धार्मिक आधार पर साम्प्रदायिकता का फैलना खतरनाक
“साम्प्रदायिकता धर्म के नैतिक मुल्यो को लेकर नही चलती वरन् धर्म के साथ जुडे कर्मकाण्ड़, रूढियो व पहचान के आधार पर फेल रही है। साम्प्रदायिकता मुल्यतः नफरत पर आधारित होती है जबकि धर्म का आधार प्रेम है”। - उक्त विचार मुख्य वक्ता समाजिक चिन्तक डॉ. इरफान इजिनियर ने डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट एवं पीयुसीएल द्वारा आयोजित साम्प्रदायिकता के बदलते स्वरूप विषयक संवाद में व्यक्त किये।
“साम्प्रदायिकता धर्म के नैतिक मुल्यो को लेकर नही चलती वरन् धर्म के साथ जुडे कर्मकाण्ड़, रूढियो व पहचान के आधार पर फेल रही है। साम्प्रदायिकता मुल्यतः नफरत पर आधारित होती है जबकि धर्म का आधार प्रेम है”। – उक्त विचार मुख्य वक्ता समाजिक चिन्तक डॉ. इरफान इजिनियर ने डॉ. मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट एवं पीयुसीएल द्वारा आयोजित साम्प्रदायिकता के बदलते स्वरूप विषयक संवाद में व्यक्त किये।
डॉ. इरफान ने आगे कहा कि बाँटो और फूट डालो की नीतिनुरूप इतिहासिक रूप से साम्प्रदायिक दंगे अंग्रेजो के शासन से शुरू हुए तथा यह तब शहरो तक सीमित थे। वर्तमान में गांवों में साम्प्रदायिक दंगों का फैलना चिन्ता जनक है; दंगें साम्प्रदायिकता का लक्षण मात्र है। भारत जैसे बहुभाषी, बहुधर्मी एवं विविधता लिए हुए देश में धार्मिक आधार पर साम्प्रदायिकता का फैलना खतरनाक है।
अध्यक्षता करते हुए प्रमुख गांधीवादी किशोर सन्त ने कहा कि साम्प्रदायिकता के उपनिवेशिक व साम्राज्यवाद के कई अन्तर्राष्ट्रीय आयाम है। साम्प्रदायिकता पर अन्तर्राष्ट्रीय प्रभाव भी 9/11 के बाद पड़ा है। अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद का भी साम्प्रदायिकता पर प्रभाव है।
राजनैतिक शास्त्री प्रोफेसर अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि आजादी से पूर्व छोटे शहरों एवं गांवों में धर्मो के मध्य आपसी सोहार्द, समन्वयन व भाईचारा था। जो मेवाड़ में देखा जा सकता था, वर्तमान में साम्प्रदायिकता के फैलने के कई राजनैतिक कारण है, जिन पर विमर्श जरूरी है। आजादी से पूर्व दक्षिणी राजस्थान में साम्प्रदायिकता के कोई लक्षण नहीं थे।
स्वागत करते हुए ट्रस्ट सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि देश में बढ़ता साम्प्रदायिकता का खतरा और इसके बदलते स्वरूप देश की अखण्ड़ता, एकता, इन्सानी भाईचारे एवं विकास के लिए चुनोती है। धन्यवाद आस्था संस्थान के सचिव अश्विनी पालीवाल ने ज्ञापित किया।
संवाद में गांधीवादी महेन्द्र प्रताप बया, शान्तिलाल भण्ड़ारी, सुशिल कुमार दशोरा, अब्दुल अजिज, एम.एस. मेडि़वाल, चन्दन जैन, अमिना मुहिम, फरिदा दाऊदी, शाहिस्ता हबीब, इस्माईल अली दुर्गा, ए.आर. खान, सोहनलाल तम्बोली, एकलव्य नन्दवाना, असगरा मुहीब, लोकेश कलाल एवं मंसुर आर.वी. रहीस खान, सुबूनी मिर्जा, हाजी सरदार मोहम्मद, तेज शंकर पालीवाल सहित कई गणमान्य नागरिको ने भाग लिया।
प्रेस नोट
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