नाट्यांश के रंगकर्मियों ने मनाया हिंदी दिवस
उदयपुर, 16 सितम्बर 2019 अंग्रेज़ी के इस दौर में, अपने मूल रूप के
उदयपुर, 16 सितम्बर 2019 अंग्रेज़ी के इस दौर में, अपने मूल रूप के पहचान के लिए संघर्ष करती हिंदी को उचित स्थान दिलाने के लिए हिंदी दिवस के अवसर पर उदयपुर की सबसे युवा एवं सक्रिय नाट्य संस्था नाट्यांश नाटकिय एवं प्रदर्शनिय कला संस्थान द्वारा एक दिवसीय नाट्य संध्या का आयोजन नाट्यांश कार्यस्थल, सादड़ी हवेली, नाइयों की तलाई पर किया गया जिसमें नाट्यांश के विभिन्न कलाकारों द्वारा साहित्य की विभिन्न विधाओं की प्रस्तुतियां दी गई।
कार्यक्रम संयोजक मोहम्मद रिज़वान मंसूरी ने बताया कि हिंदी भाषा हमें दुनिया भर में सम्मान दिलाती है। हिंदी दिवस को मनाना इसलिए भी ज़रुरी है ताकि लोगों को यह सन्देश मिले कि हिंदी हमारी ‘राजभाषा’ है और उसका सम्मान व प्रचार-प्रसार करना हमारा कर्तव्य है, इसीलिए इस नाट्य संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा के प्रति सम्मान प्रकट करना एवं दर्शकों को इससे अवगत करवाना था।
इस कार्यक्रम के सहसंयोजक राघव गुर्जरगौड़ ने बताया कि कलाकारों में ईशा जैन द्वारा नाटक ‘हयवदन’ से एकांकी, हर्षुल पंड्या ने कहानी ‘चूहा और मैं’, दिशा सक्सेना ने नाटक ‘खुबसूरत बला’ से एकांकी, अगस्त्य हार्दिक नागदा द्वारा नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ से एकांकी, पीयुष गुरुनानी ने कहानी ‘देवी’, चक्षु सिंह रूपावत द्वारा अभिमन्यु के जीवन की कहानी, सलोनी पटेल द्वारा नाटक ‘दुलारी बाई’ से एकांकी, जतिन सोलंकी ने नाटक ‘जाति ही पूछो साधु की’ से एकांकी, राघव गुर्जरगौड़ ने नाटक ‘द बेयर’ से एकांकी एवं महेश कुमार जोशी द्वारा कविता ‘कृष्ण की चेतावनी’ इत्यादि प्रस्तुतियां दी गई।
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वस्त्र विन्यास में योगिता सिसोदिया, मंच निर्माण में अगस्त्य हार्दिक नागदा एवं महेश जोशी का सहयोग प्राप्त हुआ। समस्त प्रस्तुतियों के निर्देशक के रूप मे अश्फ़ाक नूर खान और मोहम्मद रिज़वान मंसूरी की भूमिका रही।
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