कोई सरहद नहीं होती, कोई गलियारा नहीं होता, मां बीच में होती, तो बंटवारा नहीं होता
‘काव्योदय - 2016‘‘ में देर रात तक जमे रहे श्रोता मुक्ताकाषी रंगमंच पर गंगा जमनी तहजीब ने श्रोताओं को खुब लुभाया
मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने ले अंधेरे तेरा मुंह काला हो गया , मां ने आंखे खोल दी उजाला हो गया …….., नये कमरे में अब चीज पुरानी कौन रखता है, परिन्दों के लिए कुण्डों में पानी कौन रखता है, हमीं थामे हुए गिरती हुई दीवार को वरना, सलीके से बुजुर्गों की निशानी कौन रखता है…. पंक्तियां सुनाई तो जनता ने तालिया बजाकर हिन्दुस्तान के हस्ताक्षर राणा को आंखो पर उठा लिया। उन्होंने कोई सरहद नहीं होती, कोई गलियारा नहीं होता, मां बीच में होती, तो बंटवारा नहीं होता… शेर प्रस्तुत कर हुकूमत के मसलों पर चोट की।
लोक कला मण्डल के मुक्ताकाशी मंच पर बुधवार रात को आयोजित हुए अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को हंसाया, रूलाया और झकझोर दिया। विशाल जन समुदाय कवियों की प्रस्तुतियों को दत्तचित्त होकर कानों के रास्ते दिल में उतार कर काव्य रस में खो गया। श्रोताओं से खचाखच भरे लोककला मण्डल में नीरव शांति और तालियों की गड़गड़ाहट ने प्रस्तुतियों को मूल्यवान और असरदार बना दिया।
प्रसिद्ध मंच संचालक और कवि प्रकाश नागौरी ने अपने जोशीले अन्दाज में सूत्रधार की भूमिका निभाई साथ ही हिन्दुस्तान के जांबाजों का नहीं कोई सानी है, सर कट जाएगा तो धड लडले ऐसे हम बलिदानी हैं, तू और तेरे आतंकी बस और तेरे कोई साथ नहीं, तू हम पर हमला कर दे यूँ तो पाक तेरी औकात नहीं। अगर सैनिकों को दिल्ली से, ठोस इशारा मिल जाता, हाफीज सईद क्या पूरा पाकिस्तान नींव से हिल जाता….. की प्रस्तुति दी।
ख्यात नाम गीतकार और श्रृंगार के विशिष्ट कवि विष्णु सक्सेना के मधुर प्रेम गीतों ने श्रोताओं के कानों में मिश्री घोल दी। उनकी प्रसिद्ध कविता ‘‘रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं। तुमने पत्थर का दिल हमको कह तो दिया, पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नहीं’’। पर श्रोता मानो गीतकार के साथ एकाकार हो गये। उनके गीतों पर कई बार ‘‘वंस मोर-वंस मोर’’ के मांग उठी। उन्होंने जमीन जल रही है फिर भी चल रहा हूं मैं, खिजां का वक्त है और फूल फल रहा हूं मैं, हर तरफ आंधियां हैं नफरतों की मैं फिर भी, दिया हूं प्यार का हिम्मत से जल रहा हूं मैं। तू जो ख्वाबों में भी आ जाये तो मेला कर दे, गम के मरुथल में भी बरसात का रेला कर दे, याद वो है ही नहीं आये जो तन्हाई में, तेरी याद आये तो मेले में अकेला कर दे… प्रस्तुत की। जबलपुर से आई श्रृंगाररस की कवयित्री रश्मि किरण ने अपना मन और वचन दे दिया आपको, फिर भी रहता है मुझसे गिला आपको, आपको देखकर दिल से निकली दुआ, बदनजर से बचाये खुदा आपको... कविता प्रस्तुत की तो श्रोताओं ने तालियों की गर्जना से वातावरण गूंजायमान कर दिया।
हास्य कवि रास बिहारी गौड ने हम सलाहें देते हैं, सजने, संवरने, सजाने की, कोई सलाह नहीं देता, आदमी को आदमी बनाने की, गंगाजल से बडी मिनरल वाटर की हस्ती है, पानी मंहगा प्यास सस्ती है…. हास्य व व्यंग्य कविता प्रस्तुत कर लोगो की दाद लूटी। लाफ्टर फेम ऐकेश पार्थ ने मुफ्त में हम तुम्हें क्या बताये, किस कदर चोट खाये हुए हैं, वोट ने हमको मारा है और हम लीडरों के सताये हुए हैं…. कविता से वर्तमान राजनीति पर कटाक्ष किया। प्रसिद्ध कवि श्रेणीदान चारण ने सीमा पे जातोडो मिल्यो मायड़ सूं जवान, रण जाये रहयो थारो लाडलो सुजान, बेरी आज पाछो सीमा चढ आआयो है, आज वीने पाछो कोई उकसायो है, बेरियो रो भरम मिटावणो पडे, किण री ताकत है जो हिन्द सूं लडे।
कवि सम्मेलन सफल आयोजन पर मुनव्वर राणा ने अल्पेश लोढा एवं डॉ. तुक्तक भानावत का सम्मान किया। कवि सम्मेलन का सफल संयोजन डॉ तुक्तक भानावत ने किया। मुख्य अतिथि एचआरएच ग्रुप के लक्ष्यराजसिंह मेवाड, महावीर युवा मंच के मुख्य संरक्षक प्रमोद सामर तथा अर्थ डायग्नोस्टिक के अरविन्दर सिंह ने मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित किया। अल्पेश लोढा, नदीम खान, डॉ. तुक्तक भानावत, रंजना भानावत, प्रमोद सामर, मुकेश हिंगड, नेमी जैन, संदीप सिंघटवाडिया, मनीश गन्ना ने कवियों का पगडी व शाल द्वारा स्वागत किया। कार्यक्रम का आरंभिक संचालन आलोक पगारिया ने किया।
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