सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन


सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन

परमार्थिक कार्य की कभी समाप्ति नही होती पर मयार्दा के हिसाब से पूर्णता होना निश्चित है। हर वस्तू की प्राप्ति के साथ वियोग भी है। हर एक समय मनुष्य की भक्ति करना जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए।

 

सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन परमार्थिक कार्य की कभी समाप्ति नही होती पर मयार्दा के हिसाब से पूर्णता होना निश्चित है। हर वस्तू की प्राप्ति के साथ वियोग भी है। हर एक समय मनुष्य की भक्ति करना जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए। सांसारीक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परन्तु ईश्वरीय भक्ति, साधना, ध्यान, परोपकार के पश्चात् पश्चाताप नही वरन् आनन्द, आत्म संतोष की अनुभूति प्राप्त होती है।

उक्त प्रवचन वनवासी कल्याण परिषद के सहयोगार्थ टाऊन हॉल प्रांगण मे श्री मद भागवत कथा आयोजन समिति, उदयपुर द्वारा आयोजित की जा रही भागवत कथा के अंतिम दिन पूर्ण भक्तिमयी एवं आध्यात्मिक वातावरण मे ध्यान योगी महर्षि उत्तम स्वामी महाराज ने कथा के दौरान व्यक्त किये।

उन्होंने कहा कि अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह भगवान का नाम है,परमात्मा सत्यता के मार्ग पर प्राप्त होंते है, मन-बुद्धि, ईन्द्रियों की वासना को समाप्त करना है तो हृदय में परमात्मा की भक्ति का दीप जलाना पड़ेगा। परब्रम्ह परमात्मा का नाम कभी भी लो , हर समय परमात्मा का चिन्तन करें क्योंकि ईश्वर का प्रतिरूप ही परोपकार है।

संतश्री ने कथा के अंतिम दिन सूकदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्री मद् भागवत कथा को पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगो का वर्णन किया। संतश्री ने अंतिम दिन की कथा मे अग्र पूजा के दौरान शिशुपाल द्वारा श्रीकृष्ण का अपमान करने के पश्चात् श्री कृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध, गुरू भक्त सुदामा एवं श्री कृष्ण का द्वारिका मे परम स्नेही मिलन, श्री कृष्ण का स्वधाम गमन एवं अंत मे राजा परिक्षित को मोक्ष प्राप्ति के प्रसंगो को सुनाया। कथा के दौरान संतश्री श्री कृष्ण के भक्तिमयी भजनों की प्रस्तुति से पांडाल मे उपस्थित भक्त गण झूम उठे तथा दोनों हाथ ऊपर उठा कर श्री कृष्ण भजनों पर झुमते हुए कथा एवं भजनों का आनन्द लिया।

सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन

अंतिम दिन की कथा में राजस्थान सरकार के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया ने अपने उद्बोधन मे कहा कि वर्ष 1978 में शुरू किये गये वनवासी कल्याण परिषद को उत्तम स्वामी महाराज की भागवत कथा के आयोजन से काफी सहयोग प्राप्त हुआ है। जिससे यह संगठन सदैव की भांति आदिवासी बहुमूल्य क्षेत्रों एवं शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य, की आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा। कटारिया ने कहा कि जरूरतमंदो को मानसिक दृष्टिकोण से जोडन का कार्य इस संगठन द्वारा किया जा रहा है। जहां सरकार नही पहुँच पायी वहा संघ ने एकल विद्यालय दान-दाताओं के सहयोग से शुरू किये जिसका परिणाम यह है की परिषद द्वारा संचालित राणा पूंजा छात्रावास के 5 विद्यार्थी राजस्थान के पांच मेडिकल कॉलेज तक पहुचे है।

कथा मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह- कार्यवाहक सुरेश सोनी, नगर निबम महापौर रजनी ड़ागी, मुख्य यजमान भुपेन्द्र सिंह बड़ोती, राजस्थान के क्षैत्रीय प्रचारक दुर्गादास, बप्पा रावल जागृति संस्थान के अध्यक्ष परमेन्द्र दशोरा, केकडी विधायक शत्रुध्न गौतम, बांसवाडा विधायक धनसिंह रावत, कुशल बाग मार्बल के परमेश्वर अग्रवाल, चेम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष पारस सिंघवी, चुन्नी लाल गरासिया, प्रमोद सामर आदि प्रबुद्धजनों ने संतश्री का माल्यापर्ण कर स्वागत किया एवं वनवासी कल्याण परिषद को आर्थिक सहयोग भी दिया। अंतिम दिन की कथा मे प्रसाद वितरण का लाभ उद्योगपति धीरेन्द्र सिंह सच्चान को प्राप्त हुआ। सात दिन की इस भागवत कथा का संचालन डॉ. राधिका लड्ढा द्वारा किया गया। कथा के अंत मे महाआरती के पश्चात् भक्त जनों ने संतश्री को भाव-भीनी विदाई दी एवं आर्शीवाद लिया।

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