली में मोहक ढंग से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में गीतांजली लाल की पुत्रवधु विधा लाल का नृत्य विशेष प्रस्तुति रहा। एक मिनट मे 103 चक्र पूरे कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिर्काउ में नाम दर्ज करा चुकी विधा लाल ने इस अवसर पर रसखान की रचना ‘‘मोर पखा सिर ऊपर राखहि, मुंज की माल गले पहनूंगी श्रृंगार प्रधान व भाव प्रधान रचना से दर्शकों पर अपने नर्तन का मोहजाल बिखेरा। रचना में राधा श्री कृष्ण से कहती है कि मैं सारे काम आपके अनुसार करूंगी लेकिन ‘‘या मुरली मुरलीधर की अधरा न धरी अधरा ने धरूंगी…’’ अर्थात आपकी मुरली जो मेरी सौतन है उस मुरली को अपने अधरों पर न धरूंगी। इस रचना में विधा लाल की भाव भंगिमाएं और आंगिक अभिनय उत्कृष्ट बन सका।

कत्थक में बरसा ऋतु वसंत, तबले की थाप पर कदमो की थिरकन ने रंग जमाया

कार्यक्रम में अभिमन्यु लाल के साथ विधा लाल ने कत्थक के मूल तत्वों को मोहक व सहज अंदाज में प्रदर्शित किया जिसमे तैयारी, चक्करदार, परन, पद संचालन तथा तबले के साथ जुगल बंदी में दोनों युगल नर्तकों ने अद्भुत सामंजस्य और दर्शनीय भाव भंगिमाओं को दर्शाया।

कत्थक में बरसा ऋतु वसंत, तबले की थाप पर कदमो की थिरकन ने रंग जमाया

इस अवसर पर ऋतु वसंत के आयोजन के लिये विशेष रूप से तैयार कृति दर्शनीय व मन भावन पेश कश बन सकी। जिसमें पारंपरिक ‘‘नवल बसंत नवल वृदावन नवल ही फूलै फूल, नल ही कान्ह नवल बनी गोपी निरतत एक ही रूप…’’ में बसंत ऋतु का वर्णन तथा कान्हा गोपी के दृश्यों का मनोरम चित्रण सुंदर अंदाज में प्रस्तुत किया गया। इस प्रस्तुति में देश विदेश में अपनी कत्थक प्रस्तुति से धाक जमाने वाले इस दल में गीतांजली लाल की शिष्याओं वर्षा दासगुप्ता, ईरा डोगरा, हिमानी आर्य, विकासिनी कन्नन, भारती चिकारी तथा जर्मन की शिष्या एनदेत्रिच ने अपने नृत्य लावण्य से दर्शकों को सम्मोहित सा कर दिया।

कत्थक में बरसा ऋतु वसंत, तबले की थाप पर कदमो की थिरकन ने रंग जमाया

कत्थक की अंतिम प्रस्तुति थी तराना जिसमें राग दरबारी पर आधारित रचना में सभी नृत्यांगनाओं ने अपने नृत्य में सन्निहित भाव भंगिमाओं तथा अभिनय से दर्शकों की वाहवाही लूटी। कत्थक की मनोहारी प्रस्तुतियों मे तबले पर योगेश गंगानी ने अपनी अंगुलियों की थिरकन और थाप से समां बंधा वहीं संतोष कुमार मिश्रा ने अपने सुमधुर गायन से प्रसतुतियों को माधुयता प्रदान की। इनके अलावा महावीर गंगानी ने पखावज तथा सलीम कुमार ने सितार पर संगत की। इससे पूर्व गीतांजली लाल, होटल एसोसियेशन के विश्वविजय सिंह, डॉ. प्रेम भण्डारी ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। केन्द्र निदेशक फुरकान खान ने आयोजन को सफल बनाने में सहयोग करने वालों के प्रति अभार व्यक्त किया।

पांच दिवसीय फूड फेस्टीवल के आखिरी दिन बिहार का लिट्टी चोखा तथा मटका रोटी बनाने की प्रक्रिया को देखने तथा खान-पान का स्वाद चखने कई लोग जहां दोपहर में शिल्पग्राम पहुंचे वही शाम को लोगों की खासी रौनक पाक शिल्पियों के स्टाल्स पर देखने को मिली।

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