ब्लैक एण्ड व्हाइट में जीवंत हुआ सेल्यूलॉयड व्यंजनों का स्वाद


ब्लैक एण्ड व्हाइट में जीवंत हुआ सेल्यूलॉयड व्यंजनों का स्वाद

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित ‘‘फूड फेस्टीवल’’ तथा ऋतु वसंत के दूसरे दिन गुरूवार को जहां दिन में कई शहर वासी विभिन्न व्यंजनों का स्वाद लेने के लिये शिल्पग्राम पहुंचे वहीं शाम को रंगमंच पर ‘‘बैलेक एण्ड व्हाइट’’ में श्वेत श्याम चलचित्रों की अनूठी दास्तां को अनूठे अंदाज में मंच पर

 

ब्लैक एण्ड व्हाइट में जीवंत हुआ सेल्यूलॉयड व्यंजनों का स्वाद

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित ‘‘फूड फेस्टीवल’’ तथा ऋतु वसंत के दूसरे दिन गुरूवार को जहां दिन में कई शहर वासी विभिन्न व्यंजनों का स्वाद लेने के लिये शिल्पग्राम पहुंचे वहीं शाम को रंगमंच पर ‘‘बैलेक एण्ड व्हाइट’’ में श्वेत श्याम चलचित्रों की अनूठी दास्तां को अनूठे अंदाज में मंच पर प्रस्तुत किया जिसमें गीतों और अभिनय के साथ-साथ लाइट्स का प्रयोग दर्शकों को ब्लैक एण्ड व्हाइट युग की याद ताजा करवा गया।

ब्लैक एण्ड व्हाइट में जीवंत हुआ सेल्यूलॉयड व्यंजनों का स्वाद

शिल्पग्राम के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित पांच दिवसीय उत्सव के दूसरे दिन पाक शिल्पियों के बनाये व्यंजनों का स्वाद चखने कई शहर वासी परिवार व मित्रों के साथ शिल्पग्राम पहुंचे। शिल्पग्राम के हाट बाजार में बिहार का लिट्टी चोखा जहां लोगों को लुभा रहा है। राजस्थानी स्टफ बाटी की तर्ज पर बने इस व्यंजन का स्वाद जहां अनूठा है वहीं महाराष्ट्र का झुणका भाकर की थाली का स्वाद कई लोगों द्वारा पसंद किया गया। इसके अमृतसरी जायका व राजस्थानी जायका व तड़का लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं।

हाट बाजार में ही महाराष्ट्र के पाक शिल्पी की बनाई मटका रोटी आकर्षण बनी। इनके रोटी बनाने की शैली को कई लोग दिन भर निहारते रहे। आटे में र्प्यात मात्रा में पानी डाल कर उसे विशेष स्टाइल से मथने से तैयार पेस्ट को मटके पर रख कर यह स्वादिष्ट रोटी तैयार की जाती है इसके साथ चटनी और अन्य शाक आदि भी परोसा जाता है। फूड फेस्टीवल में ही निरामिष भोजन भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहां आने वाले लोग दिन में लोक कला प्रस्तुतियों का भी आनन्द उठाया।

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शाम को रंगमंच पर मुबई की संस्था नीश एन्टरटेनमेन्ट्स द्वारा ब्लेक एण्ड व्हाइट सिल्वर स्क्रीन की अनूठी तस्वीर आधुनिक परिप्रेक्ष्य के साथ प्रस्तुत की तो दर्शक उसमें रम से गये। बैलक एण्ड व्हाइट दौर के ज़माने की कई प्रतिष्ठित और लोकप्रिय फिल्मों के गीतों व उने दृश्य चित्रों से अलकृत इस प्रस्तुति में एक-एक कर सारे पुराने गीत मोहक व सुरीले अंदाज में दर्शकों के सम्मुख प्रस्तुत किये गये।

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प्रस्तुति में वर्ष 1945 से 1968 तक की फिल्मों के दौर तथा उसमें निहित संस्कृति के परिदृश्य मोहक व आकर्षक बन सके। इनमें उन फिल्मों का दौर विशेष उल्लेखनीय था जब कलाकार सवयं गीत गाया करते व उस पर अभिनय किया करते थे। अजीब दास्तां है ये… गीत से शुरू हुई इस विशेष प्रस्तुति में पुरोधा कुंदन लाल सहगल, बिमल रॉय, वी शांताराम, गुरूदत्त की फिल्मों का दौर दिखाया वहीं हैण्डसम अदाकार देवानन्द, ट्रजेडी किंग दिलीप कुमार, शोमैन राजकपूर, सुंदरी मधुबाला, मीनाकुमारी, याहू फेम शम्मी कपूर जैसे अभिनेताओं की फिल्मों के दृश्यों और गीतों को अभिनय से दर्शाया गया। मिलिन्द ओक द्वारा निर्देशित इस विशेष प्रस्तुति में गायक धवल चंद्रावरकर, अवन्तिका पाण्डे, जितेन्द्र अभ्यंकर तथा मृणमयी तिरोड़कर ने अपने सुरीले गायन से समां बांध दिया दर्शकों ने करतल ध्वनि से कलाकारों का अभिवादन किया। प्रस्तुति में ‘‘तू छत पर आजा गोरिये जिन्द मेरिये, वो भूली दास्तां लो फिर याद आई जैसे गीत श्रवणीय बन सके।

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पांच दिवसीय उत्सव के अंतर्गत शुक्रवार शाम शिल्पग्राम के पंच पर पद्मभूषण पडित छन्नू लाल मिश्र का गायन शाम 7.00 बजे होगा।

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