डिविडिंग मशीन खरीद में धांधली की आशंका


डिविडिंग मशीन खरीद में धांधली की आशंका

नगर के झील संरक्षण से जुड़े सुधी नागरिकों ने डिविडिंग मशीन खरीद में धांधली की आशंका जतार्इ है। डा. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट व झील संरक्षण समिति के संयुक्त तत्वावधान में विगत दिनों से चल रही संवाद श्रृंखला ने डिविडिंग मशीन खरीद पर कर्इ प्रश्न उठाए गए है।

 

नगर के झील संरक्षण से जुड़े सुधी नागरिकों ने डिविडिंग मशीन खरीद में धांधली की आशंका जतार्इ है। डा. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट व झील संरक्षण समिति के संयुक्त तत्वावधान में विगत दिनों से चल रही संवाद श्रृंखला ने डिविडिंग मशीन खरीद पर कर्इ प्रश्न उठाए गए है।

झील संरक्षण समिति के डा. तेज राजदान, अनिल मेहता, चांदपोल नागरिक समिति के तेजशंकर पालीवाल ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि आरयूआर्इडीपी द्वारा 7 जनवरी 2013 को जारी टेण्डर में सवा तीन करोड़ की डिविडिंग मशीन खरीद के लिए निविदा मांगी गर्इ है जबकि संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता वाली सिटी लेवल मोनिटरिंग कमेटी ने ऐसी कोर्इ चर्चा नहीं थी।

सी.एल.एम.सी. में पचास से साठ लाख वाली  दो-तीन मशीनों के बारे में लम्बा विचार विमर्श हुआ था। वहीं टेण्डर नोटिस में एक बड़ी व बहुत ही महंगी मशीन खरीदने का उल्लेख है। राजदान, मेहता तथा पालीवाल ने संभागीय आयुक्त से आग्रह किया है कि वे इस सम्बन्ध में  स्थिति स्पष्ट करें।

पूर्व अधीक्षण अभियंता जी.पी. सोनी ने कहा कि सवा तीन करोड़ के ब्याज मात्र में ही झीलों को जलकुम्भी व खरपतवार से मुक्त रखा जा सकता है। डा. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि स्थानीय तौर पर बहुत ही कम लागत में कनवेयर बेल्ट, फ्लोट इत्यादि की व्यवस्था से जलकुम्भी व खरपतवार हटार्इ जा सकती है। शर्मा ने कहा कि एक बड़ी मशीन के बजाय यांत्रिक व जैविक विधि का उपयोग समिमलित तरीका काम में लेना ज्यादा प्रभावी व फायदेमंद होगा।

झील हितेषी मंच के हाजी सरदार मोहम्मद, शिक्षाविद सुशील दशोरा तथा ज्वाला संस्थान के भंवरसिंह राजावत ने कहा कि सवा तीन करोड़ की मशीन सफेद हाथी ही साबित होगी। संवाद श्रृंखला में नितेशसिंह नन्दलाल कुम्हार, हाजी नूरमोहम्मद ने भी भाग लिया।

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